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कुवैत सँ सूर्योधनक किछु भक्ति रचना – दुर्गा पूजा पर विशेष सुमिरन

भजन

– सूर्योधन कुमार

घर घरमे घटस्थापनाक खुशी मनावल अछि।
मंदिरके चारोवर खूब धूमधाम स सजावल अछि॥
नवरात्रिके नउ दिन मैया नव नव रूप धरत ।
नित दिन देखैलेल भक्तजन के भिड़ बढ़हत ॥
आगन प्रांगण सबतर पंडाल विछावल अछि ।
मंदिरके चारोवर ……….
रंग बिरंगी फूल आ भोग लेल राखल अछि थार।
नउ दिन तक मैयाके शक्ति रहत अपार ॥
भजन कीर्तन हवनलेल अग्नि जरावल अछि ।
मंदिरके चारोवर……….
अग्नि दहनमे महेश्वर द्वारा शरीरक भेल छिटाछिट।
जतैय गिरल वतै भगेल महाशक्ति पीठ ॥
अनेको नाम अनेको सरूप दिखावल अछि ।
‘एसके’ देखैय मैयाके मंदिर चारोवर सजावल अछि।
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लोरे लोर भरल आँखि स कोना क दर्शन पाऊँ हे माँ ।
जिनगी भरि दुःख अछि कोना क मुस्काऊ हे माँ ॥
डेग़े डेग़ पर काट जतय देखू ततय अछि खाई माँ।
अपनो स दूर भेल हमर परछाई हे माँ ।
सात समुन्दर पार छि कोना क आउ हे माँ ।
लोरे लोर…………………..

सुख दुःख के भवसागर मे फँसल अछि नैया ।
कभी डूबैत कभी उबरैत नै अछि क़ोनो खेबैया ॥
हाथ स छूटल पतवार कोनाक पार लगाउ हे माँ ।
लोरे लोर…………………...
पाप पुण्य के फेरमे फँसल ज्ञात नै अछि माँ।
मनके आत्मा फुइट फुइट क कनैत अछि माँ ॥
छी बौका बनल कोनाक अहाँक गीत गाउ हे माँ ।
लेरे लोर …………………….
पाप पुण्य क भेद बताबू धर्म कर्म क ज्ञान दिय माँ ।
दिन राइत अहाँक आरती करू अतेक वरदान दिय माँ॥
अहीं बताबू कोनाक हम ‘एसके’
अहाँके मनाउ हे माँ।
लोरे लोर…………………..

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