आध्यात्म
भगवान् विष्णु केर ३ अवतार सिर्फ एक परिवार लेल
हालहि २८ अप्रैल केँ भगवनाम नृसिंह केर जन्मोत्सव भेलनि। भगवान विष्णु द्वारा हिरण्यकशिपु केर बेटा प्रहलाद केर रक्षाक लेल आधा शेर और आधा मानव केर रुप मे अवतार लेने छलाह। एहेन नहि छैक जे भगवान् विष्णु केवल प्रहलाद केर रक्षा या हिरण्यकशिपु केर वध करबाक लेल टा अवतार लेलनि। एहि परिवार केर तीन सदस्य केर लेल भगवान् केँ तीन बेर अलग-अलग रुप मे अवतार लेबय पड़लन्हि। ई कथा श्रीमद् भागवत केर थिक। एहि मे कहल गेल अछि जे तीन बेर भगवान विष्णु केँ अलग-अलग रुप मे एक्कहि परिवारक लेल आबय पड़लन्हि।
भक्त प्रहलादहि केर परिवारक सदस्य लोकनिक लेल तीन बेर भगवान् केँ धरती पर आबय पड़लन्हि। पहिल बेर हिरण्याक्ष केँ मारबाक आ पृथ्वी केँ बचेबाक लेल, दोसर बेर हिरण्याक्ष केर भाइ हिरण्यकशिपु केँ मारबाक आ हुनक बेटा प्रहलाद केँ बचेबाक लेल आर तेसर बेर प्रहलाद केर पोता राजा बलि केँ बांधबाक लेल वामन रुप मे। ई कथा आइ भले लोक केँ काल्पनिक या सत्य सँ हँटल लगैत होइक लेकिन एहिमे जीवन केर कतेको सूत्र अछि।
पहिल अवतार वराह केर रुप मे

श्रीमद् भागवत महापुराण मे कहानी छैक जे हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु नामक दुइ दैत्य छलाह। एहिमे सँ बड़ भाइ हिरण्याक्ष द्वारा ब्रह्मा केँ अपन तपस्या सँ प्रसन्न कय बहुते रास बल हासिल कय लेने छल। एकर बाद ओ देवता सभकेँ आर समस्त मानव जाति केँ जीतिकय धरती पर कब्जा कय लेने छल। हिरण्याक्ष ई जनैत छल जे जतय गंदगी होयत ओतय देवता नहि अबैत छथि, ताहि कारण ओ समूचा धरती पर भारी मात्रा मे गंदगी पसारि देलक। तखन देवता लोकनि द्वारा भगवान् विष्णु सँ प्रार्थना कयलन्हि तखन ओ वराह (सुग्गर) केर रुप मे अवतार लेलनि। ओ धरतीक सारा गंदगी केँ हँटौलनि तथा हिरण्याक्ष केँ मारि देलनि। ई कहानी बतबैत अछि कि जे गंदगी पसारैत अछि ओहो राक्षसे होएत अछि। अगर देवता लोकनिक कृपा चाही तँ हमरा लोकनि केँ सफाई पर ध्यान देबहे टा पड़त।
दोसर अवतार नृसिंह

हिरण्याक्ष मरलाक बाद ओकर राज छोट भाइ हिरण्यकशिपु सम्हारलक। ओहो भगवान् ब्रह्मा सँ अमर होयबाक वरदान मांगलक मुदा ब्रह्माजी कहलखिन जे जन्म लेनिहार केँ मरब सुनिश्चित छैक, ओकरा मरहे टा पड़ैत छैक। तखन ओ वरदान लेलक जे ओ नहिये घरक अंदर मारल जा सकय, नहिये घरक बाहर, नहिये दिन मे मारल जा सकय नहिये राति मे, नहि ओकरा कियो मानव शरीर मारि सकय नहिये कियो जानवर, ओ कोनो शस्त्र या अस्त्र सँ सेहो नहि मारल जा सकय, नहिये आसमान मे मारल जा सकय और नहिये धरती पर। ब्रह्मा ई वरदान दय देलखिन। तेकर बाद हिरण्यकशिपु द्वारा आतंक मचेनाय शुरू कय देल गेल। लेकिन ओकर बेटा प्रहलाद भेल जे विष्णु केर असीम भक्त रहय। अपना बेटाक मन सँ विष्णु केर भक्ति केँ मेटेबाक लेल हिरण्यकशिपु कतेको कोशिश केलक मुदा ओ सफल नहि भऽ सकल। एना मे एकटा जरैत खंभा सँ ओकरा बान्हिकय मारबाक आदेश देलक, ओही खंभा सँ भगवान् विष्णु नृसिंह केर रुप मे प्रकट भेलाह। जे आधा शेर आ आधा मानव छलाह। ओ साँझक समय मे हिरण्यकशिपु केँ महलक चौखैटपर अपनहि जंघा पर सुताकय नह सँ ओकर सीना चीर देलनि। एहि तरहे ब्रह्माक वरदान केर सब बात सत्य साबित केलनि। नहिये घरक अंदर मारलनि, नहिये बाहर, न आसमान मे और नहि जमीन पर, बिना अस्त्र या शस्त्र केँ, नहि दिन मे और नहि राति मे।
तेसर अवतार वामन

यैह प्रहलाद केर पोता भेलाह राजा बलि। जे बहुत शक्तिशाली सेहो छलाह आर दैत्यक राजा सेहो। बलि द्वारा अश्वमेघ यज्ञ केर आयोजन कयल गेल। एकरा पूरा होएते ओ वो धरती और स्वर्ग केर राजा भऽ सकैत छलाह। ओहि समय देवता लोकनि द्वारा भगवान् विष्णु सँ सहायता मांगल गेल। तखन भगवान् विष्णु वामन (बौना) केर रुप लेलनि। ओ रुप एतेक सुंदर छल कि राजा बलि ओहि सँ प्रभावित भऽ गेलाह। ओ वामन सँ दान मांगय लेल कहलनि। बलि केर गुरु शुक्राचार्य हुनका बुझेलखिन जे ई सबटा विष्णुक माया थिक मुदा ओ नहि मानलनि। ओ दान देबाक लेल वचन दय देलनि। वामन द्वारा तीन डेग भूमि मांगल गेल, बलि हंसिते-हंसिते एहि मांग केँ स्वीकार कय लेलनि। वामन अपन एक पैर मे धरती, दोसर मे आकाश नापि लेलनि, तेसर पैर बलि केर माथपर राखिकय हुनको बान्हि लेलनि। एहि तरहें राजा बलि केँ धरती और स्वर्ग केर राजा बनय सँ रोकलाह।