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मैथिलीक वरेण्य साहित्यकार ‘कथाकार अशोक’ केर जन्मदिवस पर प्रवीण शुभकामना

जन्मदिन पर प्रवीण शुभकामना

आदरणीय कथाकार अशोक – मैथिलीक वरेण्य साहित्यकार केँ!

आदरणीय सर – मैथिलीक वरेण्य साहित्यकार, नामहि थिकन्हि ‘कथाकार अशोक’ आर यथार्थतः विज्ञ एवं सुझ-बुझ सँ भरल स्रष्टाक रूप मे विगत किछेक वर्षक अभिभावकत्व हमरो भेटल अछि। दूरदृष्टिसम्पन्न व्यक्तित्व आ विशेष रूप सँ ई जननिहार जे ऐगला पीढी केँ वर्तमान बाजारवाद युग मे केना अपन मातृभाषाक संग जोड़िकय राखल जा सकत…. हिनकर एक परिकल्पना ‘मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल’ आ तेकर उद्देश्य जे विश्वपटल पर मैथिलीक ख्याति केँ पहुँचेबाक काज कयल जाय – ई सचमुच बहुत प्रभावकारी सिद्ध भेल अछि।

विदिते अछि जे महाकवि विद्यापति केर स्मृति दिवस त हमरा लोकनि कइएको ठाम मनबैत छी, धरि ताहि स्मृति समारोह किंवा दिवस किंवा महोत्सव मे ‘भाषा-साहित्य’ प्रति चिन्तन नगण्य रहैत अछि (बेसीतर) – आर ताहि स्थिति मे क्रान्तिकारी परिवर्तन अनलक अछि ‘मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल’। त कि कयल जाय, केना कयल जाय, केना पीढी-दर-पीढी परम्परा आगू बढत, कोन-कोन तरहक विषय केँ विमर्श मे आनल जाय, आदि-इत्यादि अनेकों बात पर पूर्ण मनोयोग सँ परिकल्पना विकसित कयनिहार पटना मे रहनिहार पूज्य व्यक्तित्व लोकनि मे सँ एक आदरणीय कथाकार अशोक सर केर आइ जन्मदिन थिकन्हि।

पूरा सामाजिक संजाल मे आइ सब कियो सर केँ बधाई, शुभकामना आ हिनकर ओजस्वी विचार सँ सीखल-गुनल बात सब केँ मोन पाड़ि रहल छथि। हमहीं लेट भऽ गेल रही। ई मौका हमरो हाथ सँ नहि जाय – ताहि लेल हृदय सँ सर केर जन्मदिवस पर शुभकामना दैत आगामी समय मे आरो महत्वपूर्ण कार्य सब कयल जाय, आर्थिक विकास, पर्यटकीय विकास आ यथार्थ सरोकार सभक विन्दु पर सेहो मैथिली भाषा-साहित्य अपन डेग बढबय – सिर्फ पोंगापन्थी मे नहि लटकल रहय, ताहि दिश ध्यानाकर्षण करबैत पुनः दीर्घायू व सुस्वास्थ्य संग हमरा सब केँ अपन सान्निध्य दैत रहबाक कामनाक संग – अपनेक प्रवीण।

हँ, एक बात आरो विशेष रूप सँ स्मरण करय चाहब – जखन कोनो जमीनी आयोजन हो, अपने सदैव आशीर्वाद रूप प्रोत्साहन दैत रहलहुँ, ई विशेष लगैत अछि। दहेज मुक्त मिथिलाक मैराथन दौड़ केर कन्सेप्ट या अन्य कोनो जमीनी आन्दोलन मे अपने स्वयं सहभागिताक शब्द दैत आरो उत्साह दोब्बर कय दैत छी। भगवती सदिखन अहाँ केँ एहिना ऊर्जावान बनेने रहथि। ॐ तत्सत्!

हरिः हरः!!

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