आभा झा।
- माय-बापक एकटा बेटी मीना जिनकर विवाह खूब धूमधामसँ मुकेश नामक युवक जे फौजमे छलाह हुनकर संग भेल छलनि। दुनूकेँ जीवन खुशहाल बीत रहल छलनि। मीनाक नीक व्यवहारसँ हुनकर सास-ससुर खूब खुश छलथिन। मीना सेहो अपन परिवारक खूब ध्यान रखैत छलीह। जीवनक गाड़ी खूब नीक चलि रहल छलनि। मुदा कहैत छै ने ” सब दिन होत ना एक समान “। अचानक एक दिन मुकेशक मौतकेँ खबरि भेटलनि।मीना आ हुनकर परिवार पर दुःखक पहाड़ टूटि पड़लनि।एतेक खुशहाल जीवन क्षण भरिमे बदलि गेलनि। बेटाक मृत्युकेँ बाद हुनकर सास-ससुर अचानक बदलि गेलथिन।अपन बेटाक मृत्युकेँ जिम्मेदार ओ मीनाकेँ बुझैत छलथिन। रोज उपराग दैत छलथिन। मीनाकेँ परेशान करैत छलथिन। हुनका ततेक ने तंग करथिन कि मीना ओ घर छोड़ि चलि जाइथ। मुदा मीना सब किछ बर्दाश्त करैत रहली। अपन माय-बापक देल संस्कार हुनका पैघकेँ जवाब देबयकेँ इजाजत नहिं दैत छलनि। मीना अपना आपके सम्हारैकेँ कोशिश करैत छलीह। हुनका होइत छलनि कि बेटाक गममे हमर सास-ससुर हमरा संग एहेन व्यवहार कऽ रहल छथि। धीरे-धीरे सब ठीक भऽ जायत। हुनकर सास-ससुर हुनका एक दिन कुलटा आ अपशगुनी कहि कऽ घरसँ बाहर निकालि देलथिन।
मीना बड्ड वीनती केलनि, खूब कनली मुदा हुनकर सास-ससुर पर कोनो असर नहिं भेलनि। ओ सब केवाड़ बंद कऽ भीतर चलि गेलथिन। मीना पूरा राति खूब कनैत रहली। हुनकर माय-बाबूजी आर्थिक रूपसँ मजबूत नहिं छलथिन। तैं ओ अपन माय-बाबूजीसँ किछु नहिं कहलथिन।
कहुना राति बीतल आ भोरे मीनाक ननैद अपन हास्टलसँ छुट्टीमे घर अयली। मीनाकेँ एहेन हालतमे देखि हुनका आश्चर्य भेलनि। हुनका चौखट पर पड़ल देखि ओहो जोर-जोरसँ माय-बाबूजीकेँ आवाज दऽ बजेली। मीनाक देह बुखारसँ तपैत छलनि। ननैदकेँ हुनकर सास-ससुर कहलथिन कि पतिकेँ दुःखमे दीमाग खराब भऽ गेलनि।मुदा हुनकर ननैद मीनाक हालत देखि बुझि गेलथिन कि हिनका घरसँ निकालल गेल छैन्ह। ननैद अपन माय-बाबूजीकेँ बहुत बुझेलखिन कि भाईजी नहिं रहला एहिमे भौजीकेँ कोन गलती छैन्ह। भगवानक इच्छाकेँ आगू किछ नै कऽ सकै छी। दकियानूसी रीति-रिवाजकेँ ढोने छी अहाँ सब। कहिया हमर समाज एहि कुरीतिसँ मुक्ति पाओत। ननैदक सेवासँ मीना किछ दिनमे स्वस्थ भऽ गेलीह। लेकिन ओ चुपचाप रहय लगली। हुनकर सास-ससुर हुनका रंगीन कपड़ा पहिरैसँ मना करैत छलथिन। हुनका संग नौकर-चाकर जेकां व्यवहार करैत छलथिन। बात-बात पर ताना मारैत छलथिन।
मीनाकेँ ननैद अपन माय-बापक व्यवहार देखि चिंतित छलीह। ननैदकेँ मोनमे ई बात एलनि कि एखन भौजीकेँ वयसे कि छैन्ह। भाईजी तऽ आब लौटि कऽ नहिं एता।भौजीकेँ एहेन हालत हमरासँ नहिं देखल जाइत अछि।हमरा भौजीसँ हुनकर पुनर्विवाहक बारेमे गप्प करय पड़त। हुनका अपन जीवनमे नब शुरूआत करबाक चाही
ई हुनकर अधिकार छैन्ह।
ननैद अपन मोनक बात भौजीसँ कहैत छथिन। मुदा मीना कहै छथिन पुनर्विवाहक बारेमे सोचनाइ हमरा लेल पाप अछि। ई हमरासँ नहिं हैत। ननैद अपन भौजीकेँ पुनर्विवाह कोनो पाप नहिं ई बुझबैत रहलखिन। हर स्त्रीकेँ जिंदगी जीबैकेँ हक छै। हुनकर ननैद अपन भाईजीकेँ एक मित्र जिनकर पत्नीकेँ देहांत भऽ चुकल छलनि, हुनकासँ अपन भौजीकेँ बातचीत करय लेल कहलथिन। मीना हुनकासँ गप्प-सप्प केलनि। घर लौटैत देरी हुनकर सास-ससुर हुनका पर बाजय लगलथिन – ” दोसर बियाह करब, अहाँ हमर बेटाकेँ खा गेलौं।
मीनाकेँ ननैदकेँ ई पता छलनि कि जाबे तक हम घरमे छी
ताबे तक भौजी एहि घरमे रहती ओकर बाद हुनका घरसँ निकालि देल जेतेन। मीनाक ननैद अपन माय-बाबूजीकेँ बुझेलखिन। मीनाक मानसिक तकलीफकेँ बारेमे कहलथिन। बहुत बुझेलाक बाद ओ मीनाक पुनर्विवाह लेल मानि गेलथिन।
दोसर दिन भोरे-भोर हुनकर सास-ससुर हुनका कहलथिन कि अहाँ हमर पुतौह नहिं बेटी छी। अहाँ संग हमसब बहुत गलत कयलहुँ। अहाँ सदैव खुश रहू आ अपन जीवनमे आगू बढ़ू। मीनाक माय-बाबूजी सेहो बेटीकेँ पुनर्विवाहक लेल तैयार छलथिन। समाजक लोक सेहो हुनकर सभक संग देलकनि। मीना सेहो सभक बुझेला पर एहि पुनर्विवाहक लेल तैयार भऽ गेलीह।
किछु दिनक पश्चात मीना आ पवनक पुनर्विवाह भेलनि। आइ मीना आ पवन दू बच्चाक संग एक खुशहाल जीवन बीता रहल छथि। एहि खुशहालीक सबटा श्रेय मीनाक ननैदकेँ जाइ छैन्ह।
अगर समाजमे पुरुषकेँ पुनर्विवाहक अधिकार प्राप्त अछि, तखन स्त्री पर कियैक रोक हुनका सेहो हक छैन्ह अपन जीवनक नब शुरूआत करयकेँ।