साहित्य अकादमी पुरस्कार आ विवाद


एम्हर सच्चाई लेल सब दिन विद्रोह पर उतारू प्रगतिशील विचारधाराक कवि, गीतकार, गजलकार, लेखक, संपादक, उद्घोषक, फिल्मकार, कलाकार, विचारक आ आरो कतेक रास गुण-धर्मक वाहक “किसलय कृष्ण” एकटा आरो नया रहस्योद्घाटन करैत दोसर बाल-साहित्य पुरस्कार पर सेहो सवाल ठाढ कयलनि अछि। ओ पुनः पुरस्कार देबाक प्रक्रिया पर आरोप लगबैत पुरस्कार लेल निर्धारित नियमक घोर उल्लंघन हेबाक बात कहलनि अछि। मैथिली साहित्यक पुरोधा विभूति आनन्द तथा अजित आजाद सेहो एहि तर्क सँ सहमत छथि जे पुरस्कार लेल चयनित पोथी आ लेखक केर पूर्व प्रकाशित कृति सभक बिना जाँच-पड़ताल कएने नव प्रकाशन जँ पूर्वहि केर प्रकाशित कोनो दोसर भाषाक पोथी अनुवादित हो तऽ एहेन पोथी केँ पुरस्कार लेल चयन करब नियमक बिपरित होएत छैक। त कि एक्के लेखक जँ अपनहि आन भाषाक लिखल पोथी पुनः मैथिली मे प्रकाशित करय, किंवा पुनर्संशोधन मे ७५% नव बात लिखैत नव पोथी प्रकाशित करय तखनहुँ अनुचित हेतैक? हमर एहि सवाल पर किसलय कृष्ण ६०% नव बात एहि पुरस्कृत पोथी मे भेट जायत त संन्यास ग्रहण करबाक दाबी ठोकि देलनि। पुरस्कार लेल निर्धारित मापदंड केर अध्ययन सँ ई सब बात ज्ञात होएत छैक – विस्तार सँ एकर विवरण साहित्य अकादमीक वेबसाइट पर उपलब्ध छैकः http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/rulesBSP.pdf – एहेन स्थिति मे स्वयं लेखक बैद्यनाथ झा कहैत छथि जे पूर्व प्रकाशित पोथी ‘छतरी में छेद’ जे कि हिन्दी मे छल ताहि मे सँ एक-आध टा कथा मैथिलीक एहि पुरस्कृत प्रकाशन मे समावेशित अछि। आब रहलैक बात ‘एक-आधटा’ आ ‘नियम बिपरीत ७५% सँ कम नव बात सहितक प्रकाशन’ – एकरा सेहो समय पर निराकरण हेतु छोड़ि देल जाय। कारण, हरेक बेर विवाद सँ मैथिलीक कतेक हित होएत छैक, ई बात पिछला कतेको दशक सँ हमरा लोकनि देखिये रहल छी।
बाल साहित्य पुरस्कार केर निर्णायक मंडल सदस्य डा. महेन्द्र झा सँ जिज्ञासा कयला उत्तर ओ कहलथि जे पूर्व मे प्रकाशित रचना निर्धारित समय-सीमा भितरहि केर प्रकाशन सँ चारि गोट कथा लेने छथि पुरस्कृत रचनाकार, कुल २१ गोट कथा सहितक नव पोथी मे चारि गोट कथा निर्धारित मानदंड अनुरूप छैक। तैँ, एहि तरहक आरोप निराधार अछि। युवा पुरस्कार केर निर्णायक मंडल सँ सम्पर्क नहि होयबाक कारण निक्की प्रियदर्शिनीक पोथी कियैक छँटायल ताहि बातक जनतब नहि भेटि सकल अछि। परञ्च सूत्र सँ ज्ञात भेल अछि जे समावेशिकताक सूत्र आ मैथिली मे सब वर्गक सहभागिताक प्रोत्साहन लेल उमेश पासवान केर कृति केँ पुरस्कार वास्ते चयन कयल गेल अछि।
सिस्टम पर सवाल
साहित्य अकादमी द्वारा निर्धारित समस्त नियम-कायदा अपना जगह दुरुस्त छैक। तखन पोथी चयन प्रक्रिया, निर्णयकर्ता द्वारा निर्णयक प्रक्रिया, कार्यकारिणी मंडलक संयोजक व सदस्य लोकनिक भूमिका आदि जाहि तरहें आइ कतेको वर्ष सँ नियम-कायदाक अनदेखी करैत अपन व्यक्तिगत जुड़ाव-लगाव वा अन्य प्रलोभन, स्वार्थ, जातीय संकीर्णता आदि अवयवक आधार पर कोनो पुरस्कार घोषणा करैत वा करबाबैत छथि त विवाद स्वतः हेब्बे टा करतैक। नाम नहि उल्लेख करबाक बात कहैत एक गोट पूर्व ज्युरी मेम्बर कहलथि जे निर्णायक मंडली पर बहुतो तरहक दबाव रहैत छैक। बहुमत सँ कयल जायवला फैसला मे निर्णायक लोकनि द्वारा देल गेल सुझाव अन्तिम मे कार्यालय सचिव तक पहुँचि जाइत छैक आर ताहि स्तर पर दखलंदाजी भेलाक बादे कोनो संशोधन वा सुधार करैत निर्णय केँ दोहरायल जाइत छैक। अन्यथा, जाहि लौबीक जेहेन पैरवी रहल, तेकरा द्वारा तेहने पुरस्कार केर घोषणा समस्त नियम-कायदा केँ ताख पर राखि कय देल जाइछ। तहिना पूर्व ज्युरी मेम्बर डा. केष्कर ठाकुर अपन विचार मे कहैत छथि जे नियम-कायदा अक्षरशः पालन करब कठिनाह होएत छैक, लेकिन ई कहब जे सब बात केँ ताख पर राखि मनमानी निर्णय होएछ ताहि सँ हम व्यक्तिगत रूपें सहमत नहि छी। हमहुँ अपन योगदान दैत आयल छी आर जतय नियम बिपरीत कोनो बात होएत अभरल तेकर जानकारी सम्बन्धित पक्ष केँ करबैत निर्णय केँ सही दिशा मे आगू बढेने छी।
संचारधर्मक निर्वहन करैत यैह सवाल किछु प्रसिद्ध मैथिली स्रष्टा लोकनि सँ कयल। आउ देखी, किनकर प्रतिक्रिया केहेन अछिः
अशोक मेहता कहैत छथिः
मैथिलीक साहित्य अकादेमी पुरस्कार आ विवाद प्रायः अनिवार्य स्थिति भ’ गेल अछि। मूल, अनुवाद, युवा आ बाल साहित्य पुरस्कार मुख्यतः यैह चारिटा सभक नजरि पर रहैत छै। एहिमे युवा छोड़ि प्रायः शेष तीनूक घोषणा क बाद किछु ने किछु रड़धुम्मस होइते रहै छै। एकर लेल किछु लोहा आ किछु लोहारक दोष। एहि बेरक बाल पुरस्कारक घोषणा केँ सेहो एहि रुपेँ देखल जएबाक चाही। थोड़ेक अनसोहांत लागल विजेताक स्पष्टीकरण। हँ, युवा पुरस्कार लेल निर्णायक मंडली केँ बधाइ। मैथिली मे एहि प्रकारक चयनक खगता अछि। जाहि संवर्गक रचनाकार छथि ओहि समाज क लेल ई गर्वक बात अछि। ई प्रेरणादायक निर्णय थीक। मैथिली भाषा लेल उपादेय सेहो। मुदा, ई क्रम बनल रहबाक चाही। एहि मादें एहिबेरक मैथिली मचान, काठमांडू मे बेस चर्चा भेल छल। हम ओहि दिनक प्रतीक्षा करी जहिया पुरस्कार सभक लेल प्रसन्नता आनत।
कथाकार अशोक कहैत छथिः
