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मिथिलाक लीजेन्ड नाटककार महेन्द्र मलंगियाक जन्मदिवस पर प्रवीण शुभकामना

मैथिली भाषाक महान नाटककार – साहित्यकार – विद्वान् आ संगहि-संग मैथिली केँ जनभाषा बनेबाक लेल कृत-संकल्पित महान अभियन्ता – श्री महेन्द्र झा उर्फ महेन्द्र मलंगिया जी केर आइ जन्मदिन केर जनतब मैथिली भाषाक इनसाइक्लोपीडिया डा. रमानन्द झा रमण केर वाल पर देल गेल जानकारी सँ तुरन्ते पता चलल।
 
सब सँ पहिने हमर प्रणाम – हुनक दुनू पैर छुबैत आ हुनकर सहृदयता सँ भरल दुनू हाथ अपन माथ पर लैत एकटा युगद्रष्टाक रूप मे हम प्रणाम अर्पित करैत छी। सच मे ई हमर भाग्य थिक जे एहेन महान स्रष्टा सभक सान्निध्य थोड़-बहुत समय लेल साल मे कइएक बेर भेटैत रहैत अछि। साक्षात् जानकीजीक कृपालुता सँ ई सब संभव भऽ पबैत अछि, नहि त आजुक स्वार्थहि पागल भेल भूखे दर-दर भटैक रहल मनुक्ख लेल ई सब भाग्य कतय जे विद्वान् लोकनिक सत्संग भेटत। पुनः प्रणाम।
 
आइ अपनेक जन्मदिन थिक, अपनेक दीर्घायू जीवन आ सुस्वास्थ्य संग सदैव अपन मुस्कुराइत अनुहार संग अपन सन्देश देबय मे हमरा सब केँ बेर-बेर दर्शन दैत रही – प्रवीणक यैह शुभकामना अछि। हालहि सहरसाक मिथिला आर्ट लिटरेचर एण्ड फिल्म (माल्फ) मे भेंट देलहुँ आर ओतय बड़ा सटीक सन्देश उद्घाटन सत्र मे देलियैक जे अखबारक हेडलाईन बनल छल। आर, हमरा व्यक्तिगत रूप सँ ई कहलहुँ जे किछु एहेन काज करे प्रवीण कि आम जनमानस केर संख्या साहित्य सुधारस पान करबाक दिशा मे बढौक, भाषाक महत्ता ओहो सब बुझय आर ब्यर्थक आरोप-प्रत्यारोप सँ मैथिली मुक्त हो। हम अहाँक इशारा बुझैत छी। काज चालू अछि। अहाँक नाटकक साहित्य आ तेकर मूल मर्म बहुत काजक अछि। अहाँक भीतर जे भावना अछि ताहि सँ एक दिन ई काज सफल हेतैक। बस, एखन त बुझू जे क्रान्ति शुरुए भेल अछि। हवा चारू दिशा मे बहय दियौक। सब अभीष्ट पूरा होयत। १००% गारंटी।
 
हमरा सब केँ सौराठ सभागाछीक २०११ सँ दहेज मुक्त मिथिला उद्घाटन यात्रा सँ जेना संग दैत पटना, दिल्ली, जनकपुर, काठमांडू, सहरसा, सब तैर अपने भेट दैत छियैक से आर तेकर बाद जेना अभिभावकत्वक संग अपना हाथे रसगुल्ला आ पेन्तुआ एकदम जीद्द कय केँ जे खुअबैत छी से – एतबा नहि, जखन भेटैत छी त कय बेर अपन गला सँ लगाकय आशीर्वाद दैत छी सेहो… कतेक रास स्नेह आ आशीष केर भंडार अहाँ छी से सब मोन पड़ैत रहैत अछि। एक बेर विराटनगर मे सेहो एबाक गछने छी। से भगवती संयोग जल्दी लगबैथ।
 
अहाँक लिखल नाटक पुस जाड़ कि माघ जाड़ पटनाक षष्ठम् अन्तर्राष्ट्रीय नाटक प्रतियोगिता मे १९९१ ई. मे खेलेबाक लेल भानु कला केन्द्र केर दिश सँ कलाकारक रूप मे गेल रही। पुनः एना कतेक दिन विराटनगर केर सप्तम आ काठमांडूक नाच घर मे १९९२ ई. मे खेलेने रही। आब से सब समय त नहि रहि गेल अछि, लेकिन अहाँक अभियान केँ हम सन्तानस्वरूप युवा सब जरूर आगू बढायब, संयोग सँ हमरा सभक भाइ, अपनेक सुपुत्र ऋषि भाइ सेहो तेहने जोशीला आ ऊर्जावान् अभियानी भेटिये गेल छथि। अहाँक कतेको रास सन्तान अछि, हम सब अहाँक पितातुल्य स्नेह पाबि गदगद छी।
 
नेपाल केर जनकपुर केँ कर्मक्षेत्र बनाकय दशकों-दशकों धरि जे अनुपम योगदान अपने देलियैक ताहि लेल ई पूरे राष्ट्र अहाँक योगदान केँ कदर करैत रहल, करैत रहत। मिथिलाक रंगक्षेत्र लेल अहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जेकाँ लगैत छी। शेक्सपियर त उपनाम देनहिये य कतेको लोक। अहाँक वर्तमान सृजनयात्रा पर जेना भीम बाबू मोन पाड़ने रहथि, रमेश रंजन भाइजी प्रकाश देने छलाह – २०१८ केर मलंगिया महोत्सव मे, ई सब बात सँ आत्मा जुड़ायल अछि। पुनः ईहो शुभकामना दैत छी जे सृजनयात्रा सदिखन गतिशील रहय। अस्तु! भगवान् सदैव प्रसन्न रहैत अपने लेजेन्ड लेखक केँ खूब प्रसन्न आ स्वस्थ राखथि, बेर-बेर प्रार्थना।
 
हरिः हरः!!

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