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कि थिकैक मनुवाद और ब्राह्मणवाद

आलेख – साभार ‘वेब दुनिया’

अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी

भारतीय राजनीति मे सेक्युलरवादि जाहि दुइ शब्दक सर्वाधिक उपयोग या दुरुपयोग केलक अछि से थिक ‘मनुवाद और ब्राह्मणवाद।’ एहि शब्द केर माध्यम सँ हिन्दु मे विभाजन कय केँ दलितक वोट तोड़ल जा सकैत अछि आर ओकर धर्मान्तरण करायल जा सकैत अछि। मनुवाद केर आड़ मे कि धर्मान्तरणक कुचक्र रचल जा रहल अछि? बहुतो रास लोकक मोन मे आब ई सवाल उठय लागल छैक आर एकरा लय केँ रोष सेहो काफी बढ़ि गेल अछि।
अधिकांश लोक मे भ्रम छैक जे मनु कियो एकटा व्यक्ति छलाह जे ब्राह्मण छलाह। जखन कि तथ्य ई छैक जे मनु एकटा राजा छलाह। एकरा अलावे मनु एक नहि एखन धरि १४ टा भऽ गेलाह अछि। एहि मे सँ सेहो स्वयंभुव मनु और वैवस्वत मनु टा केर चर्चा बेसी होएत अछि। एहि दुइ मे सँ स्वयंभुव मनु सँ टा मनु स्मृति केँ जोड़ल जाएत अछि।
मनुक बारे मे दोसर भ्रम मनु संहिता केँ मनुवाद बना देनाय थिक। दरअसल ई मनुवाद शब्द पिछला ७० वर्ष मे प्रचारित कयल गेल शब्द थिक। संहिता और वाद मे बहुत अंतर होएत छैक। संहिताक आधार आदर्श नियम सँ होएत छैक जखन कि वाद दर्शनशास्त्र केर विषय थिक। जेना अणुवाद, सांख्यवाद, मार्क्सवाद, गांधीवाद आदि। उल्लेखनीय अछि जे ई दलित शब्द सेहो पिछला किछु वर्ष मात्र मे प्रचलित कयल गेल। एहि सँ पहिने हरिजन शब्द महात्मा गांधी प्रचलित कयने छलाह। एहि सँ पहिने शूद्र शब्द अंग्रेज केर काल मे प्रचलित भेल और ताहि सँ पहिने क्षुद्र शब्द प्रचलन मे रहल। ठीक तहिना मनुवाद और ब्राह्मणवाद सेहो वामपंथी सभक देन थिक।
किछु लोक मानैत अछि जे बाबा साहब अंबेडकर जाहि तरहें संविधान लिखलनि ताहि तरहें प्राचीनकाल मे राजा स्वायंभुव मनु द्वारा ‘मनु स्मृति’ लिखल गेल। जाहि तरहे संविधान मे संशोधन होएत गेल तहिना ओहि काल मे ‘मनु स्मृति’ मे सुविधा अनुसार हेरफेर होएत गेल। अंग्रेजक काल मे एहि मे जबरदस्त हेरफेर भेल।
कहय नहि पड़त जे मनु स्मृति मे योग्यता केँ सर्वोच्च मानल गेल छैक आर यैह कारण अकर्मण्य, आलसी, विधर्मी लोक एकरा अपना विरुद्ध मानि लेलक आर वैह सब लोक भ्रम पसारय मे जुटि गेल। एकरे आगि पर राजनीतिक रोटी नीक सँ सेकल जा सकैत छैक आर एकरे माध्यम सँ कालांतर मे धर्मान्तरण होएत रहल छैक आर एखनहुँ धरि ई क्रम जारी अछि। एकर कारण यैह जे गरीब, मजदूर, आदिवासी और वनवासी लोक नहि तँ अपन धर्म केँ नीक सँ जनैत अछि आर नहिये अपन देश केँ। ओकरा लेल तऽ ओकर सबसँ बड़का धर्म रोटी केर जोगाड़ करब होएत छैक।
