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मैथिली मचान – विश्व पुस्तक मेलामे जुटि रहल अछि बेसम्हार भीड़ः क्रान्तिकारी परिवर्तन

मैथिली मचानपर रवि दिनक भीड़ भेल बेसम्हार
 
सन्दर्भः दिल्ली विश्व पुस्तक मेला २०१ मे मैथिलीक पहिल बेरक प्रतिनिधित्व
 
समूचा संसार मे रहि रहल मैथिलीभाषी लेल ई कतेक सुखद समाचार छैक जे एशियाक सबसँ पैघ पुस्तक मेलामे अपन मातृभाषाक पोथी सभक प्रदर्शनी आ बिक्री करबाक लेल एकटा अलगे सँ स्टाल भेटल, भाषावार सहभागितामे कुल १५ गोट विश्व भरिक भाषा मध्य अपन भाषाक सहभागिता सेहो बनल, एतबा कहाँ! ई अवसर पबैत देरी भारतीय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे रहि रहल लाखों मैथिलीभाषी युवा, युवती, बड़-बुजुर्ग, सर्जक, पाठक आदि हुजुम बना-बनाकय मेला मे आबि पोथी कीनबाक आ अपन गहिंर साहित्यक रस मे स्वयं ओ परिजनकेँ सराबोर करबाक – कहू न! मैथिली साहित्यक एहि कुम्भ मेलामे स्नान करबाक मौकाक लाभ सब उठा रहल छथि – ई सुनिकय नेपाल, यूएसए, यूके, कनाडा, सउदी अरब, कतार, यूएई – सब तैर सँ मैथिलीभाषी सब उत्साहपूर्वक सामाजिक संजाल मार्फत आत्मगौरव सँ भरल मेलाक दृश्य-परिदृश्य आ मैथिली मचान पर जमा भऽ रहल भीड़क चर्चामे मगन भेल छथि। यथार्थतः ई एकटा क्रान्तिकारी – युग-परिवर्तनकारी उपक्रम सिद्ध भेल अछि।
 
मुदा एहि बीच किछु समाचार नकारात्मक भेटब सेहो तहिना भेल जेना मेला-ठेलामे धक्कम्-धुक्कम् भऽ जाएत छैक। मैथिल गैंहकी सभक किछु वर्ताव मेलामे मैथिली केँ उच्च स्थान दियौनिहार सर्जक-व्यक्तित्व संग एकटा बनियौटीमे लागल दुकानदार जेकाँ तुच्छ व्यवहारक शिकायत सेहो भेटल। काल्हि रवि दिन छलैक, भीड़ सहजहि अनियंत्रित भेलैक। ओम्हर संचालक लोकनिक ‘विद्वत् विमर्श’ केर आयोजन एना भीड़ जुटयवला दिन मे पोथी बिक्रीक स्थानपर राखब अदूरदर्शी जकाँ भेल – अफरातफरी स्वाभाविके भेल – प्रतिक्रिया दैत एक सज्जन दयानाथ चौधरी सामाजिक संजालक अन्तर्क्रियामे बतौलनि। स्टाल पर व्यवस्थापनमे निरन्तर परिश्रम कयनिहार युवा संग छोट भाषाक प्रयोग करब, संचालक सविता झा खान एक प्रोफेसर होयबाक संग-संग एक लेखिका आ नीक वक्त्री सेहो छथि ई सब कनिको नहि विचारब, पोथी प्रदर्शनी-बिक्री व्यवस्थापनक दर्द केँ एकदम नहि अन्दाजब आ धड़ल्ले सँ फूहर ढंग सँ बनियौटी कयनिहार दुकानदार जेकाँ मोल-जोल करबाक कारण किछु ग्राहकक कारण अवस्था विपरीत भेल – सह-संचालक अमित आनन्द बतौलनि।
 
अत्यन्त रुचिपूर्वक पोथी सब कीनलहुँ, पैसा भुगतानीक बेर मे अचानक बिक्री बन्द होयबाक सूचना दैत कीनल पोथी वापस लय लेलनि संचालक लोकनि। एहेन दुर्व्यवहारक सामना कयलहुँ। बुझि नहि सकलहुँ किछु कारण। – एहनो प्रतिक्रिया एक सज्जन आ सुरुचि-सुधि मैथिली पाठक सँ आयल। सह-संचालक अमित आनन्द कहलनि, “जी हाँ, ई स्थिति मैथिली मचान पर प्रो. उदय नारायण सिंह नचिकेता जी संग प्रो देवशंकर नवीन जीक मैथिली भाषा व साहित्य पर विमर्शक कारण भेल। ई पूर्व निर्धारित छल। हाँ एहि कारण पाठक लोकनि केँ कष्ट उत्पन्न भेल ताहि कारण क्षमाप्रार्थी छी, परन्तु ई सब आयोजन मैथिलीक कारण कयल गेल छल। हम सब गंभीरता सँ विचार कय रहल छी जे आब सँ विमर्शक कारण पाठक सबकेँ प्रतीक्षा नहि करय पड़नि। मैथिली अनुरागी केर कारण एकदम छोट परि गेल मचान, ई शुभ संकेत अछि। ब्रजेश जीक प्रश्न ठीक अछि।”
 
