बरसाइत पावनिक महिमा

मिथिला मे पतिक दीर्घायु लेल मनायल जाइछ बरसाइत

पावनि-संस्कृतिः बरसाइत

– आशा चौधरी

आइ वंदना जी के एकटा सबाल छलैन्ह जे वट सवित्री (बरसाइत) अपना मिथिला मे केना और कियैक मनायल जाइत छैक. एहि विषय पर किछु हल्लुक जानकारी हमरा अछि से हम बता रहल छी।

ई पावनि अहिवाती लोकनि करैत छथि पति के दिर्घायु लेल. नव विवाहित कन्या के ई पावनि बहुत बिस्तार स होइत अछि. पवनैतिन एक दिन पहिले नहाय खाय क ई व्रत करैत छथि. ई पावनि बड़क गाछ तर होइत छैक, पवनैतिन के सासुर स भार आबैत छैक. खूब सजि धजि क बटगबनी गाबैत सब पबनैतिन बड़क गाछ तर जाइत छथि, ओतय विषहारा के पूजा वटवृक्ष के पूजा गौरी पूजा करैत छथि. तकर बाद कथा सुनि कय हकार पुरनिहारि सबके बूट (चना) बाटैत छथि.

कथा मे हम राजा के नाम आ राज्य बिसरि गेल छी. सावित्री एकटा राजा क बेटी छलीह सर्व गुण सम्पन्न, जखन सावित्री विवाह के योग्य भेलीह त राजा के हुनका योग्य वर नहिं भेटलैन्ह, तखन राजा सावित्री स कहलथिन्ह बेटी अहां स्वयं अपना लेल वर ताकू. सावित्री सत्यवान के पसंद कैलन्हि, नारद जी घुमैत एला आ कहलथिन्ह जे हिनका आयु नै छैन्ह सावित्री कहली हम हिनका वरण कय लेने छी तैं हम हिनके स विवाह करब, सावित्री सासु ससुर और पतिक सेवा स पतिव्रता स्त्री छलीह, सावित्री के बुझल छलैन्ह जे काल्हि हमर पति के प्राण छुटि जैतैन्ह तैं सावित्री एक दिन पहिने स सावित्री भगवती के अराधना करै लगलीह आ सत्यवान जखन लकड़ी काटै लै वोन जाय लगलाह त सावित्री संग लागि गेलीह, एकाएक सत्यवान के माथ मे दर्द भेलैन्ह आ नीचा उतरि कय सावित्री के कोरा मे प्राण छुटि गेलैन्ह. तखन यमराज खुद एलखिन सत्यवान के लेबै लै त सावित्री कहलखिन् हम नै लय जाय देव यमराज कहलथिन्ह बेटी माँगूँ वरदान सावित्री यमराज के पाछू पाछू जा रहल छलीह आ कहलथिन्ह हमरा सत्यवान के औरस स पुत्र दिय, यमराज कहलथिन्ह तथास्तु फेर आगू बढ़ल जाइथ त यमराज कहलथिन्ह बेटी आब घुरि जाउ देह धारी स्वर्ग नै जा सकैत अछि। सावित्री कहलथिन्ह अहां हमर पति के ल जा रहल छी आ अहां हमरा वरदान देलौं तहन अहाँक वरदान के की हैत, यमराज खुश भ कय सत्यवान के प्राण लौटा देलखिन्ह, ताहि दिन स सब अहिवाती ई पूजा करै छथि, कथा त और विस्तार स छै परंतु लिखल बेसी नै होइत अछि, धन्यवाद 🙏🙏🌹🌹।