चनमा आयोजन केर किछु नकारात्मक पक्ष

चनमा आयोजन पर सोशल मीडिया मे खूब चर्चा चलि रहल अछि। कतहु-कतहु वक्ता लोकनिक ‘प्रगतिशील विचारधाराक’ प्रदर्शन आलोचनाक विषय बनि रहल अछि त किनको द्वारा मैथिली केँ जातीयता सँ जोड़बाक बातक विरोध देखल जा रहल अछि। विषय सँ हँटिकय अलट-बलट बजबाक कारणे विरोध स्वाभाविके छैक।

आयोजन पहिल दिन मोटा-मोटी बड़ा गंभीर आ उपयोगी लागल। वक्ता सभ संतुलित आ विषय पर मात्र बजलाह। खाली बेर-बेर किछु गोटा जानि-बुझिकय मिथिला कि, मिथिला कतय, सीमा कि, चलू मानि लैत छी प्रदेश २, आदि-इत्यादि भ्रम मे रहैत काफी वेदना दैत बुझेलाह। आयोजक समितिक अध्यक्ष विभा झा बड़ा खुलिकय बुझा देलखिन जे मधेस एकटा राजनीतिक मुद्दा भऽ सकैत छैक, ताहि लेल राजनेता सब अपना तरहें काज कय रहला अछि। एखन हमरा लोकनि सिर्फ मिथिला लेल आयल छी आर मिथिला पर फोकस करी। विषय पर विमर्श करबाक अनुरोध सब कियो केलनि। लेकिन कार्यक्रमक तैयारी मे आयोजकक बहुत रास चूक भेलनि, यथाः

१. चनमा आयोजनक एकटा अवधारणा पत्र संग वक्ता केँ अपन विषय पर समुचित जनतब देबाक पत्र शायद नहि देल गेल छलन्हि।

२. वक्ता सब केँ जेना उचन्ती खबैर देल गेलनि जे अहाँ फल्लाँ विषय पर वक्तव्य देबैक।

३. वक्ताक चुनाव मे विषय अनुरूप आयोजक अपन बौद्धिकता सँ नीक काज कयने छलाह, लेकिन तकनीकी पक्ष जेना ‘मिथिला’ कोन, कतय, कि आदि स्पष्ट करैत विषय, सन्दर्भ, आदिक जानकारीक अभावक कारण जेकरा जेना मोन भेलैक, से वक्ता तेना अपन वक्तव्य देलनि। ताहि कारण सभक अपनहि विद्वता आ अपनहि मनगढंत परिभाषा सब सँ मिथिला आ मैथिली भाषा पर्यन्त केर तौहीनी भेलैक।

४. मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति डा. रामवरण यादव सेहो एकटा पेपर पढलनि जे नेपाली मे रहय, एतेक उच्च पद पर पहुँचल लोक आ मैथिली नहि लिखय एबाक बात कहिकय केहेन सन्देश देलनि से स्वतः बुझय योग्य विषय भेल। पेपर नेपाली मे पढिकय फेर मैथिली मे बुझेबाक काज करैत देखेलाह, ओना ई अनुभूति छलन्हि जे मैथिली-मिथिला विद्वान् लोकनिक समाज सँ सम्बद्ध अछि – बेर-बेर से दोहाइ धरि दैत रहलखिन। लेकिन मातृभाषाक मौलिकताक ज्ञान हुनका मे नहि भेटायल, ई हमर दुर्भाग्य मानैत छी। जानि-बुझिकय मैथिली नहि एबाक बात केँ रहस्यमयी ढंग सँ मंच पर राखब, एक पूर्व महामहिम द्वारा कार्यक्रम कतेक लाइटली – हल्का मे लेल गेल से बुझय योग्य विषय अछि।

५. चुरिया क्षेत्रक संरक्षण, ओहि ठामक वनक्षरण केर प्रभाव मिथिला मधेसक भूगोल आ पर्यावरण विषय पर पावर प्वाइन्ट प्रेजेन्टेशन भले नेपाली भाषा मे तैयार कयल गेल छल, लेकिन विजय सिंह दनुआर जी ओकरा मैथिली मे रखलनि। एहि सत्रक सार्थकता यथार्थतः बहुतो केँ प्रभावित केलक।

६. मिथिलाक अर्थ-व्यवस्था पर २-२ गोट आमंत्रित अर्थशास्त्री संबोधन कयलनि, लेकिन मिथिलाक सीमा केँ परिभाषित बिना कएने विषय पर बाजय आबि गेलाह। एहि सँ श्रोताक माझ मे एकटा अजीब सन्देश गेल।

७. ‘नेपालीय मिथिलाक जीवन-सृजन’ पर आधारित चनमा आयोजन केर विशिष्ट वक्ता लोकनि बेर-बेर मिथिला पर आघात करैत रहला। कय गोट वक्ता एहि तरहक मनसाय रखैत रहलाह।

८. भाषा केँ जाति सँ जोड़ि देनिहार वक्ता त हद्द पार कय गेलाह। नेपाली काँग्रेसक वयोवृद्ध आ कथित विद्वान् नेता प्रदीप गिरी छलाह। बाजक छलन्हि मिथिलाक राजनीति पर, मुदा मिथिला केँ ओ सभ्यता कम आ मैथिली भाषा-भाषी क्षेत्र बेसी मानि एहि भाषाक प्रयोगकर्ता सिर्फ ब्राह्मण-कायस्थ मे सिमटल देखलनि, ताहि हेतु मिथिलाक राजनीति गौण होयबाक निष्कर्ष देलनि। फिजूल बात सब बेसी भेल। राजनीतिक परिदृश्य मे मधेस आ जातिवाद कोना आगामी समय मिथिला केँ ग्रास बनबैत रहत, यैह सब देखायल। हम वाक-आउट कय गेल रही एहि तरहक यूसलेस सत्र सँ। बाद मे पता लागल जे रामचन्द्र बाबू सेहो ब्राह्मण-कायस्थक मैथिलीक मानक सही आ अन्य केर गलत आदि किछु बाजि देलखिन…. से आब वीडियो देखब तखनहि बुझय मे आओत।

९. दुइ दिवसीय आयोजन मे सब विषय पूर्व-निहित रहितो जबरदस्ती मंच केँ हड़पिकय अपन बौद्धिकता आ वर्चस्वक प्रदर्शन उपस्थित दर्शकक समय आ सहभागिता केँ बलात्कृत करैत रहल।

१०. विषय एक आ वार्ता अनेक – अप्रासंगिक प्रस्तुति, कथित प्रगतिशीलता मे जातीय टीका-टिप्पणी सँ उपस्थित श्रोता आहत होएत रहलाह।
एहेन अनेकों बातक कारण संकेत मे कहल जे गलत परिभाषा – परिपाटी सँ मैथिली आहत भेलीह।

हरिः हरः!!

पुनश्चः लेकिन नकारात्मकता सँ बेसी सकारात्मकता केँ देखब सेहो जरूरी अछि, ताहि पर ऐगला आलेख मे बात करब।