मैथिली कविता
– सविता झा सोनी
सगरो पसरल हाहाकार
धरणी के हिय कोर कोर में
फाटि रहल विस्मित बेमाय
जल थल पोखरि झाँखरि उमरल
अदौं संओ छल जे गेल बिलाए…
त्राहि त्राहि जल बिनु मिथिला भेल
नर नारी पशु जीवन इन्होर
गाछ वृक्ष पंछी चुनमुनी सभ
तड़पैत पीबय अपनहिं नोर…
प्रकृति प्रदत्त वा दोष मनुष्यक
बालबोध भविष्य नेन्ना’क बलिदान
तू’र कान में खोंसि क सूतल
सरकार बनल अछि ब’हिर अ’कान…
सगरो पसरल हाहाकार जगत में
कतेक सूतब आब जाजिम् तानि
जल थल जीवन मर्माहत अछि
देखू मृत्यु’भूमिक तांडव भगवान्…
आबो जागू हे करूणानिधान….
…सबिता झा ‘सोनी’