“मिथिला आ बाढ़ि बुझु जे एक दोसरक सहचर अछि”

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— अखिलेश कुमार मिश्र       

मिथिला आ बाढ़ि बुझु जे एक दोसरक सहचर अछि। बाढ़ि की भेल से पहिले बुझक चाही। जेना मनुष्य अप्पन सामाजिक मर्यादा में बंधल रहैत अछि आ ताहि के भीतर ही सभ काज राज करैत अछि तs बड्ड नीक लागैत अछि। अगर वैह मनुष्य सामाजिक मर्यादा/बन्धन कें तोड़ि अगर उन्मुक्त भs जाइत अछि तs समाजक सभ मनुष्य मात्र के लेल घातक बनि जाइत अछि। तहिना नदी से अगर अप्पन दुनू किछेड़ कें बीच बहैत रहैत अछि तs सभ प्राणी कें लेल जीवनदायिनी बनि जाइत अछि आ अगर वैह नदी अप्पन दुनु किछेड़ कें तोड़ि उन्मुक्त बsहs लागैत अछि तs सभक जान संकट में आबि जाइत अछि। नदीक वैह स्थिति बाढ़ि कहबैत अछि।
सब सं पहिले त मिथिला क्षेत्र के भौगौलिक स्थिति के बुझनाई जरुरी अछि। मिथिलाक उत्तर में नेपाल, दक्षिण में गंगा नदी, पूरब में कोशी तत्पश्चात बंगाल तक आ पश्चिम में गंडक नदी तक फैलल अछि। अहि के अंतर्गत कमला, बलान, बागमती, कोशी आ अन्य नदीक जल सं इ क्षेत्र परिपूर्ण रहैत अछि। कुल मिला कs अहि भूमि में तेरह टा नदी बहैत अछि। सभ नदी हिमालय सँ निकलि गंगा में जा मिलैत अछि अथवा कुनो कुनो नदी गंगा सँ पहिले अप्पन मुख्य नदी सँ मिलि जाइत अछि, मुदा मुख्य नदी गंगा में अवश्य मिलैत अछि। साओन सँ आसिन तक जेखन हिमालय पर वर्षा अधिक होइत अछि तs सभ पानि नेपाल होइत अहि नदीक माध्यम सँ मिथिला क्षेत्र में आबि जाइत अछि जे बाढ़ि के कारण बनैत अछि। कोशी नदी में तs तेहेन बाढ़ि आबैत अछि जे अहि नदी के बिहारक शोक कहल जाइत अछि।
बाढ़ि कें विभीषिका सँ सभ कियो भिज्ञ होयब जे कोना बाध बोन सहित गामक गाम डूबि जाइत अछि पानि में। कतेको घर, मनुष्य आ मवेशी सभ सेहो ओहि बाढ़िक पानि में भंसिया जाइत अछि। कतेको अहि बाढ़िक चपेट में आबि अप्पन प्राण सँ हाथ धो लैत छैथि। ओहि समय में घरक सभ अन्न वस्त्र बाढ़ि में बहि जेबाक कारणे भोजन कें समस्या सेहो उतपन्न भs जाइत अछि। अगर भोजन अछि तs पेयजल आ सुखायल भूमि के अभाव, जतय की भोजन बनि सकै। तेहेन विषम परिस्थिति रहैत अछि जे मनुष्य संग अन्य जीव जन्तु कें लेल सेहो बड्ड कष्टकारी होइत अछि। अगर पानि कम भs गेल तैयौ पानि जनित तेहेन रोग-व्याधि सभ रहैत अछि जे मनुष्य त्राहि त्राहि कs उठैत अछि।
तहन तs हरेक सिक्का कें दू टा पहलू होइत अछि। तैं बाढ़ि सेहो मनुष्य कें लेल नीक फलदायी होइत अछि। मिथिलाक इ धरा अतेक उर्वरा अछि तक्कर मुख्य कारण इ सभ नदी या बाढ़ि अछि। इ क्षेत्र सदिखन जल सँ परिपूर्ण रहैत अछि। अतय भूजल स्वच्छ आ प्रचुर रहैत अछि। अहि क्षेत्र में माछ आ माखन के प्रचुरता अछि। दुनियाँक करीब 80-90 प्रतिशत मखानक खेती ऐह क्षेत्र में होइत अछि।
मिथिलाक खान पान आ रीति रिवाज में अहि नदी आ बाढ़ि के मुख्य योगदान अछि।
बाढ़ि कें प्रकोप सँ बांचs लेल अतय कोशी कमला आ अन्य नदी के तटबंध बहुत दूर तक कैल गेल अछि। मुदा एतुका भूमि दोमट होबाक कारणे ई अतेक कारगर नै अछि। हरेक साल इ बाँध कतौ नै कतौ सँ टूटि जाइत अछि आ लोकक परेशानीक कारण बनैत अछि। भारत के सहायता सँ नेपाल में कतेको बांध बनैल गेल अछि मुदा जलक अत्यधिकता के कारण ओहो बाढ़ि रोकै में ओतेक सक्षम नै अछि। अगर मिथिला क्षेत्र सँ जल निकासी आ वाटर ग्रिड बनि जैत तs बाढ़ि सँ मुक्ति भेंट सकैत अछि। सरकार सँ आशा अछि जे इ क्षेत्र एक न एक दिन पूर्णतया बाढ़ि मुक्त भs जैत।
🙏🙏🙏इति🙏🙏🙏
✍️अखिलेश “दाऊजी”, भोजपंडौल मधुबनी।
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