मैथिली गजल
– पवन झा ‘अग्निवाण’ ऊर्फ ‘गुमनाम फरिश्ता’
एहेन एलै रामराज बाजब गुनाह भेल
मूक बनल परजा के नेता घताह भेल
ककरा पर दोष धरब के पतियायत
जकरे पर आश धेलौं सैह मरखाह भेल
एक रहित तैयो हम मोन के भुलवितौं
देवता-पितर सहस्त्र पूजन अथाह भेल
सत्य लगै ओल जेना झूठ लगै मिसरी
जे बाजल झूठ-सांच ओकरे निबाह भेल
पोखैर, ईनार कत बोन-बाध हरियर
जत देखू ततै लागै काज अधलाह भेल
मरैत रहू कानि-कानि कहियौ सब दुखड़ा
के सुनत ककर आब जीवन अथाह भेल
लोकतंत्र कहबा लेल लोकक छै सत्ता
लूटि लेलक सुख सबटा दुखक बेसाह भेल
कहबा लेल सब कहै करबा लेल अपने
देशकाल देखि बुझू अपनो कनाह भेल
डूबि गेल कहियो आ कहियो सुखाड़ खेत
तड़पि-तड़पि मरू आब धरती बिसाह भेल
गंगा आ जमुना सन नदियो के सोखि लेलक
एहेन प्यास पूछू जुनि मानव बताह भेल
गुमनाम फ़रिश्ता
24/ 06/ 2019