“जीवन के अनमोल क्षणमे सँ एक – आमक गाछीमे बिताएल ओ मधुर समय”

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— आभा झा।       

बचपन हमर जीवनक मधुबन होइत अछि।हरेक गोटे के अपन बचपन याद अबैत अछि।हम बचपन के केना जिलौं।आइयो बसंत के आगमन पर जखन आमक गाछ मज्जर या फेर टिकुला सँ लदैत अछि तखन हमर मन सेहो अंगड़ाई लैत ओहि अपन बुढ़िया गाछी में पहुँचि जाइत अछि।पहिने लोक बीजू आम के गाछ लगबैत छल जे मरला पर ओहि जारैन सँ जरेला सँ नीक होइत छैक।हमर गामक आँगन में दू -तीन टा आमक गाछ छल ओहि गाछ पर रस्सी सँ झूला बान्हि कऽ झूलैत रही।हमरा याद अछि जे गाम में जहाँ ने बिहाइर उठै हमसब दौड़ी गाछी दिस आमक टिकुला बिछै लेल। के कतेक बेसी आमक टिकुला बिछलक।ओहि आमक टिकुला सँ झक्का बनबैत रही।ओहि झक्का में नोन, मिरचाई, गोलमिर्च पाउडर मिला दियै।खूब चहटगर बनैत छल ओ झक्का।खूब प्रेम सँ स्वाद लऽ लऽ कऽ खाइत रही।अखनो हमर मुँह में झक्का के नाम सँ पइन आबि रहल अछि।कखनो- कखनो मिरचाई के मात्रा बेसी भेला सँ आँखि सँ नोर सेहो बहैत छल। सब सी-सी करैत रहि,पर ओहो सी-सी के अलगे मजा छल।ओकर बाद सीसियाइत नोर सँ डबडबायल आँखि लऽ कऽ माँ लग पहुँचि जाइ। माँ पइन पीबै लेल दैत छल आर संग में चीनी या गुड़ सेहो खाइ लेल दैत छल।तखन जा कऽ आराम भेटैत छल।माँ बिगड़ैत रहै कि पेटो खराब भऽ जेतौ एतेक खेबें तऽ।ओ बुढ़िया गाछी हमर सबहक दौड़ै- भागै, गाछ पर चढ़नाइ-उतरनाइ आर चोरा-नुक्की खेलाइ के रंगमंच छल।ओहि गाछी में हमसब बहुत समय बितबैत रही।अपन गाछी के टिकुला तऽ बिछैत रही संग ही आनो बाबा ,कका सबहक सेहो बिछ लैत रहि।टिकुला कनिक पैघ होइ तऽ माँ ओकर कुच्चा, फाँड़ा अचार बनबैत छल।ओकरो सुखबैत छल तऽ हमसब ओहो उठा कऽ खा लैत रहि।फेर इंतजार रहैत छल गाछक गोपी आम के। ओकरा बड्ड सम्हारि कऽ डंडी लागल तोड़ी आ खूब खुश होइत रही।कोनो गाछ पर
गोपी आम देखाइत छल तऽ ओगरवाह के परेशान कऽ दी तोड़ै लेल। ओ दोसर दिन पहिने सँ हमरा सब लेल गोपी आम तोड़ि कऽ रखने रहैत छल।गाछी सँ बाबूजी आम तोड़ा कऽ पथिया सब में अनैत छलाह। ओहि आम के चौकी तर में बिछा देल जाइ। पाकल आमक मुट्ठी काटि कऽ माँ भोरे-भोर एक टा बाल्टी में पइन डालि कऽ राखि दैत छल।हमर तऽ जलखइ सेहो आम रोटी होइत छल।खीर आम हमरा बड्ड नीक लगैत छल।आमक अमट सेहो माँ खूब बनबैत छल।ओहो खूब खाइत रही।आमक मास में अपन गाछी के तरह-तरह के आम भोज में सेहो परसल जाइ।हमसब आमक गारा बना कऽ सेहो खाइ।आब तऽ बच्चा सब कहत मैंगो शेक बना दिय वैह पियब।छुट्टी खत्म भेला पर होइत छल जे कनिक दिन आरो छुट्टी बढ़ि जइतै।अखनो हम अपन सासुर में अपन सासु माँ के पुछैत रहै छियनि माँ आम गाछ में कतेक अछि।माँ कहैत छथि आम तऽ बहुत अछि आउ तखन पाकल आम खायब।आब तऽ ओ बचपन के मधुर याद यादे रहि गेल अछि।आब तऽ हमर आमक गाछ लोकक बाट जोहैत अछि। जय मिथिला जय मैथिली।