विशेष सम्पादकीय
२७ दिसम्बर, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
आगामी ६ जनवरी सँ १४ जनवरी – २०१८ धरि भारतक राजधानी दिल्ली मे विश्व पुस्तक मेला लागि रहल अछि। मैथिली भाषा विश्वक एक प्राचीनतम् भाषा रहितो राज्यक संरक्षण टुहुरा-लिल्लोह बनल एखन धरि एहि मेला मे कोनो वृहत् स्तरक सहभागिता नहि दय सकल छल, वैह इक्का-दुक्का जिवट मैथिल किंवा मैथिली भाषाक पोथी सब प्रकाशन कयनिहार प्रकाशक लोकनिक स्टाल मार्फत मैथिली केँ सहभागिता भेटैत रहल जे केकरो पता चलल, केकरो सुइयोक नोंक बरोबरि जनतब नहि भेटल। दोसर बात, स्वयं मैथिलीभाषीक मोन मे एकटा अजीब धारणा – धुकचुकाहट घर कय गेल अछि जे कहीं हमर भाषा सच मे तेहेन दरिद्र आ निकृष्ट त नहि जेकर कतहु कोनो पूछ नहि अछि…. यैह द्वारे न हम सब अपन बालो-बच्चाक संग मैथिली नहि बाजि उचैक-उचैककय दोसर केँ नीक जेकाँ बुझबैत आन-आन भाषा मे बाजिकय फूलिकय फूलौड़ी होएत रहैत छी – ईहो मानसिकता आइ बहुल्य मैथिल समाज मे व्याप्त अछि। तेसर, सत्ताक लोभ मे फँसल खुद मिथिला-मायक छाती पर पोसायल कइएक टा नेता खेसारीलाल सब पटना आ दिल्ली पहुँचबाक संग-संग जिला परिषद् आ पंचायत तथा प्रखंड मे गाँधी टोपी आ खद्दर धोती पहिरिकय नेता बनबाक होड़ करैत अछि, मुदा अपनहि मातृभाषा आ मातृभूमिक मौलिक सभ्यता, संस्कार, साहित्य, संस्कृति आदिक कोनो चिन्ता ओकरा मे नहि रहैत छैक; ओ त उन्टा जातीयताक नाम पर कोहुना गणितक हिसाब जोड़ैत अपन बाजी पार करैत गद्दी धरि पहुँचबाक होड़ मे लागल रहैछ। सब तरहें मैथिलीक नीक दिन वास्ते न्यून आ दुर्दशा केर बहुतायत डेग सब बढैत देखल जाएछ। एहेन सन अवस्था मे मिथिलाक ओ चिन्तनशील सन्तान जेकरा बुझल छैक भाषा आ साहित्य सँ हमर समाज तथा संस्कृति-सभ्यताक संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धन होयत, ओ सब स्थापना करैत अछि “मैथिली मचान” केर आ दिल्लीक दिलवाली भूमि पर बड़का-बड़का आडम्बरी भीड़क बीच मे पहुँचि जाएत अछि मैथिली पोथी लय केँ लोक सभक सोझाँ प्रदर्शनी आ बिक्री लेल।
मैथिली मचानक संस्थापक-संचालक मे सँ एक अमित आनन्द मैथिली जिन्दाबाद सँ वार्ता करैत कहलनि जे जतेक चिन्ता करैत रही ततेक चिन्ताक बात नहि छैक, अखिल भारतीय मिथिला संघक स्वर्ण जयन्ती दिवस पर तालकटोरा मे पुस्तक प्रदर्शनी मे मैथिल पाठकक सहभागिता आ उत्साह संगे क्रय क्षमता सँ हमरा लोकनि बहुत उत्साहित छी। आगामी विश्व पुस्तक मेला लेल मैथिली अकादमी, साहित्य अकादमी, नवारम्भ प्रकाशन, शेखर प्रकाशन सहित नेपालहु सँ विभिन्न प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मैथिली पोथीक अम्बार आबि गेल अछि। संघक आयोजन मे ग्राहकक सुविधा लेल पे-टीएम आ कैसलेश ट्रान्जैक्सन लेल कार्ड स्वाइप केर व्यवस्था केने रही। लगभग ८ हजार टाकाक बिक्री कार्ड मार्फत आ बाकी लगभग ८ हजारक बिक्री नगदा-नगदी सेहो भेल। एक दिन मे एहि तरहक बिक्रीक उम्मीद नहि छल, लेकिन यथार्थे कहल गेल छैक जे अहाँ लोक केँ अवसर त दियौक।
अपन अनुभव रखैत अमित आनन्द कहैत छथि, “मैथिली लेखक केँ लेखनी करय सँ पूर्व पाठकक रुचि केर सेहो ध्यान राखक चाही। कतेको रास ग्राहक जे चीज अपन साहित्य सँ तकैत रहैत छथि ओ सब पोथी उपलब्ध नहि अछि।” असंगठित रूप सँ मैथिली मे लेखनी जारी अछि। संगठित रूप सँ राज्य द्वारा लेखनी प्रोत्साहन कयने बिना जे-जतेक लिखा रहल अछि तेकर बाजार-वितरण व्यवस्था कतहु अछिये नहि। ओ त लोक अपन जेबी सँ पाइ भैरकय लिखैत रहैत छथि, प्रकाशित करबैत रहैत छथि, केकरो बिकायल, केकरो नहि बिकायल… अवस्था त दुर्दिने मे छैक।
अमित आनन्द जानकारी दैत कहलनि जे मैथिली साहित्य आ एकर सेवक सभक गहिंर रुचि बहुत प्रभावित करैत अछि। सरिसोपाही गाम मे कार्यरत एक साहित्यिकी केर नामक विशेष उल्लेख करैत आनन्द कहलनि जे आइ किछुए दशक मे सौ सँ बेसी पोथीक प्रकाशन एहि छोट ग्रामीण संस्था द्वारा होयब संभवतः विश्व रेकर्ड थिक। हमर आग्रह पर एहि लेल लिम्का बुक्स अफ वर्ल्ड रेकर्ड आ एतेक तक कि गिनीज वर्ल्ड रेकर्ड वला हेतु समुचित प्रयत्न करबाक चर्चा सेहो ओ केलनि।
नेपाल दिशि लेखनीक अवस्था कमजोर अछि या प्रकाशनक कमी? अमित आनन्दजीक एहि जिज्ञासा पर मैथिली जिन्दाबादक संपादक प्रवीण नारायण चौधरी कहलनि जे नेपालदेशक एकल भाषा नीतिक कारण एतय बहुदल प्रजातंत्र केर संविधान पूर्व – यानि १९९० सँ पहिने लेखनीक स्वतंत्रता नहि छलैक, कोनो बात लिखब आ प्रकाशित करबा लेल पंचायती शासक – राजतंत्रक पदाधिकारीक सेन्सर सँ अनुमति भेटलाक बादे प्रकाशन कयल जा सकैत छल, यैह कारण सँ एतय लेखनी यात्रा मे कतेको दर्जन लेखक पाछाँ छूटि गेल छथि। तेकर बादो पुस्तक लिखब आ बिक्री करब चुनौतीपूर्ण छहिये। एखन धरि संविधान सँ एहि देश मे मैथिली लेखनी प्रति कोनो उदार भाव नहि राखल जा सकलैक अछि। डा. बाबूराम भट्टराईक प्रधानमंत्रित्वकाल मे राम रिझन यादव समान मैथिली अभियानीक प्रेस सल्लाहकार होयबाक युग मे निश्चित एकटा विद्यापति पुरस्कारक घोषणा कयल गेलैक जे साल मे लगभग ५-६ विधा मे पुरस्कार दैत छैक। मुदा ईहो पुरस्कार पर राजनीतिक कारी छाया देखल जा रहलैक अछि। मैथिली भाषा-साहित्यक अवस्था ताहि सँ बहुत नीक अवस्था मे नहि छैक। संचारकर्म मे सेहो ई पाछुए देखाएत अछि नेपाल मे। तखन नेपाल सँ सेहो देवेन्द्र मिश्र, करुणा झा, रमेश रंजन झा, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, सुजीत झा, डा. राम भरोस कापड़ि ‘भ्रमड़’, परमेश्वर कापड़ि, डा. राजेन्द्र विमल, किरण झा, भोला झा, श्याम सुन्दर यादव पथिक सहित विभिन्न लेखक लोकनिक पोथी दिल्ली पहुँचत ई अपेक्षा अछि।
नवारम्भ प्रकाशनक संचालक अजित आजाद हैदराबाद मे आयोजित विद्यापति स्मृति पर्व समारोह मे एक दिन मे ८ हजार टकाक पोथी बिक्री कय प्रसन्नता अपन फेसबुक वाल पर व्यक्त करैत छथि। विराटनगर मे शिव कुमार ठाकुर – शिव पुस्तक भंडार द्वारा २ लाख टकाक पोथी बिक्री कयल जाएत अछि। राजविराज मे हालहि संपन्न अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन मे सेहो ठाकुर द्वारा ५० हजार टकाक पोथी बिक्री कयल जाएत अछि। अर्थात् बिक्री संभावना छैक, अवसर केर कमी, बाजार व्यवस्थापनक अकाल आ समुचित सहयोग करैत प्रकाशन मे वृद्धि करबाक बेसी जरुरत अछि। डा. चन्द्रमणि झा केर पोथी हाथे-हाथ बिका जाएत अछि, कारण हुनक रचनाक प्रसिद्धि आ लोकप्रियता एकटा अलगे ब्रान्ड स्थापित कयने अछि। सङ्गोर नामक उपन्यास बिक्रीक कारण लेखक रमेश रंजन झा केँ मिथिलाक चेतन भगत केर उपमा डा. उषा किरण खान दैत छथि। एक सँ एक उपयोगी पोथी – बस अवसर पर उपलब्ध करेला सँ बिक्री आ पठन संस्कृति मे वृद्धि होयबाक आसार स्पष्ट अछि। हालहि धियापुता लेल बाल बंधुक प्रकाशन, स्त्री समाज लेल सखि-बहिनपा, आम पाठक लेल मिथिला सृजन सहित विभिन्न उपक्रम नवारम्भ प्रकाशन सँ आरम्भ भेल अछि। विज्ञापन उपलब्ध करबैत एकरा सब केँ समुचित प्रवर्धन करब जरुरी अछि। अपने करब तखनहि मैथिलीक नीक दिन आओत, केकरो भरोसे रहब त बिथुतो नहि होयत।
हरिः हरः!!
मैथिली मचानक अपील (नैतिक विज्ञापन)
#मैथिली मचान- मैथिली पोथी लेल
“26म New Delhi World Book Fair (प्रगति मैदान, 6 सं 14 जनवरी) मे #मैथिली मचान /स्टालक मादे किच्छ आवश्यक सूचना अछि। एहि स्टाल पर मात्रे मैथिली भाषा- साहित्यक पोथी बिक्री व प्रदर्शनी क लेल रही सकैत अछि।
प्रकाशक/ लेखक (एहि पार आ ओहि पार) सं आग्रह जे एहि पता पर अपन पुस्तक पर्याप्त मात्रा मे एही पता पर शीघ्र पठाबी :
CSTS
BE-7B,
DDA Flats, Munirka
New Delhi- 67.
संगहि कैटेलॉग बना क अंकित मूल्य, विक्रय मूल्य, कत्ते कापी के लिस्टिंग [email protected] पर ईमेल वा 9430585378 पर सूचित करी/ पठाबी से आग्रह।
प्रतिष्ठित मैथिली मैगजीन, जर्नल सेहो पठा सकैत छी, सब्सक्रिप्शन फार्म संग।
अपन बैंक डिटेल सेहो संलग्न करी जाहि पर बिक्री भेल पोथी के पाय पहुंची जायत आ पुस्तक मेला के समाप्ति के एक सप्ताह के भीतर बचलाहा पोथी सेहो रजिस्टर्ड बुकपोस्ट क देल जायत।”
[ CSTS – Centre for Studies of Tradition and Systems (सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ़ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स) ]