वेलेन्टाइन डे स्पेशल वैधानिक चेतावनी
प्रेम दिवस – प्रेम विशेष चर्चा, उपहार आदान-प्रदान… रोज डे, चकलेट डे आ कि-कहाँदैन डे-फे… सुनैत-सुनैत मोन आजिज भेनाय जे कहैत छैक से भेल अछि बुझू। ताहि पर सँ भाभौ आ पुतोहु वा अन्य समकक्षी स्नेहिल बेटी-भतीजी वा समाजक केकरो बेटी-भतीजीरूपी नारी सभक संग भाइ, भातीज, व अन्य समकक्षी पुरुषवर्ग जे पति वा प्रेमी वा लिव-इन-रिलेशन केर नायक सब छथि – तिनका लोकनि केँ खुलेआम ‘अन्तरंग’ फोटो खींचि, या त सेल्फी खींचि एना फेसबुक पर बाँटैत छथि त एकर बड़ा अजीब प्रतिक्रिया मन-मस्तिष्क पर होएत अछि। रूढिवादी, परम्परावादी, पुरान विचारधारा आ लाज प्रथाक बड कठोर समर्थक नहियो रहैत हमरा सनक सेमी-मोडर्न लोक केँ सेहो एना लगैत अछि जे अपने घोघ तानि ली।
आब कहू जे काल्हि धरि हमर एकटा भातिज वर्गक सम्भ्रान्त बच्चा डाक्टरी पढाई कय रहल छलय, एकदम प्रिय आ देखनुक युवा… काफी श्रद्धा आ स्नेह अछि सदिखन ओकरा प्रति। २ वर्ष भेलैक, खुब सुनरकी कनियाँ संग विवाह भेलैक, मोन गद्गद् भऽ गेल जे जेहने डाक्टर बेटा छल, कनियो तेहने जबरदस्त सुनरकी भेटलैक। आब, हम जे ओकर कनियाँ केँ सुनरकी-सुनरकी कहलहुँ त कियो गोटा ई नहि बुझि जायब जे ससूर भऽ कय सुनरकी कहनाय मे शंकावला कोनो बात छैक… ससूरो सब केँ अधिकार होएत छैक जे अपन पुतोहुक प्रशंसा सुन्नर कहिकय करय। जहिना बेटी केँ सुन्नर कहनाय भेल – तहिना पुतोहु केँ। मुदा बेटा-भातिज सब जँ एना सुनरकी कनियाँ केँ सरेआम बाजार मे एकदम कामूक आ उत्तेजना सँ भरल फोटो सब पब्लिक मे पोस्ट करत त ससूरक रूप मे हमरा उनटे लाजक अवस्थाक अनुभव भेल। आइ भोरे-भोर आगि लेस देने अछि देह मे। कहू त! ई कोन बात भेल? रे भाइ! हम तोहर प्रशंसक, तोहर कनियाँक प्रशंसक आर तूँ जे छैक से हमर प्रशंसा केँ गारि पढमे? एना फोटो आ पोज सब देखेमे?
वैलेन्टाइन डे हो या अन्य डे – अन्तरंग प्रेमक उद्गार आ सेहो फोटो मार्फत सरेआम बाजार मे बाँटि देनाय… ई ओतेक नीक नहि लागल। अहाँ केँ नहि लगैत अछि जे अहाँ ओ हुनकर प्रेमक एहि अत्यन्त अन्तरंग पहरमे कियो तेसर सेहो कैमराक लेन्स सँ खींचल फिल्मक पर्दाक ओहिपार ठाढ भऽ गोपनीयता केँ भंग कय रहल अछि? कि ई भेलैक सच्चा प्रेम? एक-दोसर केँ फूल देनाय, एक-दोसर लेल प्रेमभाव सँ भरल सिनेहयुक्त सन्देश लिखनाय…. ई त चलत… लेकिन खतरनाक कामुक पोज सबमे फोटो खींचिकय एना फेसबुक वाल पर लोड कय एक-दोसरा प्रति प्रेमक प्रदर्शन…. कथमपि सत्य आ समर्पित प्रेम नहि भऽ सकैत अछि। खैर… ई अहाँक अपन जीवन थिक…. हमरा बेजा जे लागल से बहुत नियंत्रित ढंग सँ बुझेबाक प्रयास केलहुँ। मानी नहि मानी…. ई अहीं जानी!
अपन भावना एहि लेल व्यक्त केलहुँ जे हम सब मिथिलावासी ‘लाज प्रथा’ मे देखब, छुअब, छाँह पड़ब, मानसिक सोच मे कोनो गलत भाव आनब, इत्यादि सँ परहेज रखैत छी। भाभौ, पुतोहु, परनारी, आदि विभिन्न एहेन शक्ति छैक जेकरा पूज्य मानिकय एकटा दूरी निभाबैत छी। एहि कारण कम सँ कम सार्वजनिक तौरपर प्रदर्शन योग्य सामग्री मात्र परसल जाय, कोकशास्त्रक ८४ गोट आसन्न ओहि पुस्तक मे ज्ञानक स्वरूप थिक, धरि दाँत बिदोरैत सरेआम बाजार मे एकहक गोट आसन्न संग फेसबुक स्टेटस लगाबी आ आसन्न केर नायक-नायिका स्वयं पत्नी सहित बनी…. हे भगवान्! हमर समाजक रक्षा करू। नहि जानि ई कोन दिशा मे जा रहल अछि! पाश्चात्य सभ्यता मे पर्यन्त एहेन खुल्लम-खुल्ला प्रदर्शन अछि कि नहि से नहि जानि! आह!
हरिः हरः!!