द्वादश ज्योर्लिंग केर अर्चा विग्रहः सोमनाथ महादेव केर पूर्ण परिचय

द्वादश ज्योतिर्लिंग केर अर्चा-विग्रह
 
एहि विश्वमे जे किछु दृश्य देखल जाएछ तथा जेकर वर्णन एवं स्मरण कयल जाएछ, ओ सबटा भगवान् शिव मात्र केर रूप थिक। करुणासिन्धु अपन आराधक, भक्त तथा श्रद्धास्पद साधक व प्राणिमात्र केर कल्याणक कामना सँ हुनका सभपर अनुग्रह करैत स्थल-स्थलपर अपन विभिन्न स्वरूप मे स्थित अछि। जतय-जतय जखन-जखन भक्त लोकनि भक्तिपूर्वक भगवान् शम्भु केर स्मरण कयलन्हि, ततय-ततय तखन-तखन ओ अवतार लय केँ भक्त लोकनिक कार्य सम्पन्न कयकेँ स्थित भऽ गेलाह। लोकादिक उपकार करबाक लेल ओ अपन स्वरूपभूत लिंग केर कल्पना कयलन्हि। आराधक लोकनिक आराधना सँ प्रसन्न भऽ भगवान् शिव ओहि-ओहि स्थान सब मे ज्योतिरूप मे आविर्भूत भेलाह आर ज्योतिर्लिंग-रूप मे सदाक लेल विद्यमान भऽ गेलाह। हुनक ज्योतिःस्वरूप सभक वास्ते वन्दनीय, पूजनीय आ नमनीय अछि। पृथ्वीपर वर्तमान शिवलिंग केर संख्या असंख्य अछि तथापि एहिमे द्वादश ज्योतिर्लिंगक प्रधानता अछि। हिनकर निष्ठापूर्वक उपासना सँ पुरुष अवश्य परम सिद्धि प्राप्त कय लैत अछि अथवा ओ शिवस्वरूप भऽ जाइत अछि। शिवपुराण तथा स्कन्दादि पुराण मे एहि ज्योतिर्लिंग केर महिमाक विशेषरूप सँ प्रतिपादन भेल छैक। एतय तक सेहो कहल गेल छैक जे हिनकर नाम-स्मरणमात्र सँ समस्त पातक नष्ट भऽ जाइत अछि, साधक शुद्ध निर्मल अन्तःकरणवला भऽ जाइत अछि तथा ओकरा अपन सत्य-स्वरूपक बोध भऽ जाइत छैक; संगहि ओ विशुद्ध बोधमय, विज्ञानमय भऽ कय सर्वथा कृतार्थ भऽ जाइत अछि। एतय एहि द्वादश ज्योतिर्लिंगक संक्षिप्त वर्णन देल जा रहल अछि –
 
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये॥
द्वादशैतानि नामानि प्रारुत्थाय यः पठेत्।
सर्वपापैर्विनिर्मुक्तः सर्वसिद्धिफलं लभेत्॥
 
– शिवपुराण-कोटिरुद्रसंहिता १/२१-२४
 
अर्थात् (१) सौराष्ट्र-प्रदेश – (काठियावाड़) मे सोमनाथ, (२) श्रीशैलपर मल्लिकार्जुन, (३) उज्जैन मे महाकाल, (४) ओंकार मे परमेश्वर, (५) हिमाचलपर केदार, (६) डाकिनी मे भीमशंकर, (७) काशी मे विश्वेश्वर, (८) गौतमीतट पर त्र्यम्बक, (९) चिताभूमि मे वैद्यनाथ, (१०) दारुकावन मे नागेश, (११) सेतुबन्ध मे रामेश्वर, और (१२) शिवालय मे स्थित घुश्मेश्वर ‍- एहि बारह ज्योतिर्लिंग केर नाम केँ जे प्रापःकाल उठिकय पाठ करैत अछि, ओ सब पाप सँ मुक्त भऽ जाइत अछि आर समस्त सिद्धि केँ प्राप्त कय लैत अछि।
 
आगू एहि १२ ज्योतिर्लिंग केर संक्षिप्त मे वर्णन देल जा रहल अछि –
 
१. सोमनाथ
 
श्रीसोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रान्त मे प्रभास-क्षेत्र (काठियावाड़) केर विरावल नामक स्थान मे स्थित अछि। एतुका ज्योतिर्लिंग केर आविर्भावक विषय मे पुराण मे एकटा रोचक कथा भेटैत अछि। शिवपुराण मुताबिक दक्ष प्रजापतिक सत्ताईस कन्या लोकनिक विवाह चन्द्रमा (सोम) केर संग भेल छलन्हि, एहि मे सँ चन्द्रमा रोहिणी संग विशेष अनुराग रखैत छलाह। हुनक एहि कार्य सँ दक्ष प्रजापतिक अन्य कन्या लोकनि केँ बड़ा कष्ट रहैत छलन्हि। ओहो सब अपन ई व्यथा-कथा अपन पिता दक्ष प्रजापति सँ सुनेलन्हि। दक्ष प्रजापति एहि कारण चन्द्रदेव केँ बहुतो तरहें बुझेलनि, मुदा रोहिणीक वशीभूत हुनक हृदयपर एहि सब बातक कोनो असैर नहि पड़लन्हि। अपन अन्य कन्या लोकनि केँ संग विषमताक व्यवहार देखि कुपित दक्ष तखन चन्द्रमा केँ क्षय-रोग सँ ग्रस्त भऽ जेबाक श्राप दय देलखिन। एहि शापक कारण चन्द्रदेव तत्काल क्षयरोग सँ ग्रस्त भऽ गेलाह। हुनकहि क्षयरोग सँ ग्रस्त भऽ जेबाक कारण सुधा-किरण केर अभाव मे सारा संसार निष्प्राण सन भऽ गेल। क्षयग्रस्त भेला सँ दुखी चन्द्रमा द्वारा ब्रह्माजीक कहलापर भगवान् आशुतोष केर आराधना कयलन्हि। चन्द्रमा छः महीना धरि स्थिर चित्त सँ ठाढ रहिकय भगवान् शिव केर मृत्युंजय स्वरूपक ध्यान करैत दस करोड़ मृत्युंजय मन्त्र केर जप कयलन्हि। तखन भगवान् प्रसन्न भऽ कय दर्शन देलखिन आर चन्द्रमा केँ अमरत्व प्रदान करैत मास-मास मे पूर्ण आ क्षीण होयबाक वर प्रदान कयलखिन्ह। एहि तरहें भगवान् आशुतोष सदाशिव केर कृपा सँ चन्द्रमा रोगमुक्त भऽ गेलाह आर दक्षक वचन केर सेहो रक्षा भऽ गेल।
 
१. सोमनाथवन्द्रमा तथा अन्य देवता लोकनि द्वारा प्रार्थना कयलापर भगवान् शंकर हुनकहि नाम सँ ज्योतिर्लिंग केर रूप मे ओतय स्थित भऽ गेलाह आर सोमनाथ केर नाम सँ तिनू लोक मे विख्यात भेलाह। सोमनाथक पूजन कयला सँ ओ उपासक केँ क्षय तथा कुष्ठ आदि असाध्य रोग केँ नाश कय दैत छथि। ओहि ठाम सब देवता लोकनि द्वारा सोमकुण्ड (चन्द्रकुण्ड) केर सेहो स्थापना कयल गेल, जाहि मे शिव आर ब्रह्माक सदिखन निवास केर मान्यता अछि। ई कुण्ड एहि भूतलपर पापनाशन तीर्थ केर रूप मे प्रसिद्ध अछि। जे मनुष्य एहि कुण्ड मे स्नान करैत अछि ओ समस्त पाप सँ मुक्त भऽ जाइत अछि। क्षय आदि जे असाध्य रोग होएछ, ओ सब एहि कुण्ड मे छः मास तक स्नान कयला मात्र सँ नष्ट भऽ जाइत अछि। मनुष्य जाहि फल केर उद्देश्य सँ एहि उत्तम तीर्थक सेवन करैत अछि, ओ फल केँ सर्वथा प्राप्त कय लैत अछि, एहि मे संशय नहि छैक।
 
ऐतिहासिक विवरण केर अनुसार सोमनाथक सुप्रसिद्ध शिव मन्दिर काठियावाड़क प्रभासपट्टन नामक समुद्रतटीय स्थलपर गुजरातक चालुक्य लोकनि द्वारा निर्मित कराओल गेल छल। एहि मन्दिर मे अपार धन-सम्पत्ति छल। दस सहस्र ग्राम केर आय एहि मन्दिर केँ प्राप्त होएत छल। मन्दिरक उपास्य देव (भगवान् सोमनाथ) केर पूजाक लेल उत्तर भारत सँ प्रतिदिन गंगाजल एतय लय जायल जाइत छल। एहि मन्दिर मे दैनिक पूजन-कृत्यक सम्पादन हेतु एक सहस्र ब्राह्मण पुजारी नियुक्त छलाह, संगहि ३५० गायक व नर्तकी लोकनिक सेवा सेहो मन्दिर केँ समर्पित छल।
 
एहि प्रभूत धन-वैभवसम्पन्न मन्दिर पर सन् १०२४ ई. मे गजनीक सुलतान महमूद द्वारा आक्रमण कय एकरा अपन अधिकार मे कय लेल गेल। मन्दिरक अपार सम्पत्ति त ओ लूटबे केलक, विशाल शिवलिंग केर सेहो टुकड़ा-टुकड़ा कय देलक।
 
गुजरातक राजा भीमदेव प्रथम द्वारा पुनः पुरान सोमनाथ मन्दिर केर स्थानपर जे ईंटा आ लकड़ी सँ बनल छल, ओतय पत्थरक नव मन्दिर बनेनाय शुरू कयल गेल, बाद मे सिद्धराज जयसिंह, विजयेश्वर कुमार पाल तथा सौराष्ट्रक खंगारराज द्वारा एकर जीर्णोद्धार कराकय एकरा फेर सँ समृद्ध कयल गेल, मुदा मुसलमान शासक अलाउद्दीन खिलजी, मुजफ्फरशाह आर अहमदशाह केर धर्मान्धताक ई बराबर शिकार भऽ कय नष्ट-भ्रष्ट होइत रहल। देशक स्वतन्त्र भेलापर सोमनाथक मूल मन्दिरक स्थानपर एकटा भव्य मन्दिरक निर्माण कराओल गेल, जेकर तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाद द्वारा उद्घाटन कयल गेल।
 
एहि मन्दिरक नजदीक इन्दौर केर महारानी अहल्याबाई होल्कर सेहो भगवान् सोमनाथक एक मन्दिर बनवौलनि अछि। एहि पवित्र प्रभास-क्षेत्र मे भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रजी अपन लीलाक संवरण कयने छलाह। भगवान् सोमनाथक ज्योतिर्लिंग गर्भगृहक नीचा मे एकटा गुफा मे स्थित अछि, जाहि मे निरन्तर दीप जरैत रहैत अछि।
 
प्रेमपूर्वक बाजू भगवान् सोमनाथ की जय!! हर हर महादेव!!
 
(क्रमशः……)
 
हरिः हरः!!
(स्रोतः कल्याण, अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी)