मिथिला मे मैथिल ब्राह्मणक विवाह मे कि सब होइत छैक – सम्पूर्ण विध-व्यवहार सहित

मिथिला मे ब्राह्मण समुदायक विवाह मे कि सब होइत छैक से लेख

मिथिला विवाह पद्धति – कि सब चाही विवाह मे, कोन-कोन विध आ केना-केना करब (विस्तृत विवरण सहित)

– सीमा झा (मिथिलाक्षर)

(संकलन माध्यम – पारस कुमार झा, बनगाँव, सहरसा – २८ मई २०१९, मैथिली जिन्दाबाद!!)

मिथिला विवाह पद्धति – (कन्या पक्ष)

फोटोः फाइल

भगवती, ब्राह्मण, हनुमान आ महादेव क गीत क बाद अहिवाती सब के तेल आ सिन्दूर लगायल जायत

कन्या क पैघ बहिन आ पीसी सब चुल्हा पर धान क लावा भुजथिन

साँझ खन भगवती लग कन्या का सबटा विवाह क कपड़ा, लहठी, बर क सबटा कपड़ा (धोती, कुर्ता, चादर, जनऊ, डांरा डोर, खड़ाम, पाग, घुनेष, माला), आ कन्यादान करयबला क सबटा कपड़ा राखल जायत लावा भुजवा काल

विवाह दिन

विवाह क सामाग्री

१४ जोड़ जनऊ
तिल
जौ
चन्दन
चौर
दीप -३
अगरवत्ती
सुपारी सौस -११
गाय क घी
कछुआ क पीठ
बाती
ठक
वक
भुसना सिंदूर
गुआ-माला
साख -सिंदूर
कुसुम क फूल
साड़ी चुड़ी आ श्रृंगार क सामान
धोती (पाँच टुक कपड़ा) मात्रिका पूजा लेल
धोती पितर लेल
सिन्दूर
सोन
आम क लकड़ी
मधु
दही चीनी
फूलही थारी -२
फूलही कटोरी -१
गोबर
बेलपत्र
गौर
धान क लावा
आम क पल्लव
बांस क छिप
केरा क कोशा
पान क पात
आगत क पात
केला क भालरि
दूर्वा
गोवर
फल
फूल
उखड़ि –समाठ
पालो
अहिवात
पुरहर
धान क शीश

• कन्या नहा धो नव वस्त्र (जे बाद में धोबिन क पड़त) आ केश खोलि क रहती

• कोहबर घर में कन्या अपना दहिना हाथ सं पिठार सिन्दूर सं पाँच टा थप्पा देथिन आ संगहि पाँच टा अहिवाती सेहो थप्पा देथिन, तकर बाद कोहवर लिखल आ सजायल जायत

• कन्या क मुँह में सौस सुपारी रहतनि जे ओ अपना मुँह में भरि दिन रखने रहती

• सात टा चोटी रहत जकरा बेरी बेरी सं सात बेर बिधकरी (अहिवाती जेष्ठ महिला जे विवाह विधि में कन्या वर केँ सहायक रहती) लकड़ी क ककवा सं बीच सींथ फारि कन्या क केश में बांधथिन

• दुपहर खसला पर पंडित कन्या आ कन्यादान करय वाला सं भगवती घर में मात्रिका पूजा करेता

• साँझ खन धोबिन कन्या क सोहाग (धोबिन अपना केश क लट क भिँजा कन्या क मुँह में देथिन आ अपना हाथ सं चुड़ा दही मिला कन्या क खुऐथिन) कन्या अपन पहिरल (जे ओ भरि दिन पहिरने छेली) ओ धोबिन क देथिन

• जखन खबर भेटत की बरियाती आवि गेल त कन्या आम आ महुआ क पूजा करथिन (आम आ महुआ क गाछ पर पिठार सं आरतक पात साटती आ पिअर डोरी सं तीन बेर दुनू गाछ क चारु कात घुमैत बांधथिन)

आज्ञा डाला

बरियाती सब क यथास्थान बैसेला क बाद घर क कियो श्रेष्ठ एक टा चंगेरा में धुप अगरवत्ती ल बरियाती लग जेथिन

ओहि चंगेरा में बर पक्ष वाला कनियाँ क लेल, कनियाँ माँ, घर क श्रेष्ठ महिला सब लेल विधकरी आ खबासनी लेल कपड़ा देथिन आ विवाह प्रारंभ करवाक आज्ञा दइ छेथिन

