“हमर आमक गाछी”

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— कृति नारायण झा।         

अपना सभक मिथिला में एकटा कहावत छैक जे दुबराएल धिया पूता आमक गाछी मे मोटा जाइत अछि।अर्थात आम खयला सँ शरीरक काया में परिवर्तन होइत छैक कारण जे आमक रस में पौष्टिक आहार पाओल जाइत अछि।. जेठ मास, जे गर्मी के चरमसीमा बला मास मानल जाइत अछि ओहि मास में आम पकैत अछि। करगर रौद आ हवा के नहिं बहवाक कारणे गुमकी सँ हमरा सभके गाम पर रहनाई मुस्किल भऽ जाइत छल तखन हमरा लोकनि आमक गाछी के मचान पर जा कऽ दुपहरिया मे पङि रहैत छलहुँ। रौद सँ बचवाक लेल कुसियारक पतोइ आ खअर के खोपड़ी सेहो बनल रहैत छलैक कारण जे आमक महीना में अन्हर बिहारि आ वर्षा सेहो खूब होइत छैक।. हमरा गामक मुसहरी गाछी मे रंग विरंग केर आमक गाछ छलैक आ आमक नामो सभ बहुत सुंदर छलैक। लङुब्बा, लङुब्बी, केरवा, कोदैइ भोग, रोहिनियाँ, कुरहरबा, भीरहा, सकरचिनियाँ इत्यादि ।एकटा आमक गाछ छलैक मुसहर भोग आ नामक अनुरूप देखवा में सेहो मुसहर सन कारी खट खट। विशेषता जे काँचो आ पाकलो मे कारी। गाछक नीचाँ में दस टा पाकल मुसहर भोग हरदम खसल भेटि जाइत छलैक कारण आम बिछै बला के नजरि सँ ओ सेहो बचि जाइत छलैक। मुसहरी गाछी के नाम एहि मुसहर भोग के नाम पर राखल गेल छलैक आ एकर अलावे ओहि गाछी के बगल में मुसहरी पोखरि सेहो छलैक जाहि में कारी कारी माछ सिंगही, माँगुर, कबैई, गरैइ सभ भरल रहैत छलैक। ओकर कारी कारी पाइन मे हमरा सभ आम खा कऽ हाथ धोइत छलहुं ओना बेसी काल आम खा कऽ अपन पेंट में हाथ पोछैत छलहुं जाहि पर माता जी केर डांट खुब सुनैत छलहुं। हमरा माता जी कहैथि जे तोहर पेंट पर लागल आमक रस सँ लोक अम्मट बना सकैत अछि। एहि कारण सँ आमक मासमे हमरा सभक मुँह पर, हाथ में पएर में आमक दूध सँ घाव भऽ जाइत छल। आमक दूध शरीरक जेहि अंग पर खसैत छलैक ओहि ठाम घाव भऽ जाइत छल मुदा तकर परवाह के करैत अछि, विना हाथ धोने जखन आम खेवाक अवसर भेटैत छलए शुरू भऽ जाइत छलहुँ।. आमक मासमे में बुझाइत छलेए जे गाछी के भूत प्रेत सभ सेहो भागि जाइत छल। भूत प्रेत शायद सेहो जीवैत मनुख सँ भयभीत भऽ जाइत अछि। राति के दू बजे तीन बजे जखने पछवा हवा के सिहकी चलैत छलैक हम सभ निधोख गाछी पहुंच जाइत छलहुँ। हमरा गाम में भैरव दानी नामक हमरा सभक एकटा टोलक बाबा छलखिन्ह ओ आम बिछवा में महारथी छलाह। हम सभ बच्चा रही तऽ हमरा सभके कहैथि जे गाछी मे राकस रहैत छैक। ओ जखन देखाइ पङय तऽ गाछी नहिं जएवाक चाही। राकस भूक – भूक इजोत करैत रहैत छैक बाद में पता चलल जे ओ अपनहि चोरवा टार्च लऽ कऽ सभटा आम बिछैत छलाह आ हमरा सभके कहैत छलाह जे गाछी मे राकस घुमैत छैक। हम सभ जावत गाछी पहुंची ओ सभटा आम बिछि लैत छलाह आ हम सभ लुलुआ जाइत छलहुँ। एक बेर हम आ हमर पैघ भाइ जे कलकत्ता में चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट छैथि बिचार कयलहुँ जे भैरव बाबा के छक्का छोङवाक चाही। भैरव बाबा १२ बजे राति में गाछी जाइत छलाह, हम दुनू भाइ एगारहे बजे राति सँ झोरा में माटिक ढेपा भरि कऽ तैयार भऽ गेलहुँ। भैया किरासन तेल के एकटा बोतल भरि कऽ लऽ लेलाह एकटा दियासलाई लऽ लेलाह। दुनू भाइ रस्ता के दुनू कात मे आमक गाछक दोग में नुका गेलहुं। बाबा जखने ओहि ठाम सँ आगू बढि रहल छलाह हम १५ – २० टा ढेपा एकहि बेर हुनका दिस फेकलहुँ। ओ डरि गेलाह तावत हमर भैया बोतल में सँ किरासन तेल अपन मुँह में भरि कऽ दियासलाई जरा कऽ ओहि आगि पर मुँह महक किरासन तेल फेकलाह। आगि केर धधरा देखि बाबा धरफराइत नीचाँ खसलाह आ पाछू दिस भागय लगलाह। ओ एतेक डरि गेल छलाह जे अपनहि सँ खसैत पङैत कोनहुना अपन गाम पर पहुँचलाह आ फेर तकरा बाद राति में गाछी दिस नहिं जाइत छलाह। हम सभ तकर बाद निश्चिन्त सँ आम बिछैत छलहुँ। वास्तव में आमक मासमे गामक आनन्द चरमसीमा पर रहैत छलैक। स्कूल गर्मी छुट्टी के कारण बन्द रहैत छलैक तेँ दिन – राति आमक गाछी के ओगरैत रहैत छलहुँ। आमक कारणे मिठाई सभ कनैत रहैत छल कियए तऽ मिठाई कियो पूछवे नहिं करैत छलैक। भोर में दतमैन केलाक उपरान्त भरि बाल्टी पानि मे आमक मुँह काटि कऽ पचास – साठि टा सरही आ बिज्जू आम केर जलखै होइत छलैक। हमर सभक दू तीन टा घर में आम तोङि कऽ भरल रहैत छलैक। आम जखन हमरा लोकनि नहिं सधा पबैत छलहुँ आ आम सङवाक डर सँ हमर माता जी अम्मट बनबैत छलीह जे भरि साल हमरा सभक ओहिठाम चूड़ा दही केर संग आमक स्वाद हमरा सभके भेटैत रहैत छल ।. हमरा लोकनि जतेक आनन्द आमक गाछी के लेने छी ओतेक आनन्द हमर सभके धिया पूता के नहिं भेटल छैन्ह ओ सभ एकरा एकटा यादगारी कथा बुझैत छैथि। समय बदलि गेलैक अछि। धिया पूता के आनन्द केर साधन बदलि गेलैक अछि। एकरे नाम परिवर्तन छैक। एखनो ओ आमक गाछी मोन पङैत अछि तऽ अतीत में भ्रमण करय लगैत छी आ सोचय लगैत छी जे कतेक आनन्दमय दिन छल ओ। जय मिथिला आ जय जय मिथिलाक ओ अविस्मरणीय आमक गाछी……