समर्पण
– मणिकान्त झा
हे मैथिली पुत्र प्रदीप
धन्य धरा कथवार गामकेँ
सगरि राति जडै़ यअ दीप
कोनाक मैथिल बिसरि सकताह
हे मैथिली पुत्र अहॉकेँ प्रदीप ॥१॥
साल छत्तीसम शतक उन्नैसम
दू अप्रिल पावन जन्म दिन
फागुन कृष्ण पंचमी बुध केर
प्रभु नारायण भक्ति मे लीन ॥२॥
सेवी सदिखन मॉ मिथिले केर
भाषा भक्ति केर ओ सद्यह भूप
ज्ञान संस्कार व्यक्तित्व अनूप
माय बुच्चैं पिता गुणी स्वरुप ॥३॥
प्रशिक्षित एम.ए. प्रधानाध्यापक
प्रचार प्रसार मैथिलीकेँ व्यापक
गुणी साहित्य रत्न नवीन शास्त्री
बेबहार कुशल पंचाग्नि साधक ॥४॥
संस्था फुजल संघ क्रान्ति दूत
नहि अन्तर अपन आन पूत
प्राथमिक शिक्षा मे मैथिली माध्यम
अथक प्रयास सँ भेल फलीभूत ॥५॥
सजा भेटल चिंता नहिं
करैत रहलाह अपन प्रतिकार
मैथिली मे स्कूल प्रार्थना
संघर्ष राति दिन सदिखन ठाढ़ ॥६॥
जीवन अर्पित देवी समर्पित
चरण शरण काली केर दास
त्यागल सुख तपस्वी बास
अनुरागी पुत्र मायेकेँ ख़ास ॥७॥
काव्य कवित बहुते देखल
कथा उपन्यास अनुवाद विन्यास
जगदम्ब हुनक सेवी ओ सबदिन
नहि बिन हुनकर ककर आस ॥८॥
भगवत गीता श्री राघव महाकथा
श्री सीतावतरण महाकाव्य
गीत प्रदीप उगल नव चान
अनमोल बोल रचित भव्य ॥९॥
अष्ट दल कान्ति गीत नाटक सोहाग
साधना प्रार्थना आरती संग्रह
गुलाबक बहार संगहि जागल भाग
केहेन टुन्नी दाइक सोहाग १०॥
हे मैथिली पुत्र मिथिला केर भान
अहो भाग्य मिथिला केर धाम
मणि अर्पित दू शब्द अहॉकेँ
हे विराट पुरुष स्वीकारु प्रणाम ॥११॥
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-मणि’आमारूपी’ ०२.०४.२०१८
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इ रचना मिथिलाकेँ विभूति कवि श्रेष्ठ श्री मंत प्रदीप जी केँ समर्पित क’ रहल छी । आय हुनक जन्मदिन छनि । हुनकर भगवती गीत
हे जगदम्ब अहीं अवलम्ब— अहॉ सुधि नैं लेबैय— एहेन कतेको गीतक रचनाकारकें हमर कोटि कोटि नमन । – मणि