“मिथिला एखनहुॅं बाढ़िक विभीषिका झेलवाक लेल विवश अछि।”

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— अरुण कुमार मिश्र।     

 

“मिथिलासॅं बाढ़िक विनाशकारी संबंध” ई एक टा एहन विषय अछि जाहि पर किछु लिखवा सँ पहिने मिथिलाक भौगोलिक स्थिति केँ जानब आवश्यक अछि। मिथिला हिमालयक तराई मे बसल दु गोट देश नेपाल आ भारतक ओ भू भाग अछि जतय अपार जलक स्रोत आ प्रवाह विद्यमान छैक मुदा दुर्भाग्यवश एहि जल संसाधनक सदुपयोग अखन धरि नञि कएल जा सकल अछि। एहि अपार जल प्रवाह जे विभिन्न नदीक रूपमे मिथिलामे बहैत अछि ताहि सँ अखन धरि बेसी क्षतिऐ भेलैक अछि।

मिथिलाक लोक १९३४ ई० कहियो नञि बिसरि सकैत अछि कारण एहि वर्षक प्रारंभे मे १५ जनवरी १९३४ क प्रलयकारी भूकंप सँ सम्पूर्ण मिथिला तहस नहस भ’ गेलैक। एहि भूकंप सँ मिथिलाक रेल आ सड़क यातायात बड्ड बेसी प्रभावित भेल छलैक। निर्मली आ सुपौलक रेल लाइन टूटि गेलैक जकरा दुरुस्त करवामे भारतीय रेल केँ ९० बरख लागि गेलैक। एहि प्राकृतिक आ दुुखद घटनाक बाद कोशी नदीक प्रवाह निरंतर दरभंगा दिस होमय लगलैक। कोशी अपन धारा केँ निरंतर बदलैत रहवाक लेल विख्यात अछि। कोशीक विभीषिका सँ एहि ठामक लोक केँ जुुझब कुनु नव गप्प नञि अछि।

अखण्ड मिथिलाक स्वतंत्र अस्तित्वक लेल आंदोलन केनिहार डॉ० लक्ष्मण झाक कहब छलैन जे ब्रिटिश सरकारक नेशनल डिजास्टर फंडक अंतर्गत कोशी पर बांध बनेेवाक देल गेल पाई सँ भाखड़ा नांगल डैम बनाओल गेल। ओहि समयमे एहि लेल मिथिलामे जन आक्रोश भेल छलैैक। ओहि समयक प्रमुख अखबारमे सत्तारूढ दलक अग्रणी नेता आ प्रवक्ता सभक बयान छपल छलैक जाहिमे जन समान्य सँ ई अपील कएल गेेल छलैक जे श्रमदानक माध्यम सँ कोशी पर बांध बनाओल जाय कारण भारत सरकार लग अतवा धन उपलब्ध नञि अछि जे सरकारी फण्ड सँ बांध बनाओल जायत। हमरा जनैत मिथिलाक प्रति सरकारी उपेक्षाक प्रारम्भ एहि ठाम सँ भेलैक।

१९५४ ई० मे ब्रह्मचारी श्री हरि नारायण केँ नेतृत्वमे कोशीक किछु भाग पर लोकक श्रमदान सँ बांधक निर्माण भेेलैैक। ओही समय मिथिला के गणमान्य साहित्यकार आ बुद्धिजीवी लोकक सहभागिता सँ जन जागरणक अभियान चलल छलैक। स्कूलिया बच्चा, कॉलेजक छात्र, युवा, बुजुर्ग सभ केयो बांध बनेवाक अभियानमे जुटल रहैथ। कोशी क्षेत्रमे कतेको ठाम श्रमदानक शिविर लगाओल गेलैैक। मिथिलाक विभिन्न क्षेत्र सँ लोक बांध बनेवाक लेेल पहुंचल रहैथ। किछुऐक बरखक अथक प्रयास सँ भुतहा, कुनौली, महादेव मठ, डुमरा इत्यादि कोशीक प्रवाह क्षेत्रमे बांधक निर्माण भेलैक।

१९५४ ई० मे जखन कमलाक धार मधुबनीक पूब सँ बहय लगलैक तखन लोक के चिंतित होएब स्वभाविक छलैक जे कमला कियऽ उम्हर बहय लगलिह ? तहिया ई लोकक चिन्ताक प्रमुुख विषय छलैक। मिथिलाक महाराज रामेश्वर सिंह पूजा पर स्वयं बैसला जाहि सँ कमला अपन स्थान पर पुुन: चलि जाय। कमलाक जल सूखा गेलैक आ ओहि बरख लोक केँ ठेहुन भरि पानिमे दुर्गा महरानीक प्रतिमा के विसर्जन करय पड़लैन, बहुत रास गाछ सूखा गेलैक। ओहि ठाम आब कुनु गाछ बृक्ष नहि छलैक, लोक धानक जड़ि सँ दातुन करैैत छलैथ। खेतमे चहुँ दिस पटुआ देखाइत छल। अनाजक कुनु दरस नहि छल, सौँसे बाऊलक ढ़ेरी छलैक जे भवन निर्माण वा कंसारऐ टा लेल उपयोगी छल।

कमला नदी पर तटबंध जयनगर सँ झंझारपुर धरि १९५० ई० सँ १९६० ई० के मध्य पुर्ण कएल गेलैक आ तकर बाद अकरा झंझारपुर सँ दर्जिया धरि विस्तार देल गेलैक मुदा से पहिल बाढ़ि मे रामघाट मे १९६३ मे टुटि गेलैक। एहि तटबंध टुटला सँ बाढ़िक चपेट में खरवार, गंगापुर, गुणाकरपुर आ बेल्ही इत्यादि बहुत रास गाम आबि गेलैक। पुन: १९६४ मे तटबंध दैया खरवार समेत चारि ठाम टूटलैक जाहि सँ झंझारपुर, मनिगाछी आ मधेपुर प्रखंडक बहुत रास गाम बाढ़ि सँ प्रभावित भेलैक। एहि तरहेँ मानव निर्मित बाँँध आ बाढ़ झेलवाक एहि गाम लोकके नव आ पहिल अनुभव छलैैक। ओही बरख जयनगर लग लक्ष्मीपुर गामक किछु भूभाग कटि क’ कमला नदीमे समा गेलैक।

तकर बाद १९६५ ई० के जुलाई मासमे बाढ़ि सँ भारी तबाही भेलैक, नेपालक तराईमे जुलाई केर पहिल सप्ताहमे खुब बरखा भेलैैक, झंझारपुर लग रेलक पटरी, अर्धनिर्मित पुल आ अप्प्रोच रोडक संग तटबंध बाढ़िक पानि केँ सोझा छलैक। ८ जुलाई के मात्र १० घंटाक बरखा सँ नदीक जलस्तर १९६४ ई० केर देखल उच्चतम जलस्तर केँ पार क’ गेल आ पानिक बहाव रेलवे लाइनक अप्प्रोच रोड केँ तोड़ैत नीचा मुहेँ बढ़लैक जाहि सँ नदी केर दुनु कात तटबंध तहस-नहस भ’ गेलैक। एहि बेर कमला-बलान नदी केर तटबंध २१ ठाम सँ टुटि गेलैक। रेल आ सड़क मार्ग पुुर्ण रूपेण ध्वस्त भ’ गेलैक। जनसम्पर्क टुटलाक सूचना भेेटला के बाद दरभंगा केँ कलक्टर जे. सी. जेटली चाहियो क’ झंझारपुर नहि पहुँच सकला, हुुनका पिपरामे रुकय पड़लैन।

भारतक स्वतंत्र भेला उपरान्त एहि लेल अनेक रास योजना बनलैक मुदा ओकर कार्यान्वयन सही सँ नञि भेलैैक। कोशी प्रोजेक्टक विफलता अकर प्रमुख्य प्रमाण अछि। श्रद्धेय अटल जीक सरकार केँ योजना छलैक जे सभ नदी केँ नहिरक माध्यम सँ जोड़ि देल जाय आ जल संसाधन केँ सदुपयोग कएल जाय। हुनक सोच छलनि जे सब खेत के पानि भेटैक, एहन व्यवस्था कएल जेवाक चाही। जल प्रबंधनक ई योजना हुनक बाद नञि जानि कतय बिला गेलैक ! मिथिलामे बाढ़िक समस्या आ जल प्रबंधन पर ई० दिनेश मिश्र केँ चालिस बरखक शोध छनि जकर सरकारी स्तर पर उच्च स्तरीय कमिटी गठन क’ विस्तृत योजना बनक चाही आ ओकर शीघ्र कार्यान्वयन हेवाक चाही।

कहवाक तात्पर्य ई जे प्राकृतिक आपदा, जलक कुप्रबंधन आ सरकारी अवहेलनाक कारण मिथिला अखनो बाढ़िक विभीषिका झेलवाक लेल विवश अछि। एहि ठाम जल प्रबंधन सँ पनबिजली उत्पादनक संग माछ, मखान आ सिंघारा उद्योगमे अपार संभावना छैक। सुखाड़क स्थितिमे खेत केँ नहिरक माध्यम सँ सिचाई कएल जा सकैत अछि मुदा एहि लेल राजनेता आ प्रशासकक दृढ़ इच्छा शक्ति के खगता अखनो बुझना जाइत छैक।