— विवेकी झा।
एक छोट सन कहानी जे हम बता रहल छी ओ सच त नय छै हाँ पर सच सँ दुरो नय छै । काल्पनिक भेला के बादो समाज में भ रहल घटना के आसपास छै ।लिखू केना, हाथ अपने आप रुइक जायत अइछ , सोचैत मन थैम जायत अइछ ,दहेज छैहे एहन ……..
दहेज समाज में फैलल ओ बीमारी अइछ जेकर बुराई त हर आदमी करैत अइछ पर एकर ईलाजक दबाय खाय नय चाहैत अइछ । अगर आहाँ लेलौ दहेज त आहाँक बुराई त हम क सकैत छी पर खुद लेलौ त कुर्ता झरैत निकैल जायत छी जेना किछु भेबे केलय …।
बात ओई दिन के छै, जै दिन पहिल बेर राजेश के अतेक खुश देखने रहियैन । खुश कियाक नै होयत बाते एहन छलै । हुनक बेटी प्रिया के बियाहक दिन जे ठीक भ गेल छलै । बड्ड लाड प्यार सँ रखने अइछ अपन बेटी के ।हमरो निमंत्रण भेटल छल । नै भेटल रहितै तयौ जयतौ ।
बिबाह सँ किछु दिन पहिने राजेश के फोन केलौ आ बधाई दैत पुछ्लीय ! किछु काज हुए त कहब । प्रिया के अपन बेटी सँ कम नय मनलियै, हमरो उएह बेटी अइछ । भारी मन सँ कहलक नै- नै बस आहाँ आबि आशीर्वाद द देबै ।
तखन हम पुछि बैसलऊ की किछु लेबो -देबो छै दहेज सेहो लागल । राजेश बैज उठल नै नै, बाकी लड़का कमौआ छै, घर बार निक छै त कनि मनी दियै त परतै, प्रिया के बियाह में कोनो कमी थोरे रखबै । एकटा त बेटी अइछ ।
दोसर दिन फेर फोन क पुछलौ की बेसि दहेजक चक्कर त नय अइछ ई बियाह में।घर परिवार जाईच परैख त लेलऊ, राजेश कहलक नय-नय, हम पुछि बैसलऊ तय्यो कह! फेर उएह बात कैह देलैथ, नय आहाँ चिन्ता नय करू …. “”हमर 2 बीघा जे जमिन अइछ ओ बेच देबय”” .. बस सब भ जेतै।हम मने मन सोचै लगलौ ओकर जीवन भैर के कमाय ई दहेजक चक्कर में खत्म भ रहल छै कैह रहल अइछ जे किछु नय लागि रहल अइछ….चलू देखय छियै बाकी भगवती के इच्छा ….
आइ ओ बियाहक दिन छल ..राजेश खुश नय देखाय छ्लाय हमरा लागल प्रिया के कारन चिंतित हैत …आखिर बड्ड दुलार सँ रखने छल अपन बेटी के …हम सान्तोना दैