लेख
– अनिल झा, जाले
सड़कक उतरवारी कात माने आधा गाम मे एक ठाम होइत छलै सरस्वती पूजा । अपना साकेत विहारी मंदिर पर । ओहि समय मे दूसरा तीसरा मे पढैत रही । किछु बात अखनो मोन अछि । राढ़ी गाम सँ ढाकी मे पुआर ध’ क’ भैया सब मूर्ति लबथिन । तकरा बाद अशोक गाछक पात सँ गेट केर सजावट होइ । आ गाछिये गाछीये हम सब बैर तोइर क’ आनी । तीन रंगा कागज वा आमक पात केँ रस्सी मे खोइंस क’ प्रांगण सजाएल जाइ । बड़का चौकीक उपर स्नानी चौकी राखि ओही पर सँ नवका चदरि ओछा ताहि पर माँ सरस्वती केर प्रतिमा केँ स्थापना कैल जाइ । फेर दु तीन घर सँ नवकी कनियाँ सभक नव सारी सँ माँ केर मंडप तैयार होइन ।
राति भरि बुनियाँ छनाइ आ धिया पुता सब रामकेसौर केँ सोहैय । पहिने त लालटेन रहैक । बाद में बाहर फ़ौज में रहै वला हमर कका सब पेट्रोमेक्स लेलथिन तहन वैह जरा क इजोत कैल जाइ । तहन त बुझु जे हमरा सभकेँ राति भरि जागय केर लाइसेंस भेट गेल । हमर सभक काज रहै पेट्रोमेक्स में हवा जहन कमि जाइ त मजाल नहि जे कोनो बच्चा छू लय । दौर क’ बाबू साहब भैया वा मंदिर कका के जा क कहियेन । हवा दियौ हवा । तहन ओ आबि पंप मार्थिन । तहन लाइटक इजोत बढ़ि जाइ । बाद मे लाउड स्पीकर आबि गेलै । तहन ओहि मे ताबा वाला कैसेट लागै आ ओकरो किछु काल पर हेंडिल मार परै । से हम सब मारि दियइ चोरा नुका क’ । जखने घेघिया लागै गीत स्लो भ’ जाइ तहन पंप मार परै । बाद मे मोटर वाला मसीन आबि गेलै तहन ई झन्झट खत्म भेल ।
आब काइल्ह भोरे पूजा होइतै। हम सब भोरे भोरे नहा क अपन अपन किताब कॉपी पेन ओतय राखि आबी । तकरा बाद कि भूख आ कि पियास, भरौ दिन ओतहि रही जाइ । बाबु साहब भैया पूजा पर बैसथिन । घण्टो पूजा चलैय । पूरा ध्यान प्रसाद आ अपन किताब पर रहैत छ्ल । तकरा बाद मूर्ति केँ निहार’ में । इमहर ककरो ककरो बीच मे बिठुआ सेहो कटौअल होइ । टीक से नोचाइ फेर गरा गारि भेल । ओम्हर स मन्दिर कका गरियाबैत जकड़े टिक नोचाई ओकरे भगा देथिन । किछु कालक चुप्पीक बाद फेर होइ पुनरावृति ।
एवं प्रकारे पूजा समाप्त भेला उपरांत प्रसाद वितरणक कार्यक्रम अनवरत चलैत रहैक । सौंसे गामक लोक प्रसाद लेब’ आ माँ सरस्वती केर आशीर्वाद लेब’ अबथिन । कोना दिन बीत जाइ आ राति कोना कटि जाइ, से नहि बुझि परैय । तकरा बाद परात भेने साँझ मे विसर्जनक कार्यक्रम चलैय । खास क’ ओही विषय मे इ कथा लिखा गेल । बाबू साहब भैया माथा पर सरस्वती जी केँ उठबथिन आ गामक अधिकांश पैघ लोक ताहि केर पाछु । आगू गामक धिया पुता सब जयकारा लगाबी । “सरस्वती मइया की जय” । “विद्यादायनी की जय”। “बीणावादिनि की जय” । ” बीणा पुस्तक रणजीत हँसते, भगवती भारती देवि नमस्ते” । इम्हर कका सभ ढोल झाइल हरमुनिया पर भजन कीर्तन करैत सुमन चौक पर का पोखरि मे अंत मे विसर्जन के कार्य होइ । माथे पर लेने लेने जाइठ लग जा डुबकी लगबथिन हम सब पोखरि के पानि ल’ क’ एक दोसर केँ भिजाबी । लौटतीयो काल सरस्वती जी केर जयकारा लगबति सब अपना अपना घर । यैह होइक सरस्वती पूजा । आबक सरस्वती पूजा देखिए रहल छी आ खास कय विसर्जनक कार्यक्रम!!