दीना भद्री पर आधारित फिल्म-सीरियल मे फिल्मी मसल्ला

सातनि राम द्वारा दीना-भद्री गायन राजविराज मे
फिल्म दीना भद्री मे फिल्मी मसल्ला कि भऽ सकैत अछि
 
सातनि राम द्वारा दीना-भद्री गायन राजविराज मे

युग अनुरूप फिल्म मे तरह-तरह केर प्रयोग करब जेकर सीधा प्रभाव दर्शकक मन-मस्तिष्क पर पड़य; एकरे फिल्मी मसाला कहल जाएत छैक। अहाँ कतबो दर्दनाक कथानक पर दोस्ती जेहेन उच्च मूल्यक फिल्म या मदर इंडिया सनक गहिंर सन्देश देबयवला फिल्म वर्तमान युगक दर्शक सभक सोझाँ परसब आर ओहि मे कोनो आइटम सौंग (नग्नताक प्रदर्शन करयवला नाच) कोनो न कोनो बहन्ने नहि देखायब त भऽ सकैत छैक जे अहाँक ओहेन गम्भीर कथानक पर आधारित सिनेमा सेहो असफल भऽ जाय। असफलताक हलाँकि बहुत रास कारण होएत छैक, जेना पब्लिसिटी आ प्रोमोशन केर अभाव, कथा-पटकथा सीधा दर्शक सँ जुड़ल नहि रहब, फिल्मांकन मे तकनीकी गड़बड़, दर्शकक दिमाग मे अपन वस्तु प्रति हीनताबोध, आदि। लेकिन आजुक समय मे दर्शकक डिमान्ड हिरो, हिरोइन आकर्षक होयबाक संग-संग फिल्मी कथाक बीच-बीच मे मसल्ला आइटम सब देखायब जरूरी रहैत छैक, मैथिली फिल्म सेहो आब एहि तरहक प्रयोग आरम्भ कयलक अछि।

 
दीना-भद्रीक लोकगाथा मे एहेन अनेकों बात अहाँ केँ स्वाभाविके रूप सँ भेटत जेकरा सीधा फिल्मी मसल्ला जेकाँ दर्शक बुझत। पुछू कि सब? आब देखू! चूँकि दीना-भद्री फिल्म केर नायक रहितो शुरुए मे छलपूर्वक जंगल मे शिकार खेलाय लऽ जा कय हत्या कय देल जाएत अछि। लेकिन ओकरा सभक ई निर्मम हत्याक गबाही बनल ओ जंगल आ जंगली जानवर सब पर्यन्त एहि सँ कष्ट पबैत अछि। गाछो-वृक्ष केँ ई अत्याचार पसीन नहि पड़ैत छैक। मनुष्यक बोली त मनुष्य बुझियो लैत छैक, लेकिन दीना-भद्रीक वीरता आ शोषण कयनिहार शासक विरुद्ध लड़बाक युद्ध-कौशल सँ प्रभावित प्रकृति पर्यन्त दीना-भद्रीक एहि मरणक कथा केँ अपना तरहें लोक-समाज धरि पहुँचेबाक काज करैत अछि। स्वयं दीना-भद्री हवा-बसात (भूत-प्रेत) बनिकय अपन घर-परिवार आ समाजक लोक केँ सपनाक माध्यम सँ एहि तरहें मारल जेबाक दृश्य देखबैत अछि। आर, एतय सँ फिल्म केर विभिन्न प्रकरण मे दीना-भद्री गोसांइ जेकाँ सामर्थ्यवान् मि. इंडिया जेकाँ अदृश्य भऽ अपन भूमिका निर्वाह करैत अछि। शोषण कयनिहार सामन्तीक संग जोरदार संघर्ष करैत अछि। समाज मे अपन नायकत्व सँ एकटा एहेन सन्देश पहुँचाबय मे सफल होएत अछि जे अन्यायक विरुद्ध ओ कखनहु संघर्ष करय मे सक्षम अछि। अन्यायी केँ ओ अभौतिक शरीर सँ सेहो बदला लेत आ सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) केर हक-अधिकारक रक्षा करत।
 
एकटा रोचक प्रसंग केर वर्णन कय रहल दीना-भद्रीक एहि गीत पर गौर करूः
 
बड़ तऽ जुलुम हौ सहोदरा
होइ छै कुनौली बजरियामे
बड़ तऽ जुलुम होइ छै
कुनौली बजरियामे
आ बड़ी तऽ ठकनमा
बड़ी आय ठकनमा हौ सहोदरा
ठकै छै दुनू दियादिनी के
बड़ी ठकान हौ सहोदरा
ठकै छै दुनू दियादिनी के हय।
बाप से भेंट करेबै
रूपचन बनियां के
बाप से तऽ भेंट करेबै
रूपचन बनियां के ने हौ
भइया हौ भइया
बदला चखा हम दइतियै
कुनौली बजरियामे
बदला चखा हम दइतियै
 
