सी-टेट परीक्षा मे मैथिली भाषाक विकल्प कियैक नहि?

ओ लिखलनि अछि जे सी-टेट (CTET) परीक्षा – यानि केन्द्र द्वारा लेल जायवला शिक्षकक योग्यता जाँच – सेन्ट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट मे सँ मैथिली केँ हँटायब मिथिलावासीक अपमान थिक। ई विषय हमरा लेल नव छल। हुनका सँ कनेक विस्तार मे फरियाकय लिखबाक अनुरोध कयलहुँ त ओ कहलनि जे एहि जाँच मे मैथिली भाषा केँ शामिल करितय तऽ मिथिलाक लोक केँ लाभ होइतैक, मैथिली भाषाक विकल्प ऐच्छिक भाषा किंवा माध्यम आदिक रूप मे चयन करबाक एकटा नीक विकल्प भेटितैक। हम हुनका एहि वास्ते आश्वस्त कयल जे संचारधर्मक मूल नियम अनुसार एहि विन्दु पर अपन अध्ययन गहिंर करैत समाधानक वातावरण तैयार करब।
पहिने पृष्ठभूमि बुझीः
भारत मे उपरोक्त परीक्षा राज्य तथा केन्द्र दुनू लैत अछि। केन्द्र द्वारा ई परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा लेल जाइत छैक। सीबीएसई केर करिकुलम (पाठ्यक्रम) मे एखन धरि मैथिली भाषा केँ शामिल नहि कयल गेनाइ पहिल गलती थिकैक। संभवतः यैह कारण सी-टेट परीक्षा मे २ गोट भाषा, प्रथम आ द्वितीय भाषाक रूप मे चयनक विकल्प लेल कुल २० गोट भाषाक विकल्प देल जाइत छैक, आर एहि २० मे मैथिली शामिल नहि छैक। अंग्रेजी (English), हिन्दी (Hindi), असमिया (Assamese), बंगाली (Bengali), गारो (Garo), गुजराती (Gujarati), कन्नड़ (Kannada), खासी (Khasi), मलयालम (Malayalam), मणिपुरी (Manipuri), मराठी (Marathi), मिजो (Mizo), नेपाली (Nepali), ऊड़िया (Oriya), पंजाबी (Punjabi), संस्कृत (Sanskrit), तमिल (Tamil), तेलगु (Telugu), तिब्बती (Tibetan) आ ऊर्दू (Urdu) – यैह २० भाषा मात्र सी-टेट परीक्षाक वैकल्पिक भाषाक रूप मे चयन कय सकैत अछि अभ्यर्थी-प्रतियोगी उम्मीदवार। आर, मैथिलीभाषी संग प्रत्यक्षतः उपेक्षा कयल जेबाक बात सुस्पष्ट अछि।
सी-टेट परीक्षाक जन्म
भारत मे शिक्षाक अधिकार संविधानप्रदत्त मौलिक अधिकार मे पड़ैत अछि। विशेष रूप सँ ६ वर्ष सँ १४ वर्षक बाल-बालिकाक लेल मुफ्त आ अनिवार्य शिक्षा देबाक नीति भारतीय संविधानक अनुच्छेद २१ (अ) अन्तर्गत अबैत अछि। ४ अगस्त २००९ केँ The Right of Children to Free and Compulsory Education Act or Right to Education Act (RTE) – शिक्षाक अधिकार अधिनियम भारतीय संसद द्वारा लागू पारित करैत लागू कयल गेल। एहि अधिनियम अन्तर्गत मुफ्त आ अनिवार्य शिक्षा कोन तरहें प्रदान कयल जायत तेकर स्वरूप निर्धारण कयल गेल अछि। १ अप्रैल, २०१० जहिया सँ ई कानून नियमन कयल गेल तहिया सँ भारत ओहि १३५ देश मे शामिल भऽ गेल जतय शिक्षा केँ प्रत्येक बच्चाक वास्ते मौलिक अधिकार केर रूप मे मान्यता भेटल। एकरा अन्तर्गत निजी विद्यालय मे सेहो २५% स्थान बच्चा सभ लेल आरक्षित करबाक – पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशीप केर सिद्धान्त पर सरकार संग सहकार्य मे करबाक प्रावधान अछि। ई आरक्षण बच्चाक आर्थिक अवस्था अनुरूप तय कयल जाएछ। तहिना बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयक संचालन केँ एहि अधिनियम द्वारा वर्ज्य कयल गेल छैक। कोनो डोनेशन या बच्चाक अभिभावकक इन्टरव्यु आदि केँ यैह अधिनियम रोक लगेलक। एहि तरहक कतेको प्रावधान केर व्यवस्था संग ई अधिनियम भारतीय शिक्षा पद्धति मे क्रान्तिकारी सुधार लेल जानल जाइत अछि।
सी-टेट परीक्षाक शुरुआत
आरटीई एक्ट (शिक्षाक अधिकारक अधिनियम) केर धारा २३ केर अनुच्छेद १ मे National Council for Teacher Education (NCTE) द्वारा २३ अगस्त २०१० केँ अधिसूचना जारी करैत कक्षा १ सँ ८ धरि पढेबाक अधिकार वास्ते कोनो व्यक्तिक न्युनतम योग्यता कतेक हो तेकर व्यवस्था कयल गेल अछि। एहि अन्तर्गत ओहि व्यक्ति केँ ‘शिक्षक योग्यता जाँच’ – Teacher Eligibility Test (TET) पास करय पड़त आर ई परीक्षा NCTE केर निर्धारित नियम अनुसार सरकार द्वारा लेल जायत। CBSE एहि CTET परीक्षा केँ साल मे दुइ बेर आयोजित करैत अछि। लगभग १० लाख प्रतियोगी एहि परीक्षा मे २०११ सँ भाग लैत आबि रहल अछि। भारत सरकारक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ई भार Central Board of Secondary Education Delhi केँ सौंपने अछि।
मैथिली संग उपेक्षा कियैक? समाधान लेल कि उपाय?
