— आभा झा।
“मिथिला में गताती विवाह के गुण दोष आर महत्त्व”
जखन हम अपन पुत्र या पुत्रीक विवाहक बारे में सोचैत छी तखन हमर सबहक मन में यैह प्रश्न उठैत अछि कि संबंध अपन परिचित परिवार अथवा अपन संबंधिक के परिचित में कैल जाय या अपरिचित में।सब माँ -बाबूजी अपन बेटा -बेटीक खुशी लेल नीके सोचैत छथि।हुनकर मन में यैह भाव होइत छनि कि काश ! कोनो एहेन पुतौह या जमाय भेट जाथि जे हमर बेटा या बेटी के सदा खुश राखैथ।आजुक समय में कनिक परिवर्तन आबि गेल अछि।पहिने के समय में लोक अपन संबंधिक के कान में ई बात डालि दैत छलखिन कि हमर पुत्र या पुत्री विवाह योग्य भऽ गेल छथि।अहाँक नजरि में कोनो नीक घरक लड़का या लड़की होइथ तऽ कहब।मुदा आब वैवाहिक संबंधक माध्यम आॅनलाइन भऽ गेल अछि।लेकिन दुनू तरीका के उद्देश्य यैह अछि कि एक नीक जीवनसाथी भेट जाय।गताती में संबंध केनाइ कतेक नीक,
कतेक खराब- यदि हम अपन पुत्र या पुत्रीक विवाह गताती में या परिचित में करैत छथि तऽ ई सोचि कऽ पहिने सं ही सुरक्षाक अनुभव करैत छथि कि जान- पहचान के छथि ताहि दुवारे ई संबंध नीके होयत। मुदा अहि में कोनो गारंटी वाला बात नहिं होइत छैक। कियैकि गताती में संबंध भेला सं कखनो-कखनो लड़का या लड़की अपना लेल स्वतंत्र जीवनक अनुभव नहिं कऽ पबैत छथि।परिचित सं वैवाहिक संबंध बनाबै के दशा में पहिने सं ही संबंधक डोर सं बान्हल हेबाक जखन एक ओर नब डोर बान्हि जाइत अछि तऽ आपसी संबंध कखनो- कखनो उलझि जाइत छैक। बल्कि अक्सर देखल गेल अछि कि संबंधक चक्कर में पुरान संबंध खराब भऽ जाइत छैक। ताहि दुवारे यदि अहाँ गताती में अपन बेटा- बेटीक वैवाहिक संबंध जोड़य जा रहल छी तऽ सब पहलु पर गंभीरता सँ विचार करि ली।मुदा बहुतो देखल गेल अछि कि गताती में संबंध केला सं बहुत नीक परिणाम सेहो देखय लेल भेटैत अछि।अपरिचित सँ संबंध कतेक सफल,कतेक असफल- यदि हम अपन बेटा या बेटीक संबंध अपरिचित में करैत छी तऽ कखनो- कखनो हमर ई निर्णय बहुत नीक साबित होइत अछि।कियैकि हुनका सब सँ पुरान संबंध नहिं भेला के कारण हुनका हमरा सँ कोनो अपेक्षा नहिं होइत छनि या ई कहबाक चाही कि हुनकर मन में हमर प्रति पहिने सँ कोनो छवि नहिं बनल रहैत छनि।ताहि लेल ई नब संबंध अहाँक कुशल व्यवहार सँ सुंदर बनि सकैत अछि।एहेन संबंध भेला सँ अहाँक पुत्र या पुत्री अपना आपके स्वतंत्र महसूस करैत छथि।मुदा एकर एक दोसर स्याह पहलू ई सेहो अछि कि हमरा अपरिचित सँ संबंध बनाबै काल सजग रहबाक चाही।कयैकि कखनो-कखनो जानितो-बुझितो गलत लोक सँ संबंध जुड़ि जाइत छैक। परिचित होइथ या अपरिचित बस संबंधक समझ जरूरी अछि – हम जे परिवार सँ अपन पुत्र या पुत्रीक संबंध जोड़य जा रहल छी यदि हुनका संबंधक समझ छैन ,हुनका पैघक प्रति सम्मान छैन,छोटक लेल स्नेह छैन और बराबर वाला के भावनाक कद्र छैन तऽ एहेन स्थिति में वैवाहिक संबंध परिचित में हो या अपरिचित में ,संबंध मजबूत डोर में बान्हि जाइत छैक। ताहि दुवारे विवाहक संबंध जोड़य काल गोपनीय जाँच पड़ताल अवश्य करबाक चाही,हमरा सबके अपन बटा या बेटीक लेल नीक पार्टनर देबाक प्रयास करबाक चाही।पहिने के समय और आइ के समय में यैह अंतर अछि कि पहिने के लोक विवाह के एक पवित्र संबंध मानि कऽ हर सुख-दुख,उतार-चढ़ाव में संग चलि कऽ अपन संबंध के एक मंजिल तक पहुँचबैत छलाह। मुदा आइ काल्हि के विवाह में अगर कनिको एक-दोसर के रोक टोक केलक या एक दोसर के आवश्यकता के पूर्ति नहिं भेल तऽ फेर ई संबंध बेसी दिन तक नहिं चलैत अछि और तलाक के नौबत आबि जाइत छैक। विवाह में आपसी सामंजस्य बहुत जरूरी छैक।
जय मिथिला जय मैथिली।🙏🙏
आभा झा (गाजियाबाद)