तखन कन्या क संगी सब बर क भीतर ल जा पहिने बिगजी (मिठाई सब खुयेथिन) करेथिन

वर क परिछन

परिछान क डाला में उपस्थित सामान

• कछुआ क पीठ में जरैत दीप
• ठक बक
• केरा क भालरि
• मूंज
• काठक ताम्बा में उड़ीद क घाठि (बेसन)
• चानन काजर
• पान क पात
• गोबर क पाँच मुँठ
• पिठार क पाँच मुँठ
• लागल पान जाहि में ओ सुपारी काटल देल रहत जकरा कनिया भरि दिन मुँह में रखने छेलिह

परिछन

• बर क आगु एक टा खावासिन अपना मुँह झाँपि, माथ पर एकटा खाली कलश में आम क पल्लव जे लाल कपड़ा सं झापल रहत ल ठाढ हेती, बर ओहि कलश में किछु पैसा खसेथिन

• बर एकटा स्नानी चौकी जाहि पर कारी कम्बल रहत, पर ठार हेता

• विधकरी महिला सब संगे बर क आगु परिछन डाला ल ठार हेथिन

• पहिने विधकरी बामा हाथे पाँचो गोबर क मुठ बर क निहूँछैत पाछू फेकती

• बामा हाथे पाँचो पिठार क मुठ निहूँछैत बर क आगु फेकति

• बर सं हुनकर परिचय पुछथिन, आ पुछथिन कि एतय ककरा ओहिठाम एला आ किया एला

• फेर डाला पर राखल ठक, बक, केरा क भालरि आ मूंज क देखा ओकर नाम पुछथिन

• बर क कहथिन काठ क ताम्बा में हाथ रखवा लेल

• फेर बर के खेवा वास्ते लगायल पान देथिन

• विधकरि बर क काजर लगेती, ललाट पर चानन सिन्दूर लगा बर क बामा हाथे पान क पात जकरा नीचां में आरतक पात रहत, सं नाक पकड़ि कोहवर दिश ल जेती

नैना जोगिन आ कन्या निरिक्षण

• कोहवर में कन्या आ हुनकर छोट बहिन (जिनका हाथ में दही रहतनि) क एकटा ललका कपड़ा या साड़ी सं झाँपि बैसा देल जेतैन

• विधकरी एकटा चंगेरा में चारि टा आरतक पात, पिठार, आम क पल्लव आ बिअनि ल एती

• विधकरी निहुरी क मांथ पर बिअनि राखि कोहवर क पूर्व कोण सं शुरु करैत बर सं पुछथिन

कतय सं आयल छि ?

बर जबाब देथिन ….

विधकरि – जोग लिअ, करुआरि दिय

बर पिठार लगा पूर्व कोण पर आरतक पात साटि देथिन

अहिना चारु कोण मे कयल जायत

• जा धरि बर कोहवर क चारु कोण में आरतक पात सटैत रहता एक टा महिला निम्न फकरा पढ़ति

“असि बंगाला, बसि बंगाला

कहाँ –कहाँ सं आयल छि

हाथ में टुनटुन, पैर में बाजा

लाले बथनियाँ, कर दतमनियाँ

बाम छैथ कनियाँ, दहिन छैथ सारि

ह्रदय विचारि क लिअ उठाय॥’

• तखन बर हाथ में आम क पल्लव ल, बीच में झाँपल कनियाँ आ सारि में सं कनियाँ क चिन्हथिन आ बर क सारि हुनका मुँह में दही लगबैत छथिन

• बर तखन सोना ल क कनियाँ क सींथ नोतैत (तीन बेर सोना ल दहिना हाथ सं बर कनिया क मांग में निचा सं ऊपर करैत) छैथ

• तखन बर क कनिया क मुँह देखायल जायत अछि

वेदी पर क विध

• कन्या निरीक्षण क बाद वर वेदी पर जायत छथि ओतय पंडित मंत्र पढि विवाह क वस्त्र जे कन्यापक्ष द्वारा देल जायत अछि (मिथिला पूर्व पद्धति अनुसारे बर कन्यापक्ष क वस्त्र परिछन काल में पहिरैत छलैथ)

ओठंगर कुटनाई

सामग्री –
ऊखड़ि –समांठ
लाल धान
पीअर डोरी

• पाँच टा ब्राह्मण आ बर सब ऊखड़ि समांठ जाहि में लाल धान रहत, क चारु कात ठाढ हेता, हजाम पीरा डोरी ल पाँचों ब्राह्मण आ बर क चारु कात सं बान्हत

• पंडित मंत्र (सहस्रशीर्षा) पढता, तखन सब गोटा समांठ सं धीरे सं धान पर चोट देथिन, एहिना सात बेर दोहरायल जायत

• ओ धान क धोती क खूंट में बांधल जायत जे धोती विवाह क बेर में गाँठ-जोड़बा में उपयोग होयत

