चर्चित बहुभाषिक कवि लक्ष्मण नेवटियाक दुइ मैथिली रचना

साहित्य

मैथिली सँ हमरा बहुत बेसी लगाव अछि

चर्चित लोकप्रिय बहुभाषिक कवि – लक्ष्मण नेवटिया

नेपाली, मारवाड़ी, हिन्दी, मैथिली, भोजपुरी आदि अनेकन भाषा मे साहित्यिक सृजन कयनिहार बहुचर्चित व्यक्तित्व श्री लक्ष्मण नेवटिया जी काल्हि मैथिली साहित्यिक अभियानक छठम् मासिक गोष्ठी मे अपन विचार व्यक्त करैत बजलाह – “मैथिली सँ हमरा बहुत बेसी लगाव अछि।” मैथिली भाषा-साहित्यक इतिहास आ ऐतिहासिक स्रष्टा विद्यापति सँ प्रेरित श्री नेवटिया जी काल्हि अपन मैथिली कविता सेहो प्रस्तुत कयलनि –

१. आउ किछु दिन बैसू – संग संग में

– लक्ष्मण नेवटिया, विराटनगर-९

रंगिगेल अछि बिराटनगर
मैथिलीभाषा शिरोमणि
वाणीदाता भाग्यविधाता
विद्यापतीके नवरंग रंग में
आब किछु नया कर’ के अछि
नवीन उमंगित तरंग में।

अहां अपन डम्फा बजाएब
आ हम अपन
त लय राग सब बिगड़ि सकैत अछि
तेँ समय ऐखनहुँ अछि!

छोड़िकय अपन-अपन अहंकार
मैथिली भाषा उत्थानक प्रतीक बनू
सत्यनिष्ठ ओ निर्भीक बनू
मैथिली भाषा साहित्य के
प्रचारक लेल
बिसरि मतभेद
आ बिसरि मनक भेद।

अहम् तामस विषाद नाश कय
अहाँ हमरा दिलमें
हम अहाँक दिलमें
आउ किछु दिन बैसू
संग संग में,
तखन मैथिलीक गुण जगत गायत
उत्साह उमंग में
नव तरंग में – रसरंग में।

श्री नेवटिया जी स्वयं मारवाड़ी मातृभाषाभाषी विराटनगर मे मैथिली भाषाक निरन्तर अभियान देखिकय अपन मातृभाषा लेल कार्य करब आरम्भ करबाक बात सेहो कहलनि, आइ ओ राष्ट्रीय संयोजक थिकाह मारवाड़ी भाषाक। मैथिली भाषाभाषी बीच कइएक दशक सँ विभिन्न साहित्यिक अभियान सब मे अबैत-जाइत ओ जे देखलनि, ताहि पर संवेदना सँ भरल रचना लिखलनि।

मैथिली भाषाभाषी हुनकर कविताक मर्म बुझि एक बेर फेर मैथिली केँ ओतबे समृद्ध भाषा बना सकता की?

हरिः हरः!!

२. जय विद्यापति ! जय जय मैथिली!!

– लक्ष्मण कुमार नेवटिया, विराटनगर-९

हीराकार समाज मैथिली, कोटि कोटि जन जन के भाषा ।
जइमें प्रस्फुटित करौलनि विद्यापति, अपन वाणी विचार अभिलाषा ॥

चहुदिशिमें जन जुबानमें, जे माध्यम अछि अभिव्यक्ति के ।
जाहि में साहित्य सृजन भेल अछि, भावना मनके व्यक्ति व्यक्ति के ॥

मैथिली अछि साँस मैथिल के, सत्यम शिवम् सुन्दरम् समाहित ।
धन्य विद्यापति एहि भाषामें, अपन पदावलि कयलनि संरचित ॥

ओएह ललिता रसखान मैथिली, सरल मधुर अछि अलबेली अछि ।
महल झरोखा चढिकए बजलथि, माटिक आँगन खेलने छथि ॥

विद्यापति जी मैथिली भाषा में, विचार क्रान्तिक विगुल बजौलनि।
अंधकारमें जनहित खातिर, मैथिली घी से दीप जरौलनि ॥

सब भावक अभिव्यंजन एहिमें, निहित अछि निर्मलतम क्षमता ।
ललित कला के मुदुविलासमें, के करि सकत एकर समता ॥

हमर अछि संस्कार मैथिली, मैथिल के अधिकार मैथिली।
राष्ट्रक अछि श्रृंगार मैथिली, जय विद्यापति जय जय मैथिली ॥

जीवन के मुसकान मैथिली, एकता के अभियान मैथिली ।
विद्यापतिक गुणगान मैथिली, जय विद्यापति जय जय मैथिली ॥

सम्पूर्ण अछि विज्ञान मैथिली, मैथिल के अभिमान मैथिली ।
वीरान में उद्यान मैथिली, जय विद्यापति जय जय मैथिली ॥

भूत भविष्य वर्तमान मैथिली, शक्तिमान बर्द्धमान मैथिली ।
मैथिल के सम्मान मैथिली, जय विद्यापति जय जय मैथिली ॥

हमरा लोकनिक प्राण मैथिली, भाषामें अछि प्रधान मैथिली ।
मैथिल के पहिचान मैथिली, स्वीकार करु प्रणाम मैथिली ॥