“नैतिक आ बौद्धिक सबलताक पहिचान”

234

— उग्रनाथ झा।                 

नेतृत्व क्षमता _ नैतिक आ बौद्धिक सबलताक पहिचान।
****************************************
मानव जीवन सतत नव स्थिति आ परिस्थिति स ओझरायल रहैत अछी । ओहि फांस स दू चारि भय परस्थिति अनुकूल बनाब लेल बुद्धि विवेक आ तर्क के काज होई छैक । जाहि मनुख में जतेक कुशाग्र ई आचरण ओ ओतबही निक स अपन योजना के सफलीभुत करैत छैक । ई क्षमता के विकास मनुक्ख के अंदर ओकर पारिवारिक आ सामाजिक परिवेश के प्रभावके कारण होई छैक ।यानी की परिवार स प्राप्त शिक्षा के प्रायोगिक रूप स समाज में आजमायल जैत छैक ।हमरा अहा क समाज में बहुत उदाहरण भेटत जे विद्यालय के मुंह तक नही देखने छैथ मुदा समाज में विकट स विकट परिस्थिति में अपन नेतृत्व स अपन लक्ष्य के प्राप्त केलैथ । हां इ जरूरी नहीं जे कोनो व्यक्ति सब विधा में नेतृत्व कुशल होथी । ई व्यक्ति के अभिरुचि वा उपस्थित माहौल पर निर्भर करै छैक । जाहि स उक्त कार्य के सम्पादन के विशेसज्ञता प्राप्त होई छैक।
नेतृत्व कर्ता के अंदर किछु मौलिक गुण होइबक चाही जेना सत्य , समर्पण , सेवा के भाव अनुशासन प्रिय होबक चाही । समयानुसार कठोर निर्णय लेबा स परहेज नहीं करक चाही। चाहे नेतृत्वक भार समाज सेवा में भेटय वा आजीवीका संचालन । यदि समाज सेवा के क्षेत्र में सत्यता , समर्पण वा सेवा के भाव कमी आयत त समूह के सदस्य के बीच उदासीनता के भाव जन्म लेत आ एकजुटता स विखंडन तरफ अग्रसर होयब । जे लक्ष्य प्राप्ति के बाट के दुरूह बना देत । अंततः लक्ष्य भटकी जायत जे एकटा कुशल नेतृत्व कर्ता के भी असफल साबित के सकैत छै ।ताहिना अगर आजीविका क्षेत्र में उपर्युक्त मौलिक गुण के अभाव में सहकर्मी कनिष्ठ , वरिष्ठ के अपन टीम लीडर के व्यवहार व्यथित करत जे असहयोग के भावना के जन्म देत आ कार्यक गुणवत्ता प्रभावित होयत ।
वर्तमान परिस्थिति में सुच्चा नेतृत्व कर्ता के कमी दृष्टिगोचर भ रहल छैक जेकर मूल कारण नेतृत्व कर्ता के भीतर नेतृत्वक गुण के कमी देखल जा रहल अछी । जाहि के कारण अच्छी मनसा , वाचा , कर्मणा में अंतर ।आई परमार्थ पर निज स्वार्थ हावी छै जेकर फलस्वरूप अधिकांश संगठन अपन तारतम्य नही सही राखी सिद्धांत स भुतला जाय छै चाहे राजनीतिक पार्टी हो वा समाजसेवी संगठन । समुहक सदस्य के विश्वास उठी जाय छै और उद्देश्य नीरस भ जाय छै । उदाहरण भरल परल छै आई राजनीतिक पार्टी के उत्थान पतन हो वा सामाजिक संगठन के साफ देखा रहल छै । बहुत रास मिथिलक संगठन अपन नेतृत्व कर्ता के सफल नेतृत्व के बल पर लक्ष्य प्राप्त केलक त नेतृत्व अभाव मे कतेक अधर में लटकल
मिथिला मैथिली के अनेक संगठन जाहि उत्साह संग शुरू भेल ओ रास्ता में ओझरा रही गेल किएक त जनसमर्थन के विश्वास कायम नही राखी सकल । ई असफलता कतौ ने कतौ नेतृत्व के असफलता के द्योतक छैक । जहिया मिथिला मैथिली के ध्वज वाहक के रूप में ओ प्रखर नेतृत्व कर्ता प्राप्त होएत जे जन समर्थन के विश्वास जीत सकै तौ निश्चय मिथिला के मन सम्मान पद प्रतिष्ठा के गौरव शाली इतिहास घुमि क आओत । मुदा अपवाद सर्वत्र छैक किछु सुच्चा नेतृत्व कर्ता जे छथियो त भेरिया धसान में परि हुनको तेज मध्यम भेल छन्ही । आम लोक शंका के भाव स पूर्ण सहयोग नही देत छैन ।
अंत में समस्त नेतृत्व कर्ता स आग्रह करब जे अपन मौलिक गुण स समझौता जुनी करु ।इतिहास अहाके बाट जोही रहल अछी । तहीना जनसमर्थन स आग्रह जे सूझी बुझी क नेतृत्व कर्ता के चयन करु आ पूर्ण आत्मीय सहयोग स मैथिलीत्व के झंडा बुलंद करु आ मैथिलक सपना साकार क जीवन सफल करु ।
जय मिथिला ! जय मैथिली ।।