• जाहि डोरी सं हजाम ब्राह्मण सब क बांधैत अछि ओकरा खोलि राखल जायत जाकर उपयोग कन्यादान क काल में ओहि डोरी में आम क पल्लव बांधि कनियाँ बर केर हाथ में बांधल जायत

कन्यादान एवं विवाह यज्ञ

• विवाह वेदी लग चौऊखुट अरिपन रहत,

• बांस क छिप पर केरा क कोशा खोसल जायत, निचाँ क चारि भाग क वेदी बनायल जायत

• वेदी लग अहिवात, पुरहर, हाथी (जाहि पर गौर पुजल जायत) और विवाह यज्ञ क लेल सामान राखल जायत

• हजाम एकटा घैला क उल्टा क बेरि बेरि सं वेदी क चारु कोण पर राखत, आ बर अपना बामा ठेहुन सं ओकरा स्पर्श करथिन

• तखन बर कोहबर सं कनियाँ क हाथ पकड़ि वेदी पर अनता और यथास्थान दुनू गोटा बैसता तखन पिता कन्यादान करता

• पंडित द्वारा तखन विवाह विधि करायल जायत

लाजाहवन

कनियाँ क हाथ में कोनियाँ रहतनि आ बर पाछु सं कनियाँ क हाथ पकड़ने रहथिन

एक दिन पहिने जे लावा भूजल गेल छल से आ सासुर सं जे लावा आयल रहत से पंडित क मंत्र पढला पर कनियाँ क भाई ओहि कोनियाँ पर लावा देथिन आ बर कनियाँ ओकरा खसवइत वेदी क चारु कात तीन बेर घुमतैथ

शिलारोहण

कनियाँ अपन दहिना पैर शिला पर रखति आ बर ओहि शिला क हाथ सं स्पर्श क मंत्र पढ़ता

• अभिषेक
• सूर्य एवं ध्रुव दर्शन
• वर द्वारा कन्या क हृदय स्पर्श

सिन्दूर दान

कनियाँ क माँ बेटी क मुँह अपना आँचर सं झाँपि क आगु बैसथिन

बर कनियाँ क पाछु ठाढ हेता, अपना दहिना हाथ में स्वर्ण, सोन ल काठ क तामा सं कनियाँ क मांग में आगु सं पाछु मंत्रोच्चारण संग सौभाग्य सिन्दूर (भुसना सिन्दूर) पाँच बेर लगेता

तकर बाद पाँच अहिवाती सेहो कनियाँ क सिन्दूर लगेती

तखन कनियाँ क माँ अपना आँचर में खसल सिन्दूर ओहि तामा में राखि देथिन

• वर द्वारा हवन

• गठ –जोड़ी

धोती जाहि में ओठंगर में कुटल धान बान्हल गेल छल ओकरा बर क कन्हा पर राखि ओहि धोती क खुट सं कनियाँ क चादर बान्हल जायत

• स्नेह –बंधन

पंडित ओठंगर में प्रयोग कयल गेल डोरी में आम क पल्लव बांधि बर आ कनियाँ क दायाँ कलाई पर बाँधि देथिन

घूँघट

तीन बेर आगु सं वर क पिता कनियाँ क झाँपथिन आ वर जे कनियाँ क पाछू ठाढ रहता से घूंघट ऊघारता
बर क पिता कनियाँ क आभूषण आ द्रव्य देथिन आ बर –कनियाँ क आशीर्वाद देथिन
बर क पिता या जेष्ठ भाई कनियाँ क घूँघट देथिन
कनियाँ क हाथ में सिन्दूर आ बर क हाथ में पान क पाँच टा पात सुपारी आ चांदी क पाँच सिक्का (जे हुनका संगे छनि ) रहतनि

चुमौन

चुमौन क डाला पर ललका धान, दही, नारियल, फल, मिठाई, पान, सुपारी एकटा तामा में धान, चाउर, दुइभ राखल रहत
पाँच टा अहिवाती डाला क तामा सं धान ल बर क तीन बेर दुनू हाथ सं
(जाहि में पैर, ठेहुन, कंधा स्पर्श करैत पाग तक) आ कनियाँ क बामा हाथ सं एक बेर चुमेथिन आ बामा हाथे अहिवात में अपन हाथ गरम क वर आ कनियाँ क दहिना गाल सेकल जायत (एक बेर)

फेर पाँच टा अहिवाती डाला हाथ सं पकड़ि बर आ कनियाँ क माथ पर सटा आशीर्वाद देथिन

दूर्वाक्षत

५ -७ ब्राह्मण तामा सं धान ल दूर्वाक्षत मंत्र पढैत बर कनियाँ क आशीर्वाद देथिन आ श्रेष्ठ डाला क दही वर क ललाट पर लगा आशिर्बाद देथिन