एहि भगैत गीत मे दीना-भद्रीक आपसी वार्तालाप सँ ओकरा लोकनिक घरक जनी-जाति सभ युगक रीत मुताबिक बोनि-मजदूरी सँ संग्रहित चाउर लय कुनौली बाजार मे बदलैन कय अन्य जरूरी सामान जाहि सँ दीना-भद्रीक ओ सब श्राद्ध कय सकय से लेबय जाएत अछि। ओ सब रूपचन बनियांक दोकान पर पहुँचि गेल अछि। मुसहर समुदायक जनी-जाति बड़ सोझ होएत छैक से बुझैत ओ रूपचन बनियां ओकरा सभक लाओल २४ पसेरी चाउर केँ २४ किलो बरोबरि तौलिकय ठकि लैत छैक। आर फेर ओकर बदलेन करय वास्ते तराजूक एक भाग मे बटखारा २४ किलो बरोबरि राखिकय बदलेनक सामान सब तौलय लगैत छैक। जोगीक वेश मे घूमि रहल दीना-भद्रीक प्रेतात्मा ई ठगीक सब बात देखि लैत छैक। रूपचन बनियाँ केर एहने दुर्व्यवहार समाज सोझ आ मेहनती किसान-मजदूर संग सेहो करबाक बात ओकरा सब केँ अन्य-अन्य दुकानदार आ लोक सब सँ ज्ञात भऽ जाएत छैक। आर, फेर शुरू होएत अछि ‘फिल्मी मसल्ला’ जेकाँ दीना-भद्रीक खेल। भद्री द्वारा अपन सहोदरा दीना सँ उपरोक्त बात कहल जाएत छैक। दुनू भाइ योजना बनाकय ओहि रूपचन बनियां केँ खूब छकबैत अछि। बटखारावला भाग मे भद्री स्वयं बैसि जाएत अछि। रूपचन अपन दोकानक सब समान दोसर पलड़ा पर राखि दैत अछि मुदा तैयो पलड़ा बराबर नहि भऽ पबैत छैक। अन्त मे ओ बनियां सामान तौलय सँ ना-नुकर करैत अछि त दीना अदृश्य रूप मे स्वयं सामान सब लय-लय केँ दोसर भागक पलड़ा पर देबय लगैत अछि। रूपचन बनियां पसीना पोछैत अछि, पछताइत अछि जे ओ एकरा सब सँ बेकार बेइमानी केलक। २४ पसेरीक तौल मे बेइमानी कयकेँ २४ किलो बनेलक, आर वैह २४ किलो मे दोकानक क्विन्टल-क्विन्टल सामान तौलिकय देबय पड़ि गेलैक। बाद मे दीना-भद्री दुनू उचित न्याय करैत बनियां सँ गछबा लैत अछि जे आइन्दा एहेन बेइमानी ओ केकरो सँ नहि करत।
 
माथा तऽ आइ मारै रूपचनमा
कुनौली बजरियामे
माथा त आइ मारैत रूपचनमा
कुनौली बजरियामे ने हय
केहेन रक्सी रक्सीनियाँ
हौ आबि गेलै हमरो तऽ दोकनमा
केहेन रक्सीनियाँ तऽ आबि
गेलै हमरो तऽ दोकनमामे ने हय
 
एहि तरहें समाज मे विद्यमान अनेको शोषण आ अत्याचार विरुद्ध जे दीना-भद्रीक युद्ध अछि ओ एहि तरहें भगैत गीत मार्फत रोचक ढंग सँ राखल गेल अछि जेकर फिल्मांकन स्वतः दर्शक केर भरपूर मनोरंजन करत। आगाँ कि घटत से जिज्ञासा बनौने रहत। दीना-भद्रीक जीवन मे जतेक बातक वर्णन भेटैत अछि ताहि पर एकटा नीक धारावाहिक सेहो चलायल जा सकैत छैक। कारण दलित समुदाय संग पूर्वकाल सँ विद्यमान कतेको रास विभेदक विरुद्ध संघर्ष मे लगभग सब पक्षक बारे मे एक-एक एपीसोड देखेला सँ एकर लोकप्रियता सब वर्गक प्रबुद्ध आ विवेकी नागरिक मे होयब सुनिश्चित अछि।
 
युगक मुताबिक आरो बहुत रास पक्ष केँ जोड़ि दीना-भद्रीक नायकत्व मे आजुक कूरीति सभक अन्त करबाक गोटेक नव बात सेहो जोड़िकय देखेबा मे फिल्मपर काज कयल जा सकैछ, ई अपन मत राखि रहल छी। हर हाल मे मैथिली भाषा आ मिथिलाक लोक संस्कृति केर एकटा बहुत पैघ खंभा लोकदेवता दीना-भद्रीक गाथा मे नजरि पड़ैछ जाहि पर फिल्म आ टेलिविजन सीरियल सब मे काज कयनिहार सब पक्षक ध्यान पहुँचय। फिल्मक कथा कल्पना सँ होयबाक कारणे काल्पनिक होएत छैक, लेकिन ओ कतहु न कतहु अपन समाजक विद्यमान कूरीति सँ लड़िकय न्याय पक्ष केर सम्बल बनैत छैक।
 
हरिः हरः!!