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कुलदेवता/देवी कें अपूज रहला सौं मोन प्रफुल्लित कम खिन्न बेसी रहैत अछि

लेख विचार
प्रेषित: शेफलिका दत्त श्रीजा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय:- दैनिक पूजा सँ वंचित कुल देवी/ देवता। एकर उपाय आ दुष्परिणाम

बहुत नीक विषय अछि आ,बहुत चिन्तनीय बात अछि।एखुनका परिवेश मे सबहक साथ इहे भs रहल अछि।घर-घर देखु एक्के लेखा।एकर कारण इहे अछि जे पहिले के जमाना मे संयुक्त परिवार सब रहैत छलैथि।बड़का आँगन रहैत छल,सब साथे रहैत छलैथि,सब के परिवार मे बाल-बच्चा सब भी बहुत संख्या मे रहैत छलैथि।सब सुख-दुख एक साथ बिताबैत छलैथि।देख के बहुत नीक रमनगर लागैत छल।पहिले एतेक नीक संयुक्त परिवार सब रहैत छलैथि जे कुलदेवी-कुलदेवता के रोज पूजा होइयत छला।ओतेक पैघ परिवार मे कियो न कियो रोज पूजा करैत रहैत छलैथि।अगर कियो एक गोटे बीमार छैथि तs दोसर गोटे पूजा कs लैत छलैथि।
लेकिन आब गाम सब मे बहुत दिक्कत भs गेल अछि।आब सब कमाई के लेल बाहर परदेश जाइत छैथि,आब पहिले जेहन पैघ परिवार भी नही रहैत अछि।जाहि कारण सँ गोशाई पूजा केनाई वंचित रहि जाइत अछि।गाम मे ओतेक सुविधा नई रहला सँ आब कियो गाम मे नई रहि पावैत छैथि।जाहि सँ बहुत गाम सब मे गोशाई पूजा उपासल रहि जाइत अछि।लेकिन जे सब बाहर जतय रहैत छैथि ओत्त पूजा जरूर करैत छैथि।
हमर सासुर मे एखनो दु गो चचेरा सासु-ससुर सब परिवार साथ रहैत छैथि,जाहि सँ एखन तक सब दिन रोज गोशाई पूजा सब होइयत अछि।एखन तक तs नियमानुसार भs रहल अछि,लेकिन आब आगू की होयत से किछ कहनाई मुश्किल अछि।
हमर नैहर मे भी वैह दिक्कत अछि माँ बाबूजी जब तक छलैथि सब दिन गोशाई पूजा करैत छलैथि,लेकिन आब ओ सब नई रहला।हमर सब भैया सब जगह-जगह बाहर रहैत छैथि,जाहि से गोशाई पूजा नई भs पावि रहल अछि।जहाँ रहैत छैथि ओतै गोशाई पूजा-पातैर सब दैत छैथि।
एकर दुष्परिणाम तs सब नीक सँ देखा रहल अछि,घर-घर सब हमेशा अस्वस्थ रहैत छैथि।पहिले जेना आब कियो स्वस्थ आ खुश नई रहैत छैथि।जखन कुलदेवी-कुलदेवता के हम सब पूजा नई कs पायब,हुनका प्रसन्न नई राखि पायब तखन हम सब खुद कोना प्रसन्न रहब।जय माँ भगवती सब के कल्याण करब।

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