मिथिलाक सुप्रसिद्ध विद्वान् एवं विचारक डा. रामदेव झा केर फेसबुक पेज सँ ई तथ्य सोझाँ आयल जे भारतक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केँ ‘महात्मा’ उपनाम सँ मिथिला द्वारा पहिले सम्मानित कैल जेबाक लिखित दस्तावेज भेटैत अछि। ओ अपन विचार रखैत मिथिला मिहिर पत्रिकाक प्रकाशन, गाँधीजी केर चंपारण सँ शुरु कैल सत्याग्रह आ सम्बन्धित समाचार मे प्रयुक्त सम्मानजनक संबोधन ‘महात्मा गाँधी’ केर उल्लेख करैत प्रकाशित समाचारक सन्दर्भ सोझाँ रखैत छथि।
एहि सन्दर्भ उपलब्ध चर्चादि पर विचार केला सँ ज्ञात होइत अछि जे तत्कालीन समाज मे लब्ध प्रतिष्ठित कवि रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा अपन अनेको राष्ट्रस्तरीय प्रकाशन व संबोधनादि मे ‘महात्मा’ शब्द गाँधीजी लेल प्रयोग केलनि। तहिना २१ जनबरी, १९१५ ई. केँ जेतपुरक नगर सेठ (मेयर समान पद) श्री नौतमलाल भगवानजी मेहता द्वारा सर्वप्रथम गाँधीजी केँ सम्मानित करैत बाकायदा प्रशंसा पत्र सेहो हस्तान्तरित केने छल। टैगोर द्वारा गाँधी केँ कहिया आ कोन सन्दर्भ सँ महात्मा पहिल बेर कहल गेल तेकर कोनो दस्ताबेज प्रकाश मे नहि अछि। लेकिन ई मानल जाइत अछि जे १९१५ ई. मे टैगोर द्वारा लिखल गेल अपन आत्मकथा मे गाँधीजी द्वारा हुनका गुरुदेव कहि संबोधन करबाक प्रति उपकृत मनोभावना रूप मे महात्मा कहि गाँधी केँ सम्मान देलनि, अत: प्रथमत: एक मान्य आ अति सम्मानित व्यक्तित्व टैगोर द्वारा गाँधी केँ महात्मा गाँधी बनेबाक बात इतिहास सेहो मानैत अछि।
डा. रामदेव झा द्वारा देल गेल सन्दर्भ आ उपरोक्त मानपत्र सहित रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा प्रयोग कैल सम्मानजनक प्रतिष्ठित संबोधन सँ गाँधीजी ‘महात्मा’ बनि संबोधित होमय लगलाह आ हर हिसाब सँ मिथिलाक जाग्रत समाजक भूमिका एहि मे उल्लेखनीय अछि। तहिना हालहि एक सूचनाक अधिकार केर प्रयोग करैत प्रधानमंत्री कार्यालय सँ एहि विषय पर जानकारी उपलब्ध करेबाक माँगक जबाब मे भारतक दुइ महत्त्वपूर्ण संस्था भारतीय ऐतिहासिक शोध परिषद् तथा नेशनल आर्काइव्स अफ ईन्डिया द्वारा कहल गेल अछि जे एहि तरहक कोनो लिखित दस्ताबेज एहि संस्थानक पास उपलब्ध नहि अछि।
गांधीजीकें “महात्मा ओ कर्मवीर”क उपाधिक श्रेय मिथिलाकें छैक।
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महात्मा गांधीक चम्पारण-सत्याग्रहक समयमे दरभंगासँ मिथिला-मिहिर साप्ताहिक पत्र प्रकाशित होइत छल। ई पत्र यदाकदा गांधीक आन्दोलनक समर्थनमे समाचार-लेख प्रकाशित करैत छल। 14अप्रैल 1917 कें गांधी चम्पारण पहुँचला आ 21 अप्रैल 1917क अंकमे गांधीजीपर भेल मोकदमाक विस्तृत विवरण प्रकाशित भेल। मिथिला-मिहिरमे प्रकाशित चम्पारणमे गांधी-विषयक लेख तिथि सहित शीर्षक देखल जा सकैछ।
21 अप्रैल 1917:- महात्मा गांधीक उपर मुकदमा।
05 मइ 1917:- बेतियामे कर्मवीर गांधी
12 मइ 1917:- चम्पारणमे महात्मा गांधी, महात्मा गांधीक चरित।
19 मइ 1917:- महात्मा गांधी और निलहे साहब।
26 मइ 1917:- मातृभाषा हिन्दीक प्रचार
16 जून 1917:- महात्मा कर्मवीर गांधीकें बैलयबा लेल निलहा साहेबक षड्यंत्र
23 जून 1917:- महात्मा गांधीक आदर्श चरित्र
24 नवम्बर 1917:- महात्मा गांधीक दृढ़ता
आइ धरि कोनो एहन प्रमाण नहि भेटल अछि जाहिमे 21 अप्रैल 1917 सँ पूर्व गांधीकें “महात्मा गांधी” कहल गेल होइनि। अत: गांधीकें महात्मा उपाधि अर्पित करबाक ऐतिहासिक श्रेय मिथिला-मिहिर, मैथिली भाषा ओ मिथिलाभूमिकें छैक।
– डा० रामदेवझा
एक अन्य रोचक जानकारी उपरोक्त शोधकाल अभरल जे महात्मा गाँधी केँ ‘राष्ट्रपिता’ कहि संबोधन कएनिहार सर्वप्रथम हुनकर सिद्धान्त सँ इतर चलनिहार, यानि गाँधीक नरम दल बिपरीत गरम दल केर संस्थापक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा कैल गेल अछि। १९४४ ई. रंगून सँ रेडियो पर बजैत नेताजी भारतक ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ पर अंग्रेजी हुकुमत सहमत होयत से कहैत हुनका लोकनिक विश्वास ताहि पर नहि रहबाक बात सेहो कहलैन। अपन संघर्ष अंग्रेजी हुकुमत विरुद्ध जारी रखबाक बात कहैत गाँधी प्रति लक्षित संबोधन राष्ट्रपिता सँ ताहि लेल आशीर्वाद आ प्रोत्साहनक माँग सेहो कएने छलाह। अर्थात् गाँधीजी केँ राष्ट्रपिताक रूप मे देखनिहार प्रथम व्यक्ति नेताजी केँ मानल जाइछ।
नेताजीक संबोधनक शब्द:
“Nobody would be more happy than ourselves if by any chance our countrymen at home should succeed in liberating themselves through their own efforts or by any chance, the British Government accepts your `Quit India’ resolution and gives effect to it. We are, however proceeding on the assumption that neither of the above is possible and that a struggle is inevitable.Father of our Nation in this holy war for India’s liberation, we ask for your blessings and good wishes.” – स्रोत: याहू एन्सर्स