सभा गाछीसँ जुड़ल बहुत रोचक जानकारी”

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— कृति नारायण झा।       

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सन जमाय आ जनक नन्दिनी जानकी सन बेटी केर इच्छा समस्त मिथिला बासी के भेनाइ स्वभाविक तें समस्त मिथिला में जमाय के विष्णु स्वरूप मानल जाइत छैन्ह कारण सर्वविदित अछि जे भगवान श्रीराम भगवान विष्णु केर पुरूषोत्तम अवतार छलाह। सर्वगुण सम्पन्न जमाय पयवाक इच्छा में मिथिला वासी अपन कन्या के बिवाह करवाक लेल आदि कालहि सँ अपस्याँत रहैत छलाह। आइयो मिथिला वासी केर मुँह सँ सुनवा में अबैत अछि जे बेटा के बिवाह तऽ कतहु करा लेब आ पुतोहु के अपना हिसाब सँ अपन परिवार में ढालि लेवैन मुदा बेटीक बिवाह जँ मिथिलाक पंचकोशी में होअय तऽ अति उत्तम। एहि इच्छा आ आकांक्षा के पूरा करवाक लेल १३१० ई. में कर्णाट वंशक राजा हरिसिंह देव सौराठ सभा केर आयोजन आरम्भ कयलनि। सभाक आयोजन के पाछू इ उद्येश्य छल जे एकहि गोत्र में बिवाह नहिं होयवाक चाही अपितु कनियाँ आ वर के अलग अलग गोत्र होइन। राजा हरिसिह देव १३२७ ई. में पंजीकरण ब्यवस्था केर आरम्भ कयलनि जाहि मे पंजीकार केर दायित्व छलैन्ह जे क्षेत्रक लोक के कुल खानदान के बारे में जानकारी एकत्रित कऽ कऽ रजिस्टर में दर्ज होमय लागल जाहि सँ पता चलि जाइत छल जे अमुक परिवार कोन कुल आ गोत्र के छैथि? आरम्भ में शिक्षा ग्रहण करवाक स्थान गुरुकुल आ संस्कृत विद्यालय होइत छल आ ओहि में सँ मेधावी छात्र सभ के सभा में आमंत्रित कयल जाइत छल। सभा गाछी मे विद्वान सभक शाश्त्रार्थ केर आयोजन कयल जाइत छल आ ओहि में जिनक बिचार सर्वश्रेष्ठ होइत छल हुनका लोक अपन जमायकेँ रूप मे स्वीकार करैत छलाह आ हुनक मूल गोत्र केर सूचना पंजीकार सँ सत्यापित कयलाक उपरान्त अपन कन्या केर बिवाह करैत छलाह। कम खर्च में कम बरियाती केर संग विद्वान जमाय मिथिलावासी के सुगमता सँ भेटि जाइत छलैन्ह ।लेन देन केर कोनो प्रश्न नहिं उठैत छलैक। ५ सँ सात बरियाती केर स्वागत सत्कार मिथिलाक लोक प्रसन्नता सँ कऽ लैत छलाह। बेटी के बिवाह लोकक लेल अत्यंत सुगम छलैक।

विश्व प्रसिद्ध सौराठ सभा मधुबनी जिला मुख्यालय सँ छह किलोमीटर दूर में सौराठ गाममे आयोजित कयल जाइत अछि। सौराठ गामक नाम के विषय में कहल जाइत अछि जे बारहवीं शत्ताबदी में दू टा ब्राह्मण गुजरात के सौराष्ट्र में मुगल के आक्रमण सँ बचि कऽ एहि ठाम आबि कऽ बसि गेल छलाह। गाँव सँ किछुए दूरी पर गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मन्दिर के तर्ज पर ओही आकृति जकाँ मन्दिर सेहो अछि।. पहिने एहि सभा में लाखों लोक अबैत छलाह मुदा आब ओ हजार केर उपस्थिति भऽ गेल अछि। एकर अनेकानेक कारण अछि। पहिने आवागमन के साधन कम छलैक तऽ सौराठ सभा में उपस्थित भऽ कऽ आसानी सँ अपन मनोयोग सम्बन्ध कऽ लैत छलाह। एहि मे कोनो प्रकारक समस्या नहिं होइत छलैन्ह। आब स्थिति बदलि गेलैक अछि तेँ उपस्थिति में कमी होमय लागल। दोसर आब कुल गोत्र केर महत्व दिनानुदिन कम भैलाक कारणे लोक पंजीकरण ब्यवस्था के महत्व के गौण मानय लगलाह जाहि सँ उपस्थिति कम होमय लागल। लेन देन के अधिकता केर कारण सँ लोक सभा में खुलि कऽ बात नहिं कऽ सकैत छलाह तेँ एकर उपस्थिति में कमी होमय लागल। एहि कारण सँ बहुत आदमी एहि विद्वान् केर सभा गाछी के बरदक हाट के नाम सँ सम्बोधन करय लगलाह।सौराठ केर सभागाछी केर स्थिति अत्यंत दयनीय अवस्था सँ गुजरि रहल अछि। एकरा जँ मृतप्राय केर संज्ञा दी तऽ अतिशयोक्ति नहिं होयत। मुदा हर्ष केर विषय इ जे किछु सामाजिक संगठन एहि परम्परा के बचेवाक लेल आगू बढि रहल छैथि। बदलैत परिस्थिति के ध्यान मे रखैत समय केर कमी के देखैत सम्बन्ध के पंजी ब्यवस्थाक कम्प्यूटरीकरण कयल जा रहल अछि जाहि सँ समय केर बचत भऽ सकय।
दहेज़क लोभी किछु लोकनि सौराठ सभा गाछी केर नाम एतेक बदनाम कऽ देने छैथि जे मिथिलाक लोक आब एहि स्थान पर उपस्थित होयवा सँ धकचुकाइत छैथि ।हुनका में हीन भावना के संचार भऽ गेल छैन्ह जकरा त्याग कएनाइ अत्यन्त आवश्यक आ पुनः मिथिलाक एहि धरोहर सभा गाछी केर पुनर्जिवित करवाक लेल समस्त मिथिला बासी के तन मन धन सँ लागय पड़त तखने एकरा पुनर्जिवित कयल जा सकैत अछि। इ समस्त मिथिला बासी के पुनीत कर्तव्य अछि जे एकरा फेर सँ मिथिलाक प्रसिद्ध विद्वान् केर सभा-गाछी के रूप में विश्व पताका 🚩 फहराओत