प्रवीण जी, जूरी सभक नाम हमरा नहि बूझल अछि। साहित्य अकादेमीक वेबसाइट पर भेटि सकैत अछि। युवा आ बाल पुरस्कार बला पोथी सभ हम एखन धरि नहि पढने छी। उपलब्ध नहि भेल अछि। पोथी क उपलब्धता एक पैघ समस्या छैक। जखन ककरो पुरस्कार भेटैत छै त’ ओ पोथी चर्चा मे अबैत छै। तखन किछु लोक ताकि क’ ओकरा पढैत अछि। हमहूँ आब ताकब आ पढब। ओना मोटामोटी दूनू गोटे के जे पुरस्कार भेटलनि अछि से हमरा नीक लागल अछि। तखन विवाद त’ आब जरूरी जकाँ भ’ गेलैक अछि। भेटतै त’ कोनो एके गोटा के। शेष जे रहैत छथि से रूष्ट होइत छथि। दोसर बात जे विवाद बा पुरस्कार मे मनमानी सँ सम्बन्धित अछि से ई जे मैथिलीक कोनो पोथी बेसी सँ बेसी पाठक पढिते नहि छथि तखन झिंगो बेस झिंगुनियो बेस। पाठक जँ मैथिली पोथी के भेटि जेतैक त’ पुरस्कार मे गड़बरी ओहिना कम भ’ जायत। जेना पारदर्शिता सँ भ्रष्टाचार कम होइ छै तहिना बेसी सँ बेसी पाठक द्वारा पोथी सभ पढल गेला सँ निम्न कोटिक पोथी के पुरस्कार नहि भेटि सकतै। मुदा से हैत नहि तैँ पुरस्कार विवादित होइते रहत।
अजित आजाद कहैत छथिः
पुरस्कार पर कहियो कोनो टिप्पणी नै देब। यदि कहियो देबो करब त पॉजिटिवे देब। निगेटिव नै। सहमति आ असहमति चलैत रहैत छैक। ई प्रक्रिया छियैक किसलय जीक तर्क सही छनि। सावधानी राखक चाही मुदा आब घिनेला सँ की। तीन फेज में किताब शार्ट लिस्ट होइत छैक। तीनू फेजक जूरी के विवेक सम्मत निर्णय लेबाक चाही।
संजीव सिन्हा कहैत छथिः
अहां सीधे प्रेममोहन मिश्र जी सं गप क’ लिअ। मुदा, हुनकर नंबर हमरा लग नहि अछि।
कैलाश कुमार मिश्र कहैत छथिः
एखन गया आएल छी एक सेमीनार मे। काल्हि राँची जाएब। राँची सँ 26 जून क दिल्ली जएबाक अछि। काल्हि धरि साहित्य अकादमी पर किछु लिखब। बाकी कि कहू?
डा. चन्द्रमणि झा कहैत छथिः
अजीत आजादजीकेँ सबटा पता रहैत छन्हि। हमरा कोनो ग्रुप ने छल,ने अछि आ ने होएबाक कोनो संभावना।
कार्यकारिणी मंडल सदस्य डा. अशोक अविचल सहित किछेक अन्य अनुभवी स्रष्टा यथा डा. राम चैतन्य धीरज, डा. रमानन्द झा रमण, अशोक झा (मिथिला विकास परिषद् कोलकाता, पूर्व परामर्शदात्री समिति सदस्य) आदिक जबाब एखन धरि प्रतिक्षित अछि। आगामी फलो अप समाचार मे एहि सब विन्दु पर पुनः खोजमूलक संवाद संचरण कयल जायत। एखन आम जनमानस मे मैथिलीक पुरस्कार सम्बन्धित कथाकार अशोक केर कथन अनुसार पठन-पाठन आ पोथीक उपलब्धता आदिक समस्या केँ यथानुरूप स्वीकार करैत एहि लेख केँ एतहि विराम दैत स्थिति मे सुधार लेल सभक एकजुट प्रयासक अपील करैत छी।
हरिः हरः!!