आइ फेर सँ मैथिलानी नव इतिहास रचि रहली अछिः मैथिल महिलाक क्रान्तिकारी स्वरूप पर अपर्णा

लेख

– अपर्णा झा

“मैथिल महिला शक्ति: शिक्षा, संस्कार आ सामाजिक सहभागिता”
आजुक समसामयिक समाज मे मैथिल महिलाक सहभागिता देखल जाय तs, आर पहिलुका समय केर महिला सँ तुलना कयल जाय तs, सामाजिक सहभागिता मे कत्तहु कम नै बुझायत. अंतर मात्र कालक्रम आ परिवेशक रहल. मिथिलाक इतिहास पर ज्यों नजरि देल जाय तs ई निश्चित रूप सँ स्पष्ट होइत अछि जे अपना सभक मैथिलानी सब आरम्भ सँ पुरुष केर संग बराबर के शिक्षा ग्रहण करैत छलीह. चूंकि शिक्षा अध्यात्म आ व्यवहारिकता पर आधारित छलय, तs श्रुति आ श्रव्यक माध्यम सँ अप्पन शास्त्रक ज्ञान केँ मजबूत करैत रहली. यज्ञादि केँ करबामे स्त्रीयो केर भूमिका रहल. अपने सब विदुषी मे गार्गी, मैत्रेयी, भारती आ भामती आदिक नाम से खूब नीक जेकाँ परिचित छी. जेना-जेना समाज बढ़ल, बाहरी समाज सँ मेल-मिलाप भेल, धर्मक उतार-चढ़ाव में जँ सबसँ बेसी किनको क्षति भेल तs ओ मैथिलानी सबके. हुनक अस्मिता के बचावs के नाम पर, आक्रांता सभक गलत नजरि से बचाबs लेल पहिने तs गुरुकुल जा शिक्षा ग्रहण पर पाबन्दी लागल आ फेर धीरे-धीरे बालविवाह, पर्दा प्रथा सनक कुप्रथा सब समाज मे प्रचलित भऽ गेल. मुदा मैथिलानी सब तैहियो अप्पन अस्तित्वक मटियामेट नहि होमs देलीह. आब हुनका अप्पन अध्यात्मक ज्ञान, व्यवहारिक शिक्षा आ संस्कार शिक्षा अप्पन घरे में भेटs लागल. आब ओ बचिया सब लेल दादी-नानी आ बाबा- नाना के कोरा में रहैत, संग में रहिकय हुनका सबसँ सुनला आ अनुशरण करैत सामाजिक पद्धति केँ बुझैत आ सिखैत रहली. मैथिलानी केँ जखन पर्दा प्रथा में रहबाक आदेश भेल तैहियो ओ अप्पन अभिव्यक्ति अप्पन रचना, संगीत आ कला सृजन केर माध्यम सँ सामाजिक पटल पर राखैत रहली आ अहि तरहें पम्परा आ संस्कृति केर संवाहक बनल रहली.
मैथिलानी केँ हमेशा सs अप्पन परिवार आ समाजक  परम्परा निर्वहन करय आबैत रहलनि. सहिष्णुताक गुण तेना हुनका में भरल छलनि जे परिवारक सब बोझ अपना पर लेलाक बादो ओ लोकनि अपन सृजनशीलता में कोनो कमी नहि रखलथि. मैथिलानी सभक दिशा आ दशा में उदासीनता मध्यकालीन कालखंड में देखाय पड़ल जाहि मे अक्षर ज्ञानो हुनका सँ जाइत रहल. स्वतंत्रता केँ पहिले के कालखंड आ तत्पश्चातो समाज कनि जगबो कयल मुदा स्त्रीक नाम पर उदासीन रहल. आजुक मैथिलानी नारी केर शिक्षा आ जागरूकताक विषय बहुत बेसी पुरान नै. किछु परिवार केँ छोड़ि, आइ सँ ३०-३५ साल पहिने तक बेटी केर शिक्षा, मात्र अक्षर ज्ञान लेल भेटैत छलन्हि. बेटी केर विवाहक आगू शिक्षाक महत्व नहि देल जाइत छल. जेना-जेना देशक विकास भेल आर मैथिल नवतुरिया सब अप्पन माटि सँ दूर आन देश/प्रदेश मे बढ़िया-बढ़िया संस्थान सँ शिक्षा ग्रहण कय एकटा नीक रोजगार प्राप्त करय लगलाह, ताहि संगे ओ नवतुरिया सब केँ शिक्षित कन्या केर महत्व बुझय मे सेहो आबय लगलन्हि. ताहि कारणे वरागत केर ई डिमांड सs कन्यागत केँ अपन बेटी केँ पढ़बय दिश झुकाव बनय लागल. आजुक स्थिति ई अछि जे मैथिलक घर-घर ई चाहैत अछि जे हम्मर घर-परिवार सुशिक्षित और रोजगार सहित हुअय. एहि संगे ई भावना सेहो आयल कि बेटी-बेटा एक समान, जेहन बेटा-बेटी पढ़ती से हुनका सबकेँ पढायल जेतैन्ह.
आब माता-पिता अप्पन बेटी केर शिक्षा आ आत्मनिर्भर सेहो बनबs पर जोर दs रहल छथिन्ह. एहि के परिणामस्वरूप ई भेल अछि जे  अधिकांश परिवार आदर्श विवाह पर सेहो जोर दs रहल अछि. अहि तरहक विकास आ शुभसंकेत  केर मध्य समाजक किछु बुराई केँ सेहो देखल जा रहल अछि. शिक्षा आ रोजगार भेनाइ  समाजक एगो नीक डेग तs भेल मुदा, संगहि जेकरा हम सब संस्कार शिक्षा कहैत छी ओ कत्तहु पाछु छुटि रहल अछि. आइ सहिष्णुता आ सम्बन्धक महत्व समाज से घटल जा रहल अछि जे घर-परिवार केँ बनs नहि दs रहल अछि, जुड़य नहि द रहल अछि. मिथिलाक समाज जे एकटा सामुदायिक समाज छल, ओ आब टूटल जा रहल अछि, जे मैथिलानी समाज केँ जोड़बाक सूत्रधार रहली, आय हुनको समयाभाव रहs लागल अछि. आइ समाज  अपना में एकटा एकाकीपन केँ जीवि रहल अछि आ ताहि छुआछूत समान बीमारी से अप्पन सभक महिला सब सेहो नहि बाँचल छथि. एहि सबसँ फराक आइ-काल्हि मैथिलानी सब एकटा नव दुनिया मे कदम रखलीह अछि जाहि मे स्त्री शक्ति केँ एक नव और सशक्त रूप में देखल जा सकैत अछि। समसामयिक मिथिला समाज केँ जागृत करबामे आइ सोशल मीडिया के विशेषरूप सँ फ़ेसबुक केर बहुत पैघ योगदान अछि. आब मैथिलानी अप्पन टाइमलाइन सँ मात्र जुड़ल नहि छथि, ओ अनेको मैथिलानी आ मैथिल समूह सँ जुड़िकय अप्पन अभिव्यक्ति सार्वजनिक पटल पर राखि रहल छथि. ताहि के फ़लस्वरूप स्थानीय आ राष्ट्रीय स्तर पर मेल मिलाप भs रहल अछि. एक प्रकारे बुझु तs मैथिलानी सब केँ स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय पटल पर एकटा श्रृंखला बनल जा रहल अछि. ई एतबी पर नहि थमल अछि, ई सब आपस मे  एक सs बढिकय एक विषय पर अप्पन बात राखैत छथि. समसामयिक विषय पर चर्चा आलेख केर माध्यम सँ आर ताहि पर सब गोटे अप्पन अनुभव एक-दोसर केँ बतबैत छथि. अपना सभक विगत किछु सालक जँ अनुभव कही तs सोशल मीडिया केर अभाव मे लोकक आपसी संवाद ताहि रुपे नहि छलय जे आपसी सहभागिता केर कोनो बात कय सकितहुँ.
आइ मैथिलानी सब जागरूक भेली अछि. अप्पन समाजक नीक-खराब पक्ष सभ पर खुलिकय बात करैत छथि. जे जाहि क्षेत्र में निपुण छथि ओ ओहि के बार में  समूह में जा अप्पन बात साझा करैत छथि. कियो डॉक्टर छथि तs स्वस्थ जीवन केर सुझाव दैत छथिन. कियो वकील छथि तँ कानूनी सलाह बतबैत छथि. कियो गीतगाइन छथि, कियो पाकशास्त्र में निपुण, विभिन्न कला केर क्षेत्र में कियो निपुण… एहि प्रकारे ई देखबामें आयल अछि जे आय एकटा मैथिलानी, मैथिलानी केर जीवनपथ पर आगू बढबा में मददगार साबित भs रहल छथिन्ह, जागरूक कs रहल छथिन्ह. हर महिला में चाहे ओ गामक हेतीह अथवा सहरुआ, कम पढ़ल लिखल होइथ कि बेसी… आब ओ दुनिया केँ देखबाक आ अपना सँ तुलना करबाक क्षमता राखैत छथि, जागरूक भs रहल छथि. आत्मविश्वासक कोनो कमी नहि रहल अछि, आब ओ परिवार केँ एकटा नव जीवन प्रदान कय रहल छथि. योगदान परिवार लेल ओ पहिनहियो दs रहल छली मुदा एकटा मुख्य भूमिका केर रूप में चाहे ओ समाज लेल होय या अप्पन मिथिला लेल… सराहनीय अछि. ओ आइ फेर सs अप्पन परंपरा आ संस्कृति केर संवाहक के रूप में मजबूत कड़ी बनि उभरि रहल छथि. जँ मेल-मिलाप आ जागरूकता केर रफ्तारक ई रूप  रहल तs मैथिल-मिथिला के शिखर पर लs जाय में अप्पन मैथिलानी के मुख्य भूमिका रहत.