आब चिन्तनीय विन्दु ई थिक जे मैथिली भाषा संविधानक आठम अनुसूची मे दर्ज रहितो, संविधान अन्तर्गत प्राथमिक शिक्षा मातृभाषाक माध्यम मे रहबाक सम्बन्धित प्रावधान ‘मौलिक अधिकार – Fundamental Right’ अन्तर्गत रहितो मैथिली केँ टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट सँ बाहर कियैक राखल गेल? यूजीसी नेट केर परीक्षा संचालनक भार सेहो सीबीएसई द्वारा कयल जाइत अछि आर ताहि मे मैथिली भाषा शामिल अछि। तखन शिक्षक केर योग्यता जाँच मे – प्राथमिक शिक्षा मे मैथिली भाषाक विद्यार्थी लेल मैथिली भाषाक शिक्षक उम्मीदवार केँ एहि भाषाक चयन लेल अधिकार सँ वंचित कियैक कयल जा रहल अछि? कि एहि बातक पाछाँ पूर्ववर्ती सरकार जे २०१० मे सारा प्रावधान निर्धारित कयलक ओत्तहि सँ मैथिलीभाषी प्रति विभेद शुरू केलक? – एहि सब बातक जबाब लेल मानव संसाधन विकास मंत्रालय सँ उचित प्रतिनिधित्व करैत समाधान ताकल जेबाक आवश्यकता अछि। मैथिलीक उपेक्षा दूर करबाक लेल एकटा वृहत् विज्ञप्ति संग मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी संग भेंट कयल जेबाक चाही। हमरा संज्ञान मे एहि सँ पूर्व ई मामिला नहि आयल छल, निश्चित किछुए दिन पूर्व मंत्री प्रकाश जावड़ेकरजीक पुतला दहन कार्यक्रम दिल्लीक जन्तर-मन्तर पर एकटा न्युज आर्टिकल केर आधार पर होएत देखने रही। परञ्च एहि विषय पर मंत्रीजी वा मंत्रालय वा परीक्षा संचालन निकाय सीबीएसई आदि केर ध्यानाकर्षण कतहु भेल, संसद मे कहियो प्रश्न उठल, बिहार राज्य द्वारा केन्द्र सँ असन्तुष्टि जाहिर कयल गेल, ई सब बात हमरा संज्ञान मे नहि आयल आ नहिये तकला पर कतहु भेटल।
अफसोस, मैथिलीभाषी मे सब कियो प्रवीण नायक समान सोचितो नहि छथि जे अपन भाषा संग भऽ रहल विभेद केँ कोना दूर कयल जाय। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति केँ धन्यवाद जे कम सँ कम सरकारक फैसला केँ एहि बेर विरोध करैत मुद्दा केँ प्रकाश मे अनबाक प्रयास कयलक अछि। निश्चिते एहि दिशा मे आरो महत्वपूर्ण डेग उठल होयत ई अपेक्षा करैत छी। संगहि, जनप्रतिनिधि लोकनिक ध्यान सेहो एहि दिशा मे जाइक से आह्वान करैत छी। सोशल मीडिया पर एहि चर्चा केँ एतेक ज्यादा कयल जाय जाहि सँ हरेक मैथिलीभाषी संग भऽ रहल अत्याचार – केन्द्र सरकारक बदनियत केँ साफ कयल जा सकय। वर्तमान सरकार निश्चित सकारात्मक डेग लेत आर मैथिली भाषाक विकल्प शीघ्र जोड़त, ई विश्वास अछि।
हरिः हरः!!