दूर्वाक्षत मंत्र
“ओम आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतांमा राष्ट्रे राजन्यः शूर इष्व्योति व्याधी महारथो जयताम दोग्घ्री धेनुढा न डवानाशुः सप्तिः पुर्न्ध्रिषा विष्णुर थेषटा सभेयो युवा स्य यजमानस्य वीरो जयताम निकामे निकामे नःपज्जॅन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधय पच्यनताम् योगक्षेमो न कल्पताम् ॥ मंत्रथाँय सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः शत्रुणा बुद्धिनाशोस्तु मित्राणामुदयसत्व ॥

कोहवर

वेदी पर सं अहिवात आनि कोहवर में जरत
बर कनियाँ क हाथ पकड़ि पहिने भगवती क गोर लगता फेर कोहवर में औता
आइ कोहवर में मिठाई आ दही दूटा थारी में राखि पहिल मउहक हैत

नगहर

दु टा बोसनि में कनियाँ क पीसी या पैघ बहिन पानि भरि कोहवर में राखथिन

विवाह क दोसर दिन

कनियाँ, बर, आ विधकरी तीनो गोटे चतुर्थी दिन तक नून नय खेतैथ
भोर मे उठि कनियाँ गौर क पूजा करथिन, कनियाँ आगु बैसती आ बर हुनकर पाछू
हाथी पर एकटा सरवा पर गौर (सुपारी) राखल रहत, आगु नवेद्य, धुप अगरवात्ती आ तामा वाला सिंदूर लय कनियाँ पूजा करती . बर पूजा करवा लेल कनियाँ क फूल जल देथिन

“हे गौरी! महामाये,

चन्दन डारि तोड़ैत एलहुँ

सोहाग बटैत एलहुँ

फूल क माला आहाँ लिअ

सोहाग -भाग हमरा दिअ

स्वामी-पुत्र सहित गौर्यै नमः”

बर बामा हाथे कनियाँ क बांहल चोटी खोलथिन
कनियाँ मुठ्ठी बंद करती, बर बामा हाथे ओकरा खोलथिन

मउहक

दुपहर बाद खीर बनत, जकरा दुटा थारी में राखि ओहि में मिठाई, फल राखल जायत
कनियाँ क छोट बहिन बर क चादर क खूंट पकड़ि हाथ में अगरवत्त्ती ल कोहबर घर सं मौहक लग अनती, बर क हाथ धेने कनियाँ सेहो रहती
दु ठाम अरिपन द ओहि पर खीर बाला थारी राखल जायत
कम्बल पर बर कनियाँ बैसतैथ
विधकरी बर कनियाँ क पाछु मुँह झाँपि बिलाड़ि बनती, आ जखन म्याँऊ बाजती तखन बर हुनका आम क पात पर अपना थारी सं खीर देथिन
बर आ कनियाँ (विधकरी) अपन थारी तीन बेर फेरथिन
कनियाँ अपना थारी सं पाँच बेर आ बर अपना थारी सं पाँच बेर खीर देथिन
फेर बर ओ खीर खेता

दूर्वाक्षत आ चुमौन

रात्रि पहर विवाह स्थान पर अहिवात आ चुमौन क डाला राखल जायत
पाँच ब्राह्मण दूर्वाक्षत मंत्र पढि दूर्वाक्षत देथिन

“ओम आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतांमा राष्ट्रे राजन्यः शूर इष्व्योति व्याधी महारथो जयताम दोग्घ्री धेनुढा न डवानाशुः सप्तिः पुर्न्ध्रिषा विष्णुर थेषटा सभेयो युवा स्य यजमानस्य वीरो जयताम निकामे निकामे नःपज्जॅन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधय पच्यनताम् योगक्षेमो न कल्पताम् । मंत्रथाँय सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः शत्रुणा बुद्धिनाशोस्तु मित्राणामुदयसत्व ॥”

तखन पाँच अहिवाती बर कनियाँ क चुमौन करथिन (बर क हाथ में सदैव पान क पात, सौंस सुपारी आ चांदी क सिक्का रहत आ कनियाँ क हाथ में सिंदूर क गद्दी)
तखन बर कनियाँ भगवती क प्रणाम क कोहवर में जेथिन
(इ प्रतिदिन चतुर्थी तक होयत)

