विकास झा, हैदराबाद। जनबरी २७, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
एतहि भुतिया गेलहुँ? एखन त’ पूरा टाइमलाइन बांकीए अछि ! त’ देरी कथीक? अपन प्रति एखने सुरक्षित कराउ। आउ https://www.sappymart.com/
_________________________
मिथिला प्रेमक नगरी रहल अछि आ मैथिली प्रेमक भाखा। आ से रहितो मैथिलीमे प्रेम संबंधी कथाक व्याप्त अकाली सहजहि अकानल जा सकैछ। मैथिलीमे प्रेमक कविता त’ खूब कहल गेल अछि मुदा कथाक अभाव ई संदेह जगबैत अछि जे कहीं मैथिलीक प्रेमक शैली सुच्चा काव्यात्मक त’ नै? समय आ परिस्थितिमे भेल एतेक परिवर्तनक उपरान्तो मैथिलीक प्रेमकथा एखनहु घोघ, चान, काजर-टिकुली, परदेस आ पातीए धरि सकुचल अछि।
मैथिलीक प्रेमकथाक एही अभाव आ अप्रासंगिक शिल्पकें दरकिनार करैत अछि ई मैथिली लप्रेक (लघु प्रेम कथा) संकलन – “प्रेमक टाइमलाइन”। “प्रेमक टाइमलाइन” किछु नवतुरिया द्वारा गामक खरिहानसं महानगरक चकाचौंध तक पारल एकटा एहन “लाइन” छैक जाहिपर प्रेम छै आ बस अगबे प्रेम छै।
एहि टाइमलाइनपर जहाँ एक दिस गाम-घरक नुकाएल-लजाएल प्रेम अछि ओतहि दोसर दिस शहरी जिनगीक सामयिक या यथोचित चित्रण सेहो। टाइम संगे-संग बदलल प्रेमक लाइन हो या मिथिलाक संस्कृति आ मैथिलीक माधुर्य – दुनू एहि प्रेमक टाइमलाइनपर सहेजल अछि।