महादेव
– प्रवीण नारायण चौधरी
देवहु केर देव ‘महादेव’ अपन भोलेनाथ रूप मे अर्थात दया आ कृपादृष्टि सँ भक्त केँ नेहाल करयवला मानल जाइत छथि । तहिना महाकाल रूप मे कोप करैत असुरक विनाश करनिहार सेहो मानल जाइत छथि । महादेवक रूप-स्वरूप आ परिवेश सेहो बहुत गहींर दर्शन प्रस्तुत करैत अछि । जतेक मन्थन करब ततेक बात महादेवक सम्बन्ध मे ज्ञात होइत रहत ।
हुनक डमरू जखन बजैत अछि त वेदक मूल ध्वनि आ ज्ञानक अनेकों सूत्र सब निनाद रूप बहराइत रहैत अछि । हुनक त्रिनेत्र आ त्रिशूल पापी, अत्याचारी, गलत, गन्दा, खराब आदिक नाश करयवला होइत अछि ।
ब्रह्मा, विष्णु आ महेश – हिन्दू धर्म मे ईश्वरीयताक परिचायक ‘त्रिदेव’ मध्य ‘महेश’ केँ असत्-अवगुण सँ परिपूर्ण दुष्टशक्ति (इविल्स) केर नाशक आ परिवर्तनकारी शक्तिक रूप मे पूजा होइत छन्हि । शिव योग, ध्यान, आ कलाक संरक्षक देवताक रूप मे सेहो जानल जाइत छथि । भक्त लोकनि हिनका सँ प्रज्ञा, बोध, आ जन्म-मरणक चक्र (मोक्ष) सँ मुक्ति लेल सदिखन आशीर्वाद चाहैत रहैछ । भगवान शिव केँ प्रसन्न करब बड पैघ आध्यात्मिक उपलब्धि मानल जाइछ । ई विश्वास बनल अछि जे निश्छल भक्ति आ उचित संस्कार सँ निश्चयपूर्वक हुनकर कृपाक आह्वान कयल जा सकैत अछि ।
भगवान शिव केँ देखू
भगवान शिव केर स्वभाव आ गुण केँ बुझबाक कोशिश करू, ई बहुत जरूरी अछि बुझब । हुनका प्रायः ध्यान अवस्था मे चित्रित कयल गेल छन्हि, ई शान्ति आ पारलौकिकताक सूचक थिक । हुनकर तेसर आँखि बुद्धि एवं अंतर्दृष्टिक प्रतिनिधित्व करैछ, आर हुनकर गर्दनि मे लेपटायल साँप भय एवं मृत्यु पर नियंत्रण केर प्रतीक थिक । माथ पर अर्धचन्द्र समय बितैत जा रहल अछि तेकर बोध करबैछ । जटा (केश) सँ बहैत गंगा धार (नदी) शुद्धता आ जीवनदायी शक्तिक संचार अविरल रूप मे कय रहल अछि ताहि बातक प्रतिनिधित्व करैत अछि । (स्रोतः पंचकृत्य)
आइ महादेवक एहि विशेष रूप सभक दर्शन मात्र करू । आब दोसर भाग मे भगवान शिव केँ कोना सुखी बनाओल जाइछ, ओ केना कृपादृष्टि फेरैत छथि, ताहि सब बात पर गहन मार्गदर्शन प्रस्तुत करब । ॐ तत्सत् !!
हरिः हरः!!