चतुर्थी

सूर्योदय सं पहिने बर कनियाँ केश खोलि क आँगन में पालो पर बैसतैथ
पाँच अहिवाती कोवर में राखल नगहर क पानि हुनका माथ पर देथिन
बर कनियाँ नहा नव वस्त्र पहिरतथि, कनियाँ आ सासुर सं आयल बिहौतल साड़ी आ सासुर सं चढल गहना पहिरती
विधकरी कोहवर क साफ़ क नव अरिपन देथिन
पंडित आइ फेर सम्पुर्ण विवाह यज्ञ करेता
विवाह सम्पूर्ण भेला क बाद बर कनियाँ आइ अपना श्रेष्ठ सब केँ प्रणाम क चुरा -दही खेता
रात्रि में कनियाँ क सासुर सं आयल माछ क भोज होयत
भोजन में बर अपना सार सब संगे भोजन करता

दनही

एक दिन पहिने सतंजा (गेहूं, धान, मटर, मुंग, चुरा, चना, राहड़ि) केँ भुजि राखल जायत
चतुर्थी क बाद कनियाँ अहिवाती सब संगे पोखैर पर जेती
एकटा चंगेरा में सतंजा, कनियाँ क वस्त्र, तेल, लाल सिंदूर आ कोनियाँ रहत
पोखैर में पाँच अहिवाती कनियाँ क माथ पर कोनियाँ सं पानि देथिन
कनियाँ नहा, नव वस्त्र पहिर पहिने अपना खोइछ में सतंजा लेती आ फेर पाँच अहिवाती क देथिन
अहिवाती सब के तेल सिंदूर लागतइन आ अहिवाती सब लाल सिंदूर कनियाँ क लगेती
पोखैर सं आवि बर कनियाँ आ विधकरी नमक देल भोजन करथिन

साँझ में सत्यनारायण भगवानक पूजा होयत

बर विदा

बर केँ भोजन करा पान खुआयल जाइत छनि
कोहवर में दीवाल पर गोबर पर चित्ती काैड़ी साटल जायत अछि
बर ओहि चित्ती कौरी पर पान क पीक फेकैत कोहवर सं निकलैत छैथ

बर भगवती क प्रणाम क निकलैत छैथ त कनियाँ हुनका पीठ (चादर) पर अपना हाथ पर सिंदूर लगा थप्पा दैत छेथिन
बर बिना पाछा तकने अपना यात्रा पर विदा भ जैत छथि

द्विरागमन

एक दिन पूर्व

कनियाँ क सासुर सं द्विरागमन सं एक दिन पहिने माछ-दही क भार आबैत अछि
जाहि में डोर -सिंदूर (एकटा सिंदूर क गद्दी लाल डोरी सं बांधल रहैत अछि), माछ, दही, कनियाँ लेल साड़ी, कनियाँ माय लेल नोर पोछना साडी अबैत अछि
कनियाँ साँझ खन माछ दही बला साड़ी पहिरैत छथि
गुड़ क पूरी पकइत अछि
द्विरागमन दिन

विदा हेबाक समय बर आ कनियाँ भगवती घर में बैसती
कनियाँ क खोंइछ भरल जायत
खोंइछ में कायल क पकयल पाँच टा पूरी, धान, जीर, जायफल, द्रव्य, गहना (जे ननदी के हेतैन), दुइभ, हल्दी परत
कनियाँ आ बर के हींग लगायल जायत, आ कनियाँ के चोटी में सुई लगायल जाइत अछि
कनियाँ का माय बामा हाथे सात बेर खोंइछ भरथि
फेर भगवती क प्रणाम क बर कनियाँ दही सं मुँह आंइठ करैत बिदाह हेता
विधकरी एकटा डाला में लाल धान लेने रहती, बर ओ धान उठा कनियाँ क अँजुली में देथिन
कनियाँ बिना पाछा तकने हाथ उठा धान पाछु फेकति जकरा पाछु ठाढ़ कनियाँ क माय अपना आँचर में लोकती

बाहर द्ववार लग एक टा सरवा में गोइठा जरैत रहत
बर कनियाँ क राइ जमइन सं निहुंछि ओहि आगि में द क सरवा पलटि देल जायत आ ओकरा पर पैर रखैत बर आगु बढ़ि जेता
सरवा पर फेर पानि द देवक छै
कनियाँ क गाड़ी में विशेष रूपे एकटा फूलही थारी में गुड़ रहत आ संगहि चुमौन क डाला (जाहि पर धान, नारियल, फल, मिठाई, दही, पान आ सुपारी रहत )
कनियाँ बर क गाड़ी दू बेर आगु-पाछु क आगु बढ़ि जायत त पछिला चक्का पर पानि खसा, कनियाँ-बर क बिदाह क सब घूरि आयत।

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