मिथिलाक पावनिक विशिष्टताः कुमारि कन्याक तुसारी पूजा

मिथिलामे कुमारी कन्याक तुसारी पावनि

– सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम

tushari puja1जनकपुर उपमहानगरपालिका ८क पिंकी चारिम बेर तुसारी पूजि रहल छथि । माघ महिनाभरि होबएबला एहि पावनिकेर क्रममे प्रत्येक दिन भोरवामे पिंकी ई पूजा करैत छथि । हमरासभक लेल ई महत्वपूर्ण पावनि अछि तएँ बहुत निष्ठाक संग ई पूजा करैत छी ओ कहलीह ।

जनकपुर ४क निकी एहिबेर ई पावनि उठौली अछि । ई पावनिके लऽ कऽ एक हप्तासँ हमरा घरमे चहल पहल छल ओ कहलीह । कुमारी कन्याद्वारा कएल जाएबला ई पावनिकेर एखन मिथिलाञ्चलमे धूम अछि । प्रत्येक दिन भोरमे कौवा बाजएसँ पहिनहि कुमारी कन्या ई पूजा करैत छथि ।

महाराज महेश ठाकुर कलेज दरभंगाक प्राध्यापक चन्द्रमोहन झा पड़वा ई पावनिकेँ तपस्या स्वरुप पूजा मानैत छथि । ओ कहैत छथि ई पूजा कएलासँ खाली नीक पतिये टा नहि बल्कि नीक सन्तान आ पारिवारिक जीवनमे निक जेकाँ दम्पति जीवन बितए ताहुलेल कएल जाइत अछि ।

पुरहित पेशासँ आवद्ध पण्डित विद्यानन्द झा कहैत छथि जहिना उत्कट गर्मी जेठ महिनामे पंचाग्नी व्रत विहिन अछि तहिना माघ मासक उत्कट जाड़ मासमे तुसारी पूजबाक विधि अछि ।

कुमारी कन्यासभक जाधरि विवाह नहि होइत अछि ताधरि ई पावनि कएल जएबाक चाही । महोत्तरीक जलेश्वरक रुक्मीणी देवी कहलीह हम ६ बेर ई पावनि कएलहुँ तकरबाद हमर विवाह भेल छल । विवाह भेल बर्षमे निस्तार कएल जएबाक मिथिलामे परम्परा रहल अछि ।

एहिमे कुमारि कन्या सभ तीनटा अरिपन दैत अछि । जाहिमे उज्जर, पियर आ लाल रंगक पिठारसँ पूजा कएल जाइत अछि । पूर्व, दक्षिण आ उत्तर दिस अरिपन बना कऽ पूजा कएल जाइत अछि । तीनू दिसके अलग अलग महत्व अछि । धार्मिक अनुष्ठानादिक जानकार सेहो रहली मिना देवी कहैत छथि जे तीनू रंगक अरिपन सत्वगुण, रजोगुण आ तमोगुणक प्रतीक थीक ।

पूजाक विधान

तुसारी पावनिमे पवनैतिन कन्यासभकेँ कौवा बाजएसँ पहिने उठि कय स्नान कऽ पूजा करबाक विधान रहल अछि । पूजा शुरु करएसँ पहिने पूजाक पिठार रखबाक लेल चारि गोट चुकाबला लकजोरी कुम्हारसँ आनि लेल जाएत अछि । ओ लकजोरी मे सँ तीनटामे तीन रंगक पिठार आ चारिममे रोजक जे पूजल पिठार रखैत छथि । पिठार अरबा चाउरकेँ कूटिकय बनाओल जाएत अछि । पियर पिठार अरबा चाउरमे काँच हरदि दऽ कूटिकय बनाओल जाएत अछि आ लाल अरबा चाउरमे सिन्दुर दऽ कूटिकय बनाओल जाएत अछि ।

तुसारी पूजामे अरिपनकेर खास महत्व रहल अछि । तुसारी पूजनक लेल आंगन तुलसी चौराक आगाँ मे तीनटा अरिपन देल जाएत अछि । अरिपन तीन दिशामे देल गेल रहैत अछि । पूर्व मुँहक अरिपन उज्जर पिठारसँ, दक्षिण मुँहक पियर पिठारसँ आ उत्तर मुँहक लाल रंगक पिठारसँ देल जाएत अछि । अरिपनक बीचमे गौरीक यन्त्र लिखल जाइत अछि । ओ यन्त्रसभपर बेलपत्रकेँ तोरि कय चढाओल जाएत अछि जाहिमे सिन्दुर सेहो लगाओल जाएत अछि । सुपारी लऽ मन्त्र पढि-पढि कय यन्त्रकेँ काटल जाएत अछि । कुमारि सभ पूजा काल पयरतरमे सनक गेरुली रखैत छथि । जानकार महिलासभक अनुसार ई पिठार पवनैतिन वा कोनो दोसर कुमारी कन्या बिना खएने कुटैत छथि । २९ दिन कौवा बाजएसँ पहिने ई पूजा कएल जाएत अछि तऽ अन्तिम दिन सूर्योदय भेलाक बाद होएत अछि । ओहि दिन आने दिन जेकाँ तीनटा अरिपन देल जाएत अछि । अरिपनसँ पूर्व भागमे सूर्य, चन्द्रमा आ नवग्रह केर अरिपन देल जाएत अछि । पातिल पुरहरक अरिपन सेहो रहैत अछि । अरिपनक नीचाँ भागमे साठीक आ गौरीक अरिपन रहैछ । गौरीक हेतु नैवेद्यमे केरा, पान, मखान राखल जाएत अछि ।

महिलासभक अनुसार पवनैतिनसभ पहिने गौरीक पूजा एकर बाद नवग्रह आ तखन साठीक पूजा करैत छथि आ फेर आन दिनजँका तुसारी पूजन करैत छथि । तीनू अरिपनपर पूजलाक बाद पूजित देवताक विसर्जन कय ओहिठाम जे उसरगल गेल घैल, कोहा आ मटकुरी अइहव लोकनिकेँ बाँटल जाएत अछि । ओ तीनूमे अक्षत, सुपारी, पैसा आ मालपुवा रहैत अछि । ओहि दिन अनुन खएबाक सेहो परम्परा रहल अछि । पूजासँ पहिने गोसाउनिक गीत आ महेशवाणी सेहो गायल जाएत अछि ।

तुसारीक मन्त्रसभ

पूर्व दिसक अरिपनपर पूजाक मन्त्र

तूस तुसारी जन्म कियारी छत्ता धारी ।
मण्डप पूजू–पूजू रे माघ तुसारी ।
सेवक धिया मधु माधवसँ संसारक सार ।
सोतिक घर जन्म लिय ब्राह्मणक घर बैन दिय ।

सौतिन चेरिया नमोस्तुते–३ ।

दक्षिण दिसक अरिपनपर पूजाक मन्त्र

अत्थल पूजू, पत्थल पूजू, पूजू रे माघ तुसारी ।
सेवक धिया मधु माधवसँ संसारक सार ।
सोतिक घर जन्म लिय ब्राह्मणक घर बैन दिय ।

सौतिन चेरिया नमोस्तुते–३ ।

उत्तर दिसक अरिपनपर पूजाक मन्त्र

घाट निपू पाट पहिरु, साँइ सहित राज भोगू
साँइ घोडा मएँ दोला,

सौतिन चेरिया नमोस्तुते–३ ।