मैथिली भाषा-साहित्य केर स्वयंसेवा मे लागल भाइ रूपेश त्योथ केर जन्मदिन पर प्रवीण शुभकामना

बहुत कम उमेर मे काफी रास साहित्यिक कार्य करबाक रेकर्ड सेहो एहि धरतीपुत्र मे अछि, ई दोसर बात थिक जे हमरा बहुत प्रभावित करैत अछि। लेखन कार्य बहुत पैघ चुनौती होइत छैक। सब कियो लेखनी नहि कय सकैत अछि। गम्भीर अध्येता आ समाजक संग स्थिति, परिस्थिति, समय, काल आ देश केर ज्ञान जेकरा मे कुटि-कुटिकय भरल रहैत छैक – वैह अपन चिन्तन केर परिधि केँ वृहत् क्षेत्रफल मे पसारि साहित्यिक सेवा कय सकैछ। हालांकि ईहो सच छैक जे आजुक नक्कल करयवला संसार मे कतेको लेखक आ रचनाकार दोसराक वस्तु (सामग्री) केँ अपना नाम सँ व्यक्त कय लेखक कहेबाक सख रखैत छथि, परञ्च परीक्षाक बेर पर ओहि लेखकक लेखनी धरातलीय परिवर्तन मे कतेक भूमिका निभेलक ताहि तराजू पर तौलाइत देखार भऽ जाइत छथि। लेकिन रूपेश त्योथ अपन किछु विशिष्टता सँ भरल लेखनी करैत हमरा बुझाइत रहला अछि, संगहि हिनकर सेवाभाव आ समर्पण सेहो आर लोक सँ कनेक भिन्न देखाइत अछि। आलोचना पक्ष मे सेहो रूपेश त्योथ दूध केँ दूध आ पानि केँ पानि करबाक कला सँ भरल व्यक्तित्व बुझाइत रहल छथि। सच केँ सच कहब, झूठ केँ कहब झूठ – जतय आत्मस्वीकृति केर जरूरत हेतैक ताहि ठाम अपनहुँ वैचारिक कमजोरी केँ आत्मसात करब – ई सब कला सँ साहित्यिक स्रष्टा हमर हृदय सँ आर बेसी सम्मान पबैत छथि।
कोलकाता हिनकर कर्मभूमि छन्हि। मैथिली लेल सेहो बहुत तरहक योजनाक संग संचारक्षेत्र मे लगभग एक दशक सँ सेवा दैत आबि रहला अछि। हिनकर कहब छन्हि जे मैथिली संचार क्षेत्र मे मैथिलीभाषी विज्ञापन देबाक लेल तत्पर बनैथ, तखनहि भाषा-साहित्य केर सम्पन्नता आ प्रतिष्ठा बनल रहि सकत। जँ संचारक्षेत्र मे लगानी सँ कंजूसी होयत त आर बहुत रास तितम्भा आ आडम्बर सिर्फ देखाबटी नोर होयत जे कतेको जगह लोक सब बहबैत भेटैत छथि। बड़का-बड़का आयोजन सब कयल जाइत अछि, लेकिन ओहि आयोजनकर्ता लोकनिक आँखि मे मैथिली संचार लेल विज्ञापन वास्ते ५००-१००० टकाक विज्ञापन देबाक ऊहि नहि देखल जाइछ, ई बड पैघ विडम्बनाक बात थिक। हम त मैथिलीभाषीक धृष्टता एतेक तक देखलहुँ अछि रूपेश जी जे कोनो कार्यक्रमक विज्ञप्ति तक ओ लोकनि मैथिलीक संचारक्षेत्र मे कार्यरत टन्ना-दुक्खा संचार निर्वाहक केँ नहि पठबैत छथि, बल्कि एकटा विज्ञप्ति कपोलकल्पित बात-विचार आ अपेक्षित-हित व्यक्तिक सहभागिताक अग्रिम कल्पना सँ लिखिकय दुइ-चारि हिन्दी पत्र-पत्रिकाक पत्रकार केँ १०० टकही चाह-पानक खर्च संग दय ऐगला दिन अपन कार्यक्रमक वैह अधूरा-अशुद्ध सूचना वला समाचार केर कटिंग लय तिरपित भऽ उठैत छथि। अहाँ विज्ञापन पेबाक अपेक्षा रखैत छी, जानि ओ कहिया पूरा होयत।
जहिना सब मैथिलीकर्मी केँ आजीविका लेल किछु आर क्षेत्र मे दिन-राति मेहनत करय पड़ैत छन्हि तहिना रूपेश त्योथ जी दिन-राति अपन रोजी-रोजगार केर रक्षा करैत आब सपत्नी आ सपुत्र-सपरिजन अपन स्वाभिमानक रक्षा करैत मातृभूमि आ मातृभाषाक यथासाध्य सेवा मे सेहो लागल छथि, यैह हमरा सभक सम्बल भेल। हमर नमन!
जन्मदिन पर फेर सँ शुभकामना!!
हरिः हरः!!