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हीट वेभ से हो जाएं सावधान – डा. ए. कुमार

स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरी आलेख

– डा. ए. कुमार

आमजनों के बीच स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरुकता प्रसार हेतु लेखक डा. ए. कुमार

हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। ये घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं।

इन दिनों देश के कई हिस्से हीट वेव (लू) की चपेट में हैं। इस लू के चलते देश के तीन राज्यों में कई लोगों की मौत का दावा किया गया है। जिन राज्यों में ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा शामिल हैं। इस बीच, हीट वेव के प्रभाव को देखते हुए कई राज्यों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश की तारीखों में बदलाव किया है। जानलेवा बन चुकी लू सामान्य जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि हीट वेव क्या है? यह कब घोषित किया जाता है? भारत में हीट वेव की अवधि क्या है? देश में हीट वेव से प्रभावित राज्य कौन से हैं? हीट वेव का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? अभी क्यों चर्चा में है हीट वेव? इसका असर क्या पड़ रहा है? क्या पहले भी ऐसे हालात पैदा हुए हैं? आइये जानते हैं:-

हीट वेब क्या है?

हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। लू की घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म होती जा रही है, वैसे-वैसे दिन और रात सामान्य से अधिक गर्म होते जा रहे हैं और हीट वेव की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे मौतों और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

लू कब घोषित किया जाता है?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की परिभाषा के अनुसार, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो यह खतरनाक लू की श्रेणी में कही जाती है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो लू चलने लगती है।

भारत में हीट वेव की अवधि क्या है?

यह मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है। भारत में इन गर्म हवाओं का चरम महीना मई है।

हीट वेव का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, हीट वेव के स्वास्थ्य प्रभावों में आमतौर पर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), ऐंठन, उष्माघात आदि शामिल होते हैं। 39 डिग्री सेल्सियस से कम बुखार, सूजन और बेहोशी आमतौर पर ऐंठन के लक्षण होते हैं। थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियां ऐंठन और पसीना लू लगने के संकेत देते हैं। उष्माघात के लक्षणों में शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, दौरे या कोमा शामिल हैं। यह एक घातक स्थिति मानी जाती है।

अभी क्यों चर्चा में है हीट वेव?

कई रिपोर्ट्स में लू के चलते देश के तीन राज्यों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत का दावा किया गया है। जिन राज्यों में ये मौतें हुई हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा शामिल हैं। बिहार में लू के चलते 45 और ओडिशा में 20 लोगों की मौत की खबर है लेकिन इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि मौत का कारण लू ही है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। जिन लोगों की मौत हुई है, वह पहले से बीमार थे और गर्मी और लू के चलते उनकी बीमारी गंभीर हो गई, जो उनकी मौत का कारण बनी।

हीट वेव का असर क्या पड़ रहा है?

गर्मी को देखते हुए बिहार के कई जिलों में 12वीं तक के स्कूलों को 24 जून तक बंद कर दिया गया है। बिहार में हीटवेव ने पिछले 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले 2012 में 19 दिनों तक लगातार हीटवेव का दौर रहा था। इस बार हीटवेव को चलते हुए 20 दिन हो गए हैं। गोवा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में भी भीषण गर्मी को देखते हुए गर्मी की छुट्टियों को बढ़ा दिया गया है!

क्या पहले भी ऐसे हालात पैदा हुए हैं?

विभिन्न महीनों के दौरान भारत में पारा के बढ़ने से पिछले कुछ वर्षों में कई रिकॉर्ड टूट गए हैं। 2016, 2009, 2017, 2010, और 2022 भारत में रिकॉर्ड किए गए सभी पांच सबसे गर्म वर्ष पिछले पंद्रह वर्षों में थे। आईएमडी ने कहा कि 15 सबसे गर्म वर्षों में से 11 वर्ष 2008 से 2022 के बीच ही दर्ज किए गए। 2010 से अनुमानित 6,500 लोग गर्मी से संबंधित बीमारियों से मर चुके हैं। IMD के अनुसार, 2023 में 29.5 डिग्री सेल्सियस के अधिकतम तापमान के साथ 1901 के बाद से सबसे गर्म फरवरी देखी गई।

2021 में प्रकाशित एक शोध में कहा गया था कि 1971-2019 तक देश में हीट वेव की 706 घटनाएं हुईं। इसके अनुसार, हीटवेव ने भारत में 50 वर्षों में 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली।

                          कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें।

1) नियमित अंतराल पर पानी, छांछ, ओ.आर.एस. का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पन्ना इत्यादि का सेवन करें। बाज़ार में बिकने वाले कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन ना करें।

2) चेहरे और शरीर पर सनस्क्रीम लगा कर बाहर निकलें। कई सनस्क्रीम उपलब्ध हैं। किसी भी अच्छी कंपनी का जिसका SPF 30 से अधिक है वो प्रभावशाली होता है।

3) यथा संभव दोपहर 12 से दोपहर 3 बजे के बीच धूप में बाहर निकलने से बचें।

4) धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें। कपड़े, टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें।

5) धूप में निकलने के पहले तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें।

6) सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें।

7) जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी दें।

8) अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पोछे या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें।

9) सुपाच्य भोजन करें।

10) वसायुक्त, ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें

(लेखकः डॉ ए कुमार, एम.बी.बी.एस, एम.डी., एम पी एच के साथ-साथ जाखु फिल्म प्रोडक्शन, पर्ज फाउंडेशन, श्रीकंठ प्राइवेट लिमिटेड, अन्वी ग्रुप ऑफ एजुकेशनल ट्रस्ट, स्वामी विवेकानन्द एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक भी हैं। मैथिली जिन्दाबाद वेब पत्रिका के साथ अन्य कई पत्रिकाओं के माध्यम से इनका जर्नल आलेख अक्सर प्रकाशित होते आ रहा है।)

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