महिलाक लेल मात्र! संवाद मैथिलिए टा मे!! – सखि-बहिनपा ग्रुप ‘फेसबुक पर मिथिलानीक समूह’

बीरगंज। २७ अगस्त, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

sakhi bahinpaओना तऽ फेसबुक आ व्हाट्सअप आजुक जमाना मे सर्वाधिक लोकप्रिय सामाजिक संजाल केर रूप मे नाम कमा लेलक, मिथिलावासीक संख्या सेहो एहि संजालक प्रयोगकर्ताक रूप मे कम नहि, मुदा मिथिलानी (महिला) केर सक्रियता यदा-कदा कम छल। रहबो कएल तऽ कोनो अन्जान भय सँ पुरुषप्रधान समाजक सोझाँ बहुत बेसी एक्सपोजर नहि रखैत छली मिथिलानी। एहि भावुकता सँ भिज्ञ मुदा मैथिली-मिथिला अभियान मे सदा सक्रिय रहनिहाइर आरती झा अपन बहुत दिनका नियार केँ आखिर एकटा निर्णीत रूप देबय मे सफल भेलीह – फेसबुक पर ‘महिलाक लेल मात्र! संवाद मैथिलिए टा मे!!’ नारा संग लगभग ३०० मिथिलानी केँ एक संग जोड़ैत ‘सखि-बहिनपा’ नाम सँ ग्रुपक शुरुआत कएलीह।

आरती झा मैथिली जिन्दाबाद केँ जानकारी दैत कहलनि जे “एकटा चौतर्फा चर्चाक विषय छल महिलाक सहभागिता मैथिली-मिथिला मे नगण्य रहबाक विषयक, मुदा मिथिलानी मे आदिकाल सँ अपन शक्तिक भान रहबाक स्थापित सत्य हमरा एहि लेल प्रेरित केलक आ एहि ग्रुपक स्थापना हुनका सबमे मैथिली लेखनक संग परिवारक माहौल मे विलोपान्मुख मैथिली केँ पुनर्स्थापित करबाक लेल प्रेरित करब हमर मुख्य उद्देश्य छल”। निश्चित, एखन एहि ग्रुप पर एक सँ बढिकय एक नामी-गिरामी मैथिली लेखिका आ नवागन्तुक लेखिकाक सक्रिय योगदान सँ नित्य दुइ-चारि टा कृति मैथिली साहित्यकेँ भेटि रहल छैक। आरती झा जानकारी दैत कहलनि जे, “साल मे सब नीक आ चुनल कृति सबकेँ सम्मान देबाक लेल प्रिन्ट पत्रिका मे प्रकाशित करायब, संभव होयत तऽ स्मारिका रूप मे अलगे प्रकाशित सेहो करब।” मिथिलानी लोकनिक एहि डेगक सराहना करैत मैथिली जिन्दाबाद शुभकामना ज्ञापन करबाक संग-संग नीक-नीक आलेख आ कृति सबकेँ नियमित प्रकाशित करबाक वचन दैत अछि।

aarti jha“हाल धरि ग्रुप पर कनाडा, लंदन, न्युयोर्क, दिल्ली, टाटा, राँची, काठमांडु, राजविराज, विराटनगर, आदि अनेको ठाम सँ सब उम्रक सखि-बहिनपा जुड़ि गेली अछि।” आरती झा जानकारी करौलनि। संगहि ओ अपील करैत कहली, “मैथिली जिन्दाबादक मार्फत सँ हम एहि ग्रुपक लिंक शेयर कय रहल छी। https://www.facebook.com/groups/MaithiNaari/ – अनुरोध जे मात्र महिला टा अनुरोध पठाबी। अपन परिचय दी, सखी बनी, बहिन बनी। सब कियो मिलिजुलि मिथिलाक हेराइत पहिचान केँ ओहिना संरक्षित करी जेना गार्गी-मैत्रेयी-भारती आ सर्वसमर्थ सीता मिथिलाक पहिचान केँ विश्व मे सर्वथा अलग आ विलक्षण बनौलनि। हम सब कोनो तरहे मिथिलाक पुरुष समाज सँ पाछाँ नहि छी, भले लाज-धाख कने-मने हमरा सबहक संस्कार आ जीने मे बसैत अछि, तथापि एहि एकैसम शताब्दी मे पुरुष समाजक संग-संग डेग बढबैत लैंगिक विभेद केँ पूर्ण रूप मे समाप्त करी।” निश्चित रूप सँ आरती झा स्वयं बीरगंज (नेपाल) मे रहितो भारत आ नेपालक हर ओहि स्थान पर पहुँचैत रहलीह जतय एकटा मिथिलानी अभियानीक रूप मे हुनकर उपस्थितिक आवश्यकता पड़ैत रहल अछि। हुनक ई आह्वान मिथिला जगत् केर संपूर्ण महिला जनमानस लेल एकटा नव उर्जा आ सनेश लऽ के आयल अछि, ई अनुभूति आम जनमानसक अछि।

सुनंदा, शारदा, सीमा, रुबी, निलू, सोनाली, रश्मि, नुतन, गुड़िया, प्रभा, कुमकुम, सुचिता, आरती, अरुणा, काजल, विजया, अल्पना, जयन्ति, तनी, सुमन, दीप्ति, तनुश्री, इरा, पिंकी, करुणा, वीणा, आभा, अल्का – आरो कतेक नाम गानब। नामहि टा नहि, हिनका लोकनिक कृति सब जे प्रकाशित भेल अछि ताहू मे सर्वथा परिचित नाम रुबी झा केर विभिन्न हजल, कविता, गीत, आदि समाविष्ट अछि। तहिना नुतन मिश्र केर कृति सब एतय प्रकाशित भेल अछि।

आउ, किछु रुचिगर पोस्ट सब पर एक नजैर डाली:

आइये पोस्ट कैल रूबी झा केर हजल:

हजल

देखियो ई बबुआन कs केश बुझू मांथ पर की छत्ते बुझू
छथ सिकीया पहलवान मुदा पेट जनु कोनो खत्ते बुझू

अछि आगु मे चुरा दही कs पुजौर अधक्की जकाँ परसने
फूँक मारू तs ऊरता मनुख बुझू चाहे सुखेल पत्ते बुझू

कार्यक बिहून आ बाजब में छथ कने बेसिए होशियार
मजलिस लगेता सौंसे जा’ रोपल जेना गोबरछत्ते बुझू

लाज शर्मक शब्दों नै बुझल ग्लानी हिनका ओतs की हेतेन
हर्ष विषाद हिनका लेल की ईहो पुरुख अलबत्ते बुझू

धोती अंगा कहिये छोरलैन जिन्सक पेन्ट चुबैत रहे छै
शहर कs ओ अंखियो नै देखल रहै मुदा कलकत्ते बुझू

बेगारी बैसल ‘रूबी’ लिखs चाहलक किछ लिखा गेल किछ
जनु कियो लेब अपना पर एहनो नै सबटा सत्ते बुझू

नुतन मिश्र केर कविता:

बरा अजगुत देखालोँ,
भांति-भांति के घटक देखालोँ,
घटकैतिक माया जाल देखालोँ,
सगा-संबंधिक चाल देखालोँ,
सुनैत छलहूँ,
अपन स आन भला,
आन स जंगल भला,
आ बिपतिये में होएत अछि,
स्नेही जनक परिचय,
समयक चक्र में चकृत,
देखालोँ सब कीछ बिष्मित,
मूल्य चुकैलौं,
सत्य टा स किछ बेसी नै पेलों,
मुदा !
सत्ये स सहजता,
आ सहजता स प्रसन्नता,
आ प्रसन्नता स सम्पन्नता,
अंतर अस्पष्ट करैत अई,
आ कहैत अई,
भोला बछरा दूध पियैत अई,
आ सयाना कौआ बिष्ठा,
समयक क्रम येह कहैत अई,
अनुभव सेहो येह देखैत अई,
मुदा !
भावी के विधान स,
ग्रसित वर वा कन्या परिवार के,
घटक आ सम्बन्धी,
घत्कैतिक आर में,
दुहैत छथी निर्ममता स,
इर्षा-द्वेष कुटिल मुश्की में छुपोने,
जरल मोन स जे,
हमरा स निक केकरो ने होए,
घत्कैतिक सास्त्रक निर्माण,
मैथिलक अनुसंधान अई,
बरा अजगुत देखालोँ,
ई एकटा बरका चमत्कार अई

प्रभा झा लिखने छथि:

निकाइल क देह स ओ अपन जान देइत अछि,

बड मजबूत होई छै ओ पिता जे कन्यादान करैत अछि!!

आरती जी केर निम्न आग्रह:

अहि ग्रुप सँ जुडल सब सखी स एकटा छोट सन प्रश्न पुछबाक इच्छा भ रहल अछि।कोन कोन सखी अप्पन धिया पूता संग अप्पन मातृभाषा मैथिलीमें गप्प करैत छी?कमेंट बॉक्स में कमेंट के प्रतीक्षा में छी।खाली लाइक क क नै हटब से आग्रह।

आ एहि पर किछुए घंटाक समयान्तराल मे २२ मिथिलानीक ईमानदार टिप्पणी, के सब अपन धियापुता संग घर मे मैथिली मे बजैत छथि… लगभग सब कियो एहि लेल हामी भरलैन अछि। किछु गोटा ईमानदारीक संग कहलैन जे भले घर मे नहियो बजबाक माहौल अछि, मुदा धिया-पुता मे वंशानुगत मैथिलीक ज्ञान अछि। ओ सब लिखितो नीक छथि। एक गोट मिथिलानी कहलैन जे हमर बौआ स्कूल मे स्विडिश, सब संग ईंग्लिश आ घर मे मैथिली, एतेक तक जे एनआरआइ पिता जिनका मैथिली नहि सिखाओल गेल छलनि तिनको बचिया सिखा देलनि। आह! हिनका लोकनि ग्रुप चूँकि पब्लिक अछि। पोस्ट सबहक आनन्द सब कियो लऽ सकैत अछि। लाइक करबाक छूट छैक। धरि कमेन्ट करबाक लेल प्रतिबंधित छैक। आरती जी एहि लेल जानकारी देली जे एकटा समय एला पर मिथिलानी लोकनिक समर्थन सँ एहि ग्रुप केर सक्रिय अभियान संग पुरुष केँ सेहो जोड़ल जा सकैत अछि। ओ ईहो जानकारी करौलनि जे समय एला पर हमहुँ सब सोशियल मिडिया मीट केर आयोजन करब। एखन नव छैक, क्रमश: सब हेतैक। मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ फेर एक बेर सब गोटा केँ शुभकामना।

मैथिली जिन्दाबाद!!