– अजय मिश्रा, ग्राम: गलमा, जिला दरभंगा
हरा गेल अछि पहिलुका सान
गाछक लागल मालदह आम
दही चुरा संग लोंगिया मिर्चाय
मिथिला क माछ, पान, मखान।
हरा गेल अछि ललका पाग
मरुआ रोटी संग गोटक साग
संस्कार अपन हरा गेल अछि
केना क हैत एकादसी जाग।
हरा गेल अंगना दुआइर
सुखा गेल कमला आ धार
हैण्ड पम्प आ नलका लागल
भरा गेल सब पोखैर इनार।
हरा गेल अछि फुइसक घर
पहिलुका बला कनिया आ बर
कोजगरा म मखानक खगता
चूल्हा पर बनल माछक झोर।
सुन भेल अछि गामक जतरा
धिया पुता संग कनिया पूतरा
चोर्चैन पाबैन क दैलपूरी
भेय्य बहिनक भ्रदुतिया।
हरा गेल चारक कुमहर
संगे संग गमक कुम्हार
भार भरीया महफा हरायल
हरागेल गामक परिवार।
कतय हरायल माथक टिक
ढैह गेल अछि मैटक भीत
धर्म कर्म आ गोत्र हरायल
के गावत गोसोउनिक गीत।
हरागेल अछि मैथिलि बोली
जलखई क्लोह तिमन सोहारी
बिलागेल खेतक संग हरबाहा
गेय्य महिष चरबैत चरबाहा।
हरागेल अगना सँ तुलशीचौरा
सुन अछि माँ, दादी क कोरा
कतय हरायल गामक पनचैती
ढैय गेल कोठी तौरक गोरा।
कतय हरायल बिध-बिधकरी
केना हैत आब बिध वेबहार
के करत आंगना म अरिपन
केना करब पावनि-तिहार
केना करब पावनि-तिहार।
सभ अछि ठामे ठाम
हेरागेल अछि बथान आ दलान।
हेराए नहि दिऔक पाबन तिहार
सभ ठाम जमेने रहूअपन संस्कार।
आस राखू विश्वास राखू
अरिपन राखू ,गमलेकेतुलसीचौरा मानू।
मोन मे मिथिला राखू, बोली मे मैथिली,
जतय मैथिल, ततय मिथिला,
तखन व्यथित कथी लय।