चौमासाक अन्तिम मास – कार्तिक मासः भजू मन सीताराम

स्वाध्यायः धर्म-दर्शन

– प्रवीण नारायण चौधरी

sitaramहिन्दू धर्म ओ परंपरानुसार हरेक वर्ष साओन मास केर हरिशयनी एकादसी उपरान्त आरम्भ चौमासा कार्तिक मास मे देवउठाउन एकादसी दिन संपन्न होएत छैक। मान्यता मुताबिक हिन्दू समाज मे एहि चारि मास अत्यधिक धर्म-कर्म कैल जाएछ। बहुत रास पूजा-पाठ आ पाबनि मनेबाक सेहो परंपरा एहि चारि मास मे देखाएछ। बड़-बुजुर्ग आ धर्म-मर्मज्ञ सब मानैत छथि जे भगवान् हरि केर शयन सँ पुनः देवउठाउन एकादशीक दिन उठबाक समय धरि मानव समाज ईश्वर प्रति विशेष समर्पित रहि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान सँ अपना सहित अपन इष्टमित्र परिजन-पुरजन लेल शुभ कल्याण कार्य करैत अछि।

दुर्गति-नाशिनी दुर्गा जय जय, काल विनाशिनी काली जय जय।
उमा रमा ब्रह्माणी जय जय, राधा-सीता-रुक्मिणि जय जय॥
साम्ब सदाशिव, साम्ब सदाशिव, साम्ब सदाशिव, जय शंकर।
हर हर शंकर दुखहर सुखकर अघ-तम-हर हर हर शंकर॥

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे॥
जय जय दुर्गा, जय माँ तारा। जय गणेश जय शुभ-आगारा॥
जयति शिवाशिव जानकिराम। गौरीशंकर सीताराम॥
जय रघुनन्दन जय सियाराम। व्रज-गोपी-प्रिय राधेश्याम॥
रघुपति राघव राजाराम। पतितपावन सीताराम॥

हालहि लक्ष्मीपूजाक, हुराहुरी, भरदुतिया संपन्न भेल अछि। काल्हि सँ महापर्व छैठ सेहो आरम्भ भऽ जायत। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी केँ ‘नहाय-खाय’ सँ आरम्भ भऽ पंचमी केँ खरना आ षष्ठी केँ छैठ केर संध्या अर्घ्यदान तथा सप्तमी केँ भोरका अर्घ्यदान दैत छैठ व्रतधारी सब परना करता। छैठ परमेश्वरीक पूजा धरि आब मिथिला समाज सहित समस्त हिन्दू समाज लगभग व्यस्त रहैत अपन घर-अंगनामे श्रीसीतारामजीकेँ स्वागत लेल तैयार रहता।

सीता छथि मिथिला के बेटी, राम भेला जे पाहुन यौ!
नहि बिसरू एहि पावन धरती, प्रेमक गीत जे गाबू यौ!!

हरि: हर:!!