ब्राह्मण वाद कि थिक? जाहि तरहें मनुवाद जेहेन कोनो वाद नहि अछि ओहि तरहें ब्राह्मणवाद सेहो कोनो वाद नहि थिक। लेकिन किछु लोक कहैत छथि जे कोनो नियम, कानून या परम्परा केर तहत जँ कोनो व्यक्ति केँ ओकर जाति, धर्म, कुल, रंग, नस्ल, परिवार, भाषा, प्रांत विशेष मे जन्महि केर आधार टा कोनो कार्य लेल योग्य वा अयोग्य मानि लेल जाय तऽ ओ ब्राह्मणवाद कहाएत अछि। जेना पुजारी बनबाक लेल ब्राह्मण कुल मे पैदा भेनाय। ब्राह्मणवाद केर बारे मे आम जनताक सोच एतबे धरि सीमित अछि।
आइ-काल्हि यैह भऽ रहल छैक आरक्षण केर नाम पर। कोनो जाति, धर्म, कुल, रंग, नस्ल, परिवार, भाषा, प्रांत विशेष मे जन्म केर आधार टा आरक्षण देल जा रहल छैक।  यैह तऽ ब्राह्मणवाद केर आधुनिक रूप थिक। एहि तरहक प्रत्येक वाद ब्राह्मणवाद त छी। फेर चाहे ओ नारीवाद हो, किसानवाद हो, अल्पसंख्यक वाद हो, वंशवाद हो; सभक सभ ब्राह्मणवाद टा छी कियैक तऽ एकर निर्धारण योग्यता सँ नहि जन्म सँ होएत छैक।
आइ कियो महिला, कियो किसान, कियो पिछड़ा, कियो अल्पसंख्यक, कियो दलिते वर्ग संपन्न और सक्षम भऽ गेलाक बादो आरक्षण केर सुविधा केँ त्यागय लेल तैयार नहि अछि। आइ एकटा किसान करोड़ो केर कार मे घुमियोकय इनकम टैक्स देबा सँ इनकार कय सकैत अछि। एकटा दलित विशेष कानून केर सहारा लय केँ केकरो गिरफ्तारी करबा सकैत अछि। एकटा महिला अपन अधिकार केर दुरुपयोग कय केँ केकरहु जिंदगी बर्बाद कय सकैत अछि। अर्थात् एकरे सभक वचन टा सत्य और स्व:प्रमाणित मानि लेल जाएत छैक आर जेना कोनो समय ब्राह्मणहि केर वचन केँ सत्य मानि लेल जाएत छल। यैह तऽ ब्राह्मणवाद थिक।
मनु स्मृति कि थिक? मनु स्मृति विश्व मे समाज शास्त्र केर सिद्धान्तक प्रथम ग्रंथ थिक। जीवन सँ जुड़ल सब विषय केर बारे मे मनु स्मृति केर अन्दर उल्लेख भेटैत अछि। समाज शास्त्र केर जे सिद्धान्त मनु स्मृति मे दर्शायल गेल अछि ओ सब संसार केर समस्त सभ्य जाति मे समयक संग-संग कनेक-मनेक परिवर्तनक संग मान्य अछि। मनु स्मृति मे सृष्टि पर जीवन आरम्भ होयबा सँ लय केँ विस्तारित विषय सभक बारे मे जेना कि समय-चक्र, वनस्पति ज्ञान, राजनीति शास्त्र, अर्थ व्यवस्था, अपराध नियन्त्रण, प्रशासन, सामान्य शिष्टाचार तथा सामाजिक जीवनक सब अंग पर विस्तारित जानकारी देल गेल अछि। समाजशास्त्र पर मनु स्मृति सँ अधिक प्राचीन और सक्षम ग्रंथ आन कोनो भाषा मे नहि अछि। एहि ग्रंथ केर आधार पर दुनियाक संविधान केर निर्माण भेल आर दोसर धर्मक धार्मिक कानून बनायल गेल। यैह कारण अछि जे एहि ग्रंथ केर प्रतिष्ठा धूलिकण मे मिलेबाक लेल अंग्रेज और विधर्मी द्वारा एकरा बारे मे भ्रम पसारल गेल।

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