“सत्यवान-सावित्री केँ कथासँ सिखबा योग्य बात”

185

रेखा झा।                   

सावित्री एक राजा के बेटी रहैत अपन वैध्वय के बात जानैत मानसिक रूप स पहिने सत्यवान के वरण क चुकल रहैथ। कतेक पैघ बात सीखा देलथि जे मानसिक स्थिति में (मोन में) अगर केयो जगह बना लेने अइ त फेर एहि पर अडिग भ दोसर ठाम मोनक चंचलता रोकू। आधुनिक युग मे नित्य प्रति लोक परिधान जकां किछु दिन पर रिश्ता सेहो बदलि रहल छथि बहुत छोट छोट बात पर। इ सीख सावित्री स लेबाक चाही जे मानसिक अवस्था अगर मजबूती के संग संतुलित राखब त केहनो समस्या के समाधान अहां क सकैत छी। अपन मजबूत ह्दय के संग आत्मबल अबैत अइ।
दोसर बात इ जे मानसिक वरण, कर्म कोनो जगह पूरा भ सकैत अइ जाहि लेल देखू त अध्यात्म में मानसिक पूजा तक स्वीकृति के वर्णन अइ। अहां के पूजा स्वीकार हैत अगर भावना अटल आ शुद्ध रहै त।
मृत्यु के दिन अगर लोक के पता रहै त पूरा दुनियां संग्रह में लागि जैत जे की जमा क ली जे हमर बाद सबके सुख होइ । चिंता स लोक अधमरू पहिनहि भ जैत मुदा सावित्री सब किछु जनितो कनिको विचलित नहि रहैथ। मनुष्य विचलित आ दुख के स्थिति मे सबस बेसी ठगा जाइत रहल चाहे डॉक्टर रहै वा वकील या कोनो पंडित। दुख के समय एहन लोक सब फायदा उठबै लागत जं अहां बहुत विचलित भ समस्या के तुरत समाधान चाहब त। सावित्री धैर्य, संतुलन के संग अपन स्वामी के संग दैत यमराज स चातुर्यपूर्ण बात करैथ हुनका स हुनके बात स पति के आयु वापस करा लेली इ बहुत मामूली बात नइ।
हम नमन करै छी सदैव जे हरेक नारी के एहने बुद्धि आ मोन स मजबूती ओ प्रदान करैत रहैथ।
सत्यवान सेहो राजकुमार रहैथ मुदा राज्यहरण के कारण अपन अंधा मां पिता के संग वन में बास करैत रहैथ। समय के प्रभाव कमजोर छलैनि त बिल्कुल उत्तावलापन हुनका मे नहि छल। अहि स इ सीख भेटैत रहल जे समय ककरो एक रंग नहि रहत जाहि पर अपन वश नइ मुदा मनुष्य के कर्म, वचन आ आदर्श त सब दिन संग रहत ओहि पर चलबाक अछि। कहां सत्यवान अपनी पत्नी के पिता (श्वसुर) के घर में शरण लेलथि या हुनका स किछु मांग क सुखी जीवन यापन केलथि? ओ जाहि अवस्था मे सावित्री के वरण कयलथि ओहि अवस्था मे पतिधर्म के निर्वाह केलनि। आधुनिक युग मे कनिक कमी मां बाप जमाय के क दै छथि त जिंदगी भरि के लेल बेटी के ताना सुनै परत आ जान तक पर बनि आयत। इ बड्ड पैघ सीख समाज के द गेलथि सत्यवान। सच बजनाइ के अटल दृढ सिद्धांत के साथ ओ जीवित भ गेला।
मानव अगर एकोटा सिद्धांत जीवन मे अटल राखै त कष्ट बहुत हेतइ मुदा वैह सिद्धांत ओकर कवच के काज करैत अइ। मानवीय मूल्य के अमूल्य द्रष्टा छथि हमर सबहक सावित्री सत्यवान ।अहि दुनू गोटे के मूल्यवान आदर्श के सदैव धरा पर स्थापित करबाक लेल हिनक पूजा सब साल जेठ अमावास्या के तिथी निर्घारित कैल गेल अइ। हम सब नारी हुनका संगे, हुनक सिद्धांत के संगे प्रकृति के लंबा आयु के वरदान भेटल बरगद गाछ के साक्षी मानि सदैव दुनु के नमन करै छी। सबहक घर कुल में सावित्री सनक मानसिक मजबूती वाली कन्या रहै आ एक आदर्श जीवन मे पालन करै वाला पुत्र रहै त हुनक मानव जीवन हरदम एक कीर्तिमान स्थापित करत।