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“जिम्मेवार नेनपन”

17 भ्यूज

— झा पंकज।                 

एकटा बालक रहैथ। हुनक बच्चाक ५ साल रईसी स बीतल। पिता जी आ माता जी आ एकटा छोटे बहिन परिवार मे। सब खुशी स’ रहैथ। अचानक पिता जी एक दिन एक्सीडेंट होई छैन और वो बेड पर डॉक्टर हूँकर आपरेशन क बाम भाग के पएर के ठेहउँ निकाल देलेक और ओ ६ महिना बेड रेस्ट.. नौकरी आ व्यापार दुनु चौपट। समय के फेर ओइ बालक के एकदम स अमीरी वाला शान छोरी मिडिल क्लास वाला मजबूरी मे आब परल परंतु बचपन रहेक त वो विशेष ध्यान नै दै।  पिता जी के नौकरी के तलाश मे एक शहर स दोसर शहर भटकनाइ ओइ बालक के घुम्नाइ बुझाई आ एक मकान स दोसर मकान किरायेदार भ जा के कारण समान शिफ्ट केनाइ ओकरा खेल बुझाई।  मतलब जीवन के भटकाव के ओ बालक अपना मे एना समाहित कैलक जे ओ ओकरा एक टा दिनचर्या बुझाई.।ई पिता जी के जीवन यापन के संघर्ष के उठा पटक। खैर ई उठा पटक ओकर जीवन के १३ साल मे ल आयल जत ओकर पढाई रुक वाला रहेक.. आ बहिन के से हो कियक् त पिता जी के नौकरी दोसर राज्य मे लाइग् गल रहेन आ पिता जी छुट्टी ल क पुराना स्कूल मे परीक्षा दिया ब लेल नै जायत् सके छलाह.. आब की… यदि दुनु बच्चा पेपर नै दैत् त भविष्य खराब हायत। एहि गुन धुन मे समय निकलल जा रहल छल।  तखं वो बालक खुद निर्णय देलेक .. की पिता जी हम दुनु भाई बहन ट्रेन स 10 दिन लेल निकेल जाय छि.. पेपर देब लेल.. अहाँ अपने ओतुका दोस्त सब के जनकारी द दियो जे हमर दुनु बच्चा पेपर लेल 10 दिन किनको घर पर रही क पेपर द दैत्… आब ई सुनी माँ अवाक् रही गेली.. एकटा १३ आ दोसर १० के वो हो लड़की.. दुनु 600km दूर जा क परीक्षा दैत् 10 दिन लेल… पर ओइ बालक के जिद्द के आगा हुनका सब के झुक परलेन्..दुनु गैल पेपर देलेक आ फेर वापसी मे स्टेशन पर उतैर अपना गंत्वय् लेल shuttle पकर लेल तैयार.. Shuttle अयाल भीड़ रहेक तै द्वारे बहिन के समान दैत् पहिने चडढेलाक् के बाद खुद चढ़ के कोशिश मे shuttel खुजल् आ स्पीड तुरंत पकेड लेलक.. लेकिन स्टील के दण्डी के वो बालक पकरने पकरने दौड़ लागल और हवा मे लटक गैल. बहिन से चिचिया लग्लै अंदर स.. किछ भ सकै छल.. कहे छे न ऊपर वाला सब देखै छैक तुरंत एक गोटेक ओइ बालक के पीठ पर हाथ द क अंदर खिच लेलक..बच्चा के जान मे जान आयल.. ओइ व्यक्ति के प्रणाम करेत वो दुनु अपन गंतव्य पर पहॅुचल.. दुनु के देखी क माँ के नोर नै रुकल्। अरोसि परोसी से हो देख लेल आयल जे आतेक छोटे मे दुनु अपन पढाई लेल.. परेशान। पिता जी ड्यूटी स एला। दुनु के देखी वो से कान लगलाह। खैर दुनु बच्चा चुप करेलक माँ बाबू जी केँ.

समय बीतल दुनु बच्चा उपरक घटना क्रम के बाद अपने आप परिपक्व होब् लागल… की गलत छेक आ की सही.. दुनु भाई बहिन बुझेत् रहेक.. एक दोसर के स्पोर्ट करेत दुनु अपन अपन पढाई पुरा केलेक्.. बिना माँ बाप पर बोझ बेनेने। ट्यूशन क क स्कूल मे पढ़ा क.. अगा अगा भाई पछु पछु बहिन.. समय बितल
दुनु के नौकरी लागल..विवाह भेलेन.. आब सब सुखी छत

शिक्षा:-परिस्थिति के अनुसार ढलब.. त बड़का स बड़का समस्या के निदान भ स्कैया.. आ सफलता से भेटत अनुभव स…।

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