“कर्म प्रधान विश्व रचि राखा”

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— कीर्ति नारायण झा।               

जातीय बन्हन के तोड़ैत कृष्ण भक्त – भगवान कृष्णक कथाक आरम्भ जनजातीय नायक के रूप में आरम्भ मानल जाइत छैन्ह। हिन्दू धर्मग्रंथ में सभ भगवान सँ बेसी लोकप्रिय भगवान श्रीकृष्ण छैथि। ग्वाल बाल गोपाल, प्रेम के देवता, धर्म उपदेशक आ अजेय योद्धा भगवान श्रीकृष्ण जिनक जिनगी कर्म के प्रधानता पर सभ दिन आकर्षित रहल। देवकी के गर्भ सँ जन्म लेनिहार क्षत्रिय राज परिवार के बालक ग्वालन यशोदाक कोरा में लार दुलार पावि सुदामा जे जाति सँ ब्राह्मण सन प्रिय संगी केर संग बाल्यावस्था बितेनिहार श्रीकृष्ण जातीय परम्परा सँ सदैव दूर रहलाह। कर्म में विश्वास कयनिहार कहियो जाति में विश्वास नहिं कऽ सकैत अछि। कर्म प्रधान विश्व रचि राखा के माननिहार भगवान श्रीकृष्ण केर भक्त हिन्दू मुसलमान सभ छलखिन्ह। मीरा बाई आ सूरदास के अतिरिक्त रहीम आ रसखान सन कृष्ण भक्त में जाति केर कोनो भावना नहिं छलैन्ह। कोनो कवि एक दोसर सँ उन्नैस नहिं आ किनको में जाति केर लेस मात्र अनुभव नहिं। हिनक बेसी भक्त विदेशी होइत छैन्ह। विदेशी महिला पुरूष जे सर्वथा जाति बन्धन सँ पूर्णरूपसँ मुक्त रहैत छैथि ओ भगवान श्रीकृष्ण केर भक्ति के अधिक मानय बला होइत छैथि। धार्मिक कथा में वर्णित दृष्टान्त केर अनुसार भगवान श्रीकृष्ण भक्त केर निश्छल प्रेम के बहुत नीक जकाँ चिन्हैत छलखिन्ह तें दुर्योधन के घरक मेबा सँ बेसी विदूर के घरक साग हुनका बेसी प्रिय छलैन्ह आ एहन भक्ति के अधीन रहयवला भगवान जातीय बन्हन में नहिं ओझरा सकैत छैथि। भगवान श्रीकृष्ण अपन भक्त अर्जुन के महाभारत युद्ध में एकटा सफल मार्गदर्शक के रूप में शुरू सँ अन्त धरि संग में छलखिन्ह। एही क्रम में ओ गीताक उपदेश सेहो अर्जुन के दैत छथिन्ह। जातीय बन्हन सँ अलग हिनक भक्त हिनक भक्ति रस में विभोर भऽ भक्ति केर सागर मे गोंता लगबैत रहैत अछि। प्रिय सखा सुदामा के चरण पखारवाक समय केर दृश्य अद्भुत, रुक्मिणी के अपन नजरि पर विश्वास नहिं होइत छलैन्ह ।एहन भक्त वत्सल भगवान कृष्ण के कोनो जाति सँ जोड़नाइ सर्वथा अनुचित।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून। पानी भए ना उबरै, मोती मानुष चून।। रहिमन देख बड़ेन को, लघु ना दीजिए डारि। जहाँ काम आबे सूइ, कहाँ करे तरवारि।। रहीम जे बहुत पैघ कृष्ण भक्त छलाह हुनक एक सँ एक दोहा पूर्णरूपसँ गूढ के समेटैत जिनगीक सार केर बेवाक चर्चा सँ ओत-प्रोत मानल जा सकैत अछि। जाति सँ मुसलमान होयवाक बाबजूदो कृष्ण भक्ति में रमल बसल हुनक रचना अद्वितीय मानल जाइत अछि। भगवान कृष्णक भक्त मात्र सनातन धर्म में जातीय बन्हन के तोड़ैत देश विदेश के लोक, हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई सभ जाति सम्प्रदाय केर माननिहार होइत छैथि। भक्ति में यावत धरि जातिवाद केर जहर शामिल रहत ता धरि असली भक्त आ असली भगवान सँ दर्शन नहिं भऽ सकैत अछि। भगवान श्रीकृष्ण सर्वमान्य भगवान छैथि एहि बात में कोनो संदेह नहिं।
भगवान श्रीकृष्ण एहि पृथ्वी पर देवकी के गर्भ सँ जन्म लेने छलाह तेँ मृत्यु केर कोरा में समेनाइ आवश्यक छलैन्ह। महाभारत के भयावह दृश्य के देखि भगवान श्री कृष्ण जंगल में रहय लगलाह आ एक दिन एकटा जंगल मे योगनिद्रा में सूतल छलाह। एकटा भील हिनका हिरण बूझि वाण सँ प्रहार कयलक जाहि में वाण हिनक पेएर में लागि गेलैन्ह सामने भील के देखि ओकरा ओ क्षमा कऽ दैत छथिन्ह आ मृत्यु के स्वीकारि परम पावन धाम विदा भऽ जाइत छैथि। भऽ सकैत अछि इहो घटना में लीलाधारी श्रीकृष्ण केर कोनो लीला रहल हेतैन्ह मुदा क्षमा करवाक काल सामने केर व्यक्ति अथवा धर्म में परिभाषित नहिं करैत छैथि। एही आदर्श सभक कारणे भगवान श्री कृष्ण केर भक्त जाति आ सम्प्रदाय सँ उपर उठि कऽ हिनक गुणगान करैत छथिन्ह। जय श्री कृष्ण