कथा
– डा. लीना चौधरी
जमींदारी त खत्म भ गेल छल पर ओ अपने अपन आ बड़का भाई के हिस्सा जमींदारी अखनो बचा क रखने छला। बड़का भाई सब किछ हुनके पर छोड़ने छलखिन्ह। ओहो एक एक पाई के हिसाब क के भाई के हिस्सा देब में देर नइ करथीन। दुटा बेटा सपरिवार संग रहई छलैन हूनकर । पत्नी के स्वर्गवास भ गेल छलनि जखन छोटका बेटा सात बरखक छलैन। दोसर विवाह नइ क बच्चा सभक परवरिश केला । अपने सरकारी नौकर सैहो छला। सब ठीक चइल रहल छल जीवन में। कखनो कखनो जमीन सब पर कीछ कीछ होई त मैनेजर आ अपने संभाईल लेथिन। ओई दिन भोरे भोरे मैनेजर पहुंचला । बहुत परेशान लाईग रहल छल वो पर मालिक पूजा पर बइसल छलखिन्ह त इंतजार कर’के अलावा कौनो उपाय नइ छल । जखन ओ अपन पूजा से उठला त देखलखिन मैनेजर के । चौंकि के पुछलखिन.. ठाकुर भोरे भोरे? सब ठीक ना? मैनेजर कहलकैन … सरकार अपने खाना खा लिय’ तखन बात करई छी । पुश्त से मैनेजर हुनका एतय काज करई छलैन। ओ बुइझ गेला बात गंभीर अइछ । ओ खाना ले कही के तैयार होवय लगला। खाना खेला के बाद मैंनेजर से सब बात कहय लेल कहलखिन्ह।
मैनेजर बतेलकनि जे गेंहू के खेत में किछ लोग लाल झंडा गाइड़ देलनि अइछ। ताही समय में लाल झंडा के खेत में कब्जा कर के परिपाटी राजनीतिक दल के सहयोग से बहुत चइल रहल छल । सब सवर्ण सब परेशान छला अही कारणे। पुछलखिन्ह के सब छउ ? तु प्रयास केलही अपना तरफ से बात करय के? मैनेजर सब बात के जबाब देलकैन, ओकर जबाब से संतुष्ट भ कहलखिन्ह … “ठीक छइ। तु जो। हम एतय अफसर सब से बात करइ छी । तु ओत के स्थिति रोज फोन पर बतबइत रहिहे।”
तहिया ऐना घरे घरे फोन आ मोबाइल नइ छल । मैनेजर के कुशेश्वरस्थान आब पड़इ फोन लेल। ओ कोशिश करय लगला जमीन पर से कब्जा हटाबय लेल। पुलिस लय के पहुंचला। सब केँ खदेड़ के गेंहू कटवा अपने सोझाँ अपन कचहरी में रखवा लेलखिन्ह। तखन त बात शांत भ गेल ।परंच किछ दिन बाद लाल झंडा बला सब फेर कब्जा क लेलक। खबर ऐल । आब हुनका बड तामश भेलनि। ओ सोचला ऐकर परमानेंट इलाज कराबी। ऐहि लेल बेगूसराय से असमाजिक तत्व सँ संपर्क क ओकरा सब के समझाबय भेज देलखिन्ह जमीन पर । बेटा सब के पता चलल ओ सब बहुत परेशान भ गेला। किंतु अखनो ओ सब बहुत धखाई छला हुनका से बात करय में । ओ सब अपन बड़का चच्चा के लग बात केला। ओ ऐला समझाव लेल। कहलखिन्ह जै दहक ओ जमीन के । हमर हिस्सा में से द दहक। पर ओ नइ मानला आ कहलखिन्ह … मर हमर बाप दादा के अरजल अइछ । ऐना केना छोड़ि देबई। हमर रहइत त ई नइ हैत भइया। हम नइ रहब तखन आहां सभक जे मन से करब।
घर में सब परेशान छल । सब के जमीन से ज्यादा जानक हर्जा के चिंता छल । केकरो जान जैतइ नुकसान त हेवे करत सब के। ओ राइत में कहलखिन्ह की आई सब कब्जा दुपहरिया सँ हटावय के छउ अपन लठैत सब के । घर में ओई राइत सब बहुत परेशान भ गेल। किंतु अपने नित्य दिन के तरह भोरे चाइर बजे उइठ अपन दिनचर्या में लाइग गेला। छः बजे पूजा पर बइस गेला। भोला बाबा के बड़का भक्त छला । दु घंटा रोज पूजा में लाइग जाइ छलैन । रोज पूजा पर स उठथिन त सबसे छोटका पोता जे डेढ़ बरखक छलैन आइब जाइन आ संग बइस बाबा के हाथ से दाइल पीबनि। ओ कमजोरी छलैन हुनकर। ओइ दिन पूजा पर बइसले छला की पोता आइब कोरा में बइस गेलैन आ खुब दुलार करय लगलैन। कहियो पूजा में नइ तंग करयबला बालक ओइ दिन अनायास पूजा में हुनका दुलार के रुप में तंग करय लगलैन। ओही पोताक मुख देखिकय हुनका जेना चेतना भेलनि की “हम इ की क रहल छी। हमर कर्म के फल हमर बच्चा सब के झेलय पड़त।” तुंरत पूजा छोड़ि उइठ गेलखिन्ह आ फोन लगा के बुथ मालिक के मैनेजर बजाबय लेल कहलखिन्ह। ओकरा आइबते कहलखिन्ह लाल झंडा बला सब के किछ नइ करिहें । हम आइब रहल छी। हम बात क ऐकरा सुलटा लेब। कोनो तरहक माइरपीट नइ करिहें तु सब। घर में सब के ई समाद देलखिन्ह। बेटा सभक सांस जे रुकल छल चिंता से चलय लगलैन। आ अपने पोता के खुब दुलार क खाना खा अपन जमीन लेल निकइल गेला। भगवती के कृपा से बातचीत से सब समस्या सुलइझ गेलनि। आ जिंदगी भइर के लेल चेतना के सैहो जागृत क गेल हुनक संग संग सभक।