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आदि कालहि सँ सुघड़ गृहिणी आ एखनहु देश चला रहल छथि नारी

लेख विचार
प्रेषित: कीर्ति नारायण झा 
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “वर्तमान समय मे पारिवारिक, सामाजिक वा आर्थिक क्षेत्र मे महिला केर भूमिका

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमंते तत्र देवता” अर्थात जाहि ठाम नारी के सम्मान कयल जाइत अछि ओहि ठाम भगवान केर वास होइत छैन्ह ।इ मान्यता सनातन धर्म मे आरम्भ काल सँ मानल गेलैक अछि। देवासुर संग्राम मे जखन देवता लोकनि असुर के समक्ष कमजोर पड़य लगलाह तखन देवी शक्ति के मदद सँ महिषासुर, रक्तबीज सन सन भयानक राक्षस के संघार हेतु शक्ति स्वरूपा भगवती आगू आबि कऽ एहि पृथ्वी के संकट सँ मुक्ति करैत छथि तें इ कहनाइ अतिशयोक्ति नहि होयत जे नारी के स्थान पुरूष सँ कनेको कम अपन सभक समाज मे रहलैक अछि। अपन देश के स्वतंत्रता के लेल महारानी लक्ष्मी बाई के प्राणोत्सर्ग के के बिसरि सकैत अछि। हँ किछु आक्रांता द्वारा देश पर अत्याचार के क्रम मे स्त्रीगण के स्मिता के संग खिलवाड़ करवाक प्रयास के क्रम मे बाल विवाहक प्रचलन भेल आ अपना सभक ओहिठाम स्त्रीगण के स्थान घर आंगन धरि सीमित कऽ देल गेलैक। जाहि ठाम सँ स्त्रीगण के समाज मे घरक अन्दर रहयबाली के श्रेणी मे आनि देल गेलन्हि। घर सँ बाहर निकलि कऽ शिक्षा के लेल गेनाई पर प्रतिबंध जकाँ लागि गेलैन्ह जाहि सँ स्त्रीगण सभ मे पोथीक शिक्षा मे कमी भेलन्हि। मुदा लूरि ब्यवहार मे ओ आजुक स्त्रीगण सँ सतत् आगू रहलीह। हुनका सभ में कोनो लूरि के जल्दी सँ जल्दी सिखवाक क्षमता बेसी छलैन्ह मुदा ओहि लूरि ब्यवहार के उपयोग स्वयं के लेल मात्र करैत रहलीह।प्रचार प्रसार करवाक साधन अथवा जरूरत ओहि समय मे नहिं छलैक। किछु लूरि जेना मिथिला पेटिंग के प्रसार भेलैक तऽ ओ अंतरराष्ट्रीय स्थान प्राप्त करवा मे सफल भेल । आ
कतेक महिला सम्मानित कएल गेलीह । मुदा अन्य लूरि ब्यवहार जेना अरिपन, देबाल पेंटिंग, सीकी मौनी इत्यादि के प्रचार प्रसार मे एखनो कमी देखल गेलैक तें स्त्रीगण के स्थिति घरक देबाल के अन्दर सिमटी कऽ रहि गेलैक। वर्तमान मे स्थिति पूर्णरूपेण परिवर्तित भऽ गेलैक अछि। आब स्त्रीगण आ पुरूष परिवार रूपी गाड़ी के चलयवा मे समान पहिया के काज करैत छैथि। आइ दुनू प्राणी के कमाइ सँ परिवार नीक जकाँ चलैत छैक मुदा पहिले के जमाना मे कमाइ बला एक आ खाइ बला चारि पांच गोटे होइत छलैक जाहि सँ परिवार के चलयवा मे दिक्कत होइत छलै। हँ, एकर किछु दुष्प्रभाव सेहो पड़ि रहल छैक जेना दुनू प्राणी के नौकरी कयला सँ बच्चा के मायक स्नेह जे भेटवाक चाही ओ नहिं भेटि पबैत छैक मुदा आजुक मंहगाई के जमाना मे पुरूष आ स्त्रीगण दुनू के उपार्जन कयने बिना परिवार सुदृढ़ रूप सँ नहिं चलि सकैत छैक । आजुक महिला हर क्षेत्र मे अपन परचम लहराबैत परिवार के देखभाल करबा मे सेहो पूर्ण रूपेण सक्षम छथि। आ आर्थिक रूपे मजगूत छथि तें सामाजिक दायित्वक निर्वाह करै लेल सही निर्णय संग सतत प्रस्तुत रहय छथि ।

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