नवारम्भ प्रकाशनक संचालक आ कइएको पुस्तक प्रदर्शनी ओ बिक्रीक अनुभव समेटने अजित आजाद कहलनि, “भीड़ बेसम्हार छल। एम्हर विमर्श लेल मचानक सारा स्थान छेका गेल रहय – दू-दू घंटा धरि बिक्री ठमकल – कतेक दूर-दूर सँ लोक सब आयल छलाह पोथी कीनय-देखय; परञ्च विमर्शकाल धरि बिक्री रोकि देला सँ आगन्तुक जनमानसमे जनाक्रोश स्वाभाविक रहय। रवि सन छुट्टीक दिन… दुर्भाग्यवश आजुक दिनक भरपूर उपयोग नहि भऽ सकल। परञ्च विमर्शक लाभ बहुत लोक उठा सकलाह, ईहो मैथिलीक हित मे उचित भेल।” एक प्रश्न जे विश्व रेकर्ड बनेबाक लेल कतेक मैथिल जनमानस सहयोग कय रहला अछि, अर्थात् कतेको लोक १ हजार टकाक पोथी कीनि रहला अछि, आजाद उत्तर देलनि कि एहि नाराक बहुत पैघ प्रभाव लोकमानस मे देखि रहल छी। बेसी मिथिलानी (महिला) लोकनि १ हजार के बदला २-२ हजार केर पोथी कीनिकय बाकायदा कहितो छथि जे ‘भेल न वादा पूरा!’ बहुत सुखद लागि रहल अछि। वास्तव मे मैथिली मचान एक नव क्रान्ति जकाँ लागि रहल अछि।
 
एखन त मात्र २ दिनक मेला सम्पन्न भेल अछि। आगामी १४ जनवरी धरि ई पुस्तक मेला चलत। काल्हि बाधाक बावजूद लगभग ५० हजार मूल्य बरोबरि पोथी सब बिक्री भेल। पुरान आ नव सब तरहक पोथी बिक्री भेल। बकौल आजाद समकालीन कविक रचना सब सेहो नवतुर पाठकक रुचि मे देखल गेल जे बहुत आह्लादकारी अछि। दिल्लीक विभिन्न संघ-संस्थाक सहयोगपूर्ण रवैया सँ मैथिली मचान भव्यतम् सफलता पाबि रहल अछि। मैथिली साहित्य महासभा, मलंगिया फान्डेशन, मैलोरंग, विश्व मैथिल संघ, अखिल भारतीय मिथिला संघ, अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति, आदि अनेकानेक संस्था-मुहिम सँ आबद्ध सज्जनवृन्द सब बैढ-चैढकय हिस्सा लय रहला अछि। तहिना विमर्शीक तौरपर आ विभिन्न रचनाक लेखक – स्रष्टा लोकनिक सहभागिता सेहो उल्लेखणीय देखा रहल अछि। नेपालहु सँ छूटल कवि-सर्जक यथा प्रसिद्ध गीतकार-रचनाकार कालीकान्त झा तृषित, प्रेम विदेह ‘ललन’, आदि अपन पोथी-रचना सब दिल्ली पुस्तक मेला मे सहभागिता हेतु पठेबाक उपक्रम कयलनि अछि। सामाजिक संजाल मे एखन सभक वालपर सिर्फ आ सिर्फ एहि मैथिली मचान आ विश्व पुस्तक मेलामे मैथिलीक प्रतिनिधित्वक चर्चा जोर पर अछि। दिल्लीमे मौजूद सहयोगी सज्जन मे प्रवीण कुमार झा, ऋषि झा मलंगिया, संजीव सिन्हा, हेमन्त झा, हरि शंकर तिवारी, आदि संचालक व स्टाल व्यवस्थापक केँ भरपूर संग दय रहला अछि। समग्रमे एकटा शुभकारी आयोजन यज्ञसमान मैथिली (जानकी) लेल समर्पित देखा रहल अछि। मैथिली जिन्दाबाद!!
 
हरिः हरः!!

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