सुभाषचंद्र झा, बनगाँव, सहरसा। मार्च २०, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
महाकवि विद्यापति केर स्मृति मे विशेष समारोहक संग एक दिवसीय आयोजन सहरसा जिला आ सम्पूर्ण मिथिला मे एक अलग विशिष्टता राखयवला गाम बनगाँव केर भगवतीस्थान मे काल्हि रवि दिन १९ मार्च केँ सम्पन्न भेल। एहि समारोह मे अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समितिक अध्यक्ष डा. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ सहित मैथिली भाषा ओ मिथिला संस्कृति प्रति समर्पित भाव संग अपन आजीवन योगदान देनिहार कइएको हस्ती सब सहभागिता जनौलनि। आजुक मुख्य अतिथि मैथिली मंचक सुप्रसिद्ध उद्घोषक कमलाकान्त झा छलाह जखन कि उद्घाटनकर्ता दरभंगा प्रक्षेत्रक आइजी उमाशंकर सुधांशु छलाह। स्वयं बनगाँव केर जाग्रत समाज सँ डा. आलोक रंजन सहित विभिन्न राजनीतिकर्मी, समाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी गणमान्य व्यक्तित्वक संग जनसाधारणक उपस्थिति महत्वपूर्ण छल। मैथिली गायक रामबाबू झा केर संगीत टोली द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम सेहो प्रस्तुत कएल गेल।
मातृभाषाक महत्व बहुतो कारण सँ विस्मृति होयबाक चलते मिथिला समाज भारतवर्षीय अन्य पहिचान सँ काफी पाछू छूटि जेबाक मर्म उजागर करैत वक्ता लोकनि विद्यापति केर स्मृति सँ समाजक हरेक वर्ग आ धर्म बीच पुनः अपन मौलिकता आ निजता प्रति चेतनाक प्रसार भऽ रहल अछि जे अन्ततोगत्वा एतय सँ अन्य पहिचानक उपनिवेश केँ उखाड़ि फेकत ओ सब कहलैन। समाजक प्रतिष्ठा अपन मौलिकता केँ त्याग केला सँ नाश होएत छैक ई बात सब केँ आत्मसात करबाक पहर थिक, एहि समय जाति-आधारित राजनीति मिथिला समाज केँ आरो छहोंछित कय रहल अछि, ताहि हेतु उचित शिक्षा आ सद्भावनाक प्रसार पर जोर देबाक आह्वान करैत कविकोकिल विद्यापतिक आजीवन योगदान केर स्मृति कएल गेल। मानले बात छैक मिथिलाक विभिन्न विभूति मे विद्यापतिक स्वीकार्यता अलगे स्थान रखैत अछि आर जनसामान्य केँ कोना शिक्षित कएल जाय ताहि लेल हुनकर देल नारा ‘देसिल वयना सब जन मिट्ठा’ ताहि अवधारणाक आधार पर आइयो प्राथमिक शिक्षा मैथिली माध्यम सँ हो तेकर मांग कएल गेल। आम दर्शक लोकनि मैथिली भाषाक मिठास सँ दूर होयबाक पीड़ा सँ छुटकारा भेटबाक बात करैत अभरलाह। आइ-काल्हि भोजपूरी आ हिन्दीक फूहर गीत सँ मिथिलाक मौलिकता केँ जानि-बुझि मारबाक काज कएल जाएत अछि जाहि मे एहि तरहक आयोजन सँ लोक पुनः अपन भाषा प्रति जागरुकता ग्रहण करत, बड़-बुजुर्गक मुंह सँ यैह बात सुनल गेल।