— अरुण कुमार मिश्र।
वैश्विक महामारी “कोरोना” मनुुक्खक जीवन पर गंभीर संकट त’ छलैके मुदा ओहि संग अनेक रास अन्यान्य समस्या सेहो उत्त्पन्न भेलैक। उद्योग, व्यापार, रोजगार आ शिक्षाक सम्पूर्ण व्यवस्था ओहि कालमे चरमरा देल रहैक जे अखनो धरि पूर्णरूपेण सामान्य नै भ’ सकलै अछि। कोरोना कालमे सरकारी आ निजी प्रयास सँ एहि समस्या सभ के समाधानक लेल पर वैकल्पिक व्यवस्था ताकल लगलैक। कोरोना संग जीवाक एहि प्रयासक संग बहुत रास वैकल्पिक साधन उपलब्ध करोओल गेलैक। शिक्षा के क्षेत्र मे सेहो एहने व्यवस्थाक अन्तर्गत ऑनलाइन क्लास, शैक्षणिक यूट्यूब विडिओ आ शिक्षण सामग्रीक डिजिटाइजेशन जोर पकड़लकै। समय, काल, स्थान आ परिस्थितवश परिवर्तन अद्दोकाल सँ होइत रहलैक अछि आ से उचितो छैक मुदा कुनु समस्या के त्वरित समाधान ताकब, दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ैत अछि। इन्टरनेटक प्रसार आजुुक पीढीक समयमे तेजी सँ भेलैक, इन्टरनेट के टू जी सँ फाईव जी धरि के सफर कमे समय मे पुर्ण भ’ गेलैक आ इ तीव्रता सँ ग्लोबली पसरियो गेलैक, एहि संचार क्रान्ति सँ आजुक समयमे कयो अछुता नहि अछि तँ आब अकर वेग के रोकलो नहि जा सकैत अछि।
शिक्षा के क्षेत्र मे भ’ रहल एहि अमूल्य परिवर्तन के अस्वीकारब आब संभव नहि छैक तखनो ओही सँ संम्भवित लाभ वा हानि के जानब आवश्यक त’ अछिऐ। भारतक परिदृश्य मे शिक्षा मे पुरातन काल सँ अखन धरि आयल परिवर्तन के जयों अवलोकन करी त’ बुझबा मे आओत जे प्राचीन गुरूकुल मे गुरु शिष्य परम्पराक अन्तर्गत संस्कृत भाषा शिक्षाक माध्यम के रूप मे जीवंत भेल। पूजा, पाठ, आराधना, कर्मकांड, ज्योतिष, न्याय आ मीमांसक अध्ययन संस्कृत भाषा मे होवाक कारण लोक मे एहि भाषा के प्रति अनुराग आ सम्मान छलैक। महर्षि पतंजलि के पदार्पणक बाद संस्कृत शिक्षा मे योग, दर्शन, मनोविज्ञान, अध्यात्म, साधना, समाधि, धारणा, ध्यान इत्यादि के वैज्ञानिक आ सूक्ष्म स्वरूप मे बुझबाक प्रयास भेैैलक।
मुगल आ अन्य बाहय आक्रांता संस्कृत आ योग के विखंडित करब प्रारम्भ केलन्हि। मुग़ल अरबी आ फ़ारसीक विस्तार राज काज, कचहरी जमीन रजिस्ट्रीकरण आदि मे करय लगला। लार्ड मैकाले 1835 ई० मे अंग्रेजी के क्लर्कक भाषा बना भारतमे लागु केला। मुसलमानक मोन मे संस्कृत के प्रति घृणा उत्पन्न क’ अनेेक रास मनगढ़ंत श्लोक सभ रचि, संस्कृत भाषा के भारत मे वर्ग विभेद, छुआछूत आ जातिवाद इत्यादि के कारण कहल गेलैक। एहि तरहेँ संस्कृत भाषा मे शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त क’ पहिने अरबी फारसी आ तकर बाद अंगेजी भाषा के माध्यम सँ शिक्षण प्रारम्भ भेलैक। तथापि अतवा कहब आवश्यक अछि जे गुरू शिष्य परम्परा सैद्धांतिक रूप सँ कमोवेश बीसम् शताब्दिक अन्त धरि विद्यालयमे कायम छलैक। तकर बाद इन्टरनेट आ डिजिटल युग मे शिक्षाक प्रवेश भ’ गेलैक। पोथी सब डिजिटलाइज होमय लागलैक। लोक गुगल गुरू, यूट्यूब विडिओ, वाट्सप आ फेसबुक इत्यादि पर ज्ञान देबय आ लेबय लगला जे शिक्षा के स्तर के दिनानुदिन अधोगति दिस ल’ गेल।
कोरोना काल सँ पहिनेहुँ ऑनलाइन क्लास आ यूट्यूब क्लासक माध्यम सँ शिक्षण होइत छलैक मुदा कोरोना काल मे ऑनलाइन शिक्षण जोर पकड़ि लेलकै। तखन आर दोसर कुुनु विकल्पो नहि छलैक। दुइ बरख धरि विभिन्न शिक्षण संस्थान मे इ चलैत रहलैक तकर बाद ऑफलाइन शिक्षण दिस शिक्षक आ शिक्षण संस्थान घुरला। विदित अछि जे कक्षा मे शिक्षणक समय शिक्षक आ विद्यार्थीक मध्य आंंखिक प्रत्यक्ष सम्पर्क (Eye to Eye contact) होयब आवश्यक अछि। ऑनलाइन क्लास मे इ सम्भव नहि छैक। अकर अतिरिक्त ऑनलाइन कक्षामे शिक्षक आ विद्यार्थीक मध्य संवाद शून्यताक स्थिति रहैते छैक। भारतक परिपेक्ष मे ऑनलाइन क्लास महानगर टा मे अखन उपयोगी भ’ रहल अछि। गाम, नगर वा छोट शहर मे इन्टरनेट सुविधाक प्रसार ओही तरहक अखनो नहि भेलैक अछि जे पुर्ण विश्वसनीयता सँ शिक्षण कार्य होइक। कम वयसक विद्यार्थी पर इन्टरनेटक दुष्प्रभाव पड़ब संम्भव छैक। किशोर मन चंचल होइत छैक तँ ओकर हाथ मे स्मार्ट फोन द’ गार्जियन निश्चिन्त नहि भ’ सकैत छैथ। निर्धन विद्यार्थीक लेल स्मार्ट फोन आ इन्टरनेटक खर्च वहन करब कठिन अछि। सरकारी स्कूल मे पढ़निहार निर्धन विद्यार्थी जे पोथी किनवा योग्य पाई नहि जुटा पबैत छैथ से स्मार्ट फोन आ इन्टरनेट डेटा कोना उपलब्ध क’ सकता, इहो समस्या छैक।
ऑनलाइन कक्षा वा शिक्षण माध्यम मे सभ टा दोषे छैक एहनो बात नहि छैक। देश विदेशमे रहनिहार शिक्षक आ विद्यार्थी ऑनलाइन क्लासक माध्यम सँ सहज रूप सँ जुड़ल छैथ। हजार हजार संख्यामे विद्यार्थी क्लासमे एक संग सम्मलित होइत छैथ। अपन सुविधाक अनुसार विद्यार्थी क्लास अटेंड करैत छैथ। ऑनलाईन क्लासक फीस ऑफलाइन क्लास के अपेक्षाकृत कम होइत छैक जे सभ तरहक विद्यार्थीक लेल सुभितगर होइत अछि। स्वाध्याय (self study) केनिहार विधार्थी लेल ऑनलाइन शिक्षण उपयुक्त अछि। पोथी सभ डिजिटल मोड मे उपलब्ध रहने सर्वसुलभ छैक। शिक्षण क्षेत्र मे ई अमूल्य परिवर्तन निश्चित रुपें दुरगामी प्रभाव छोड़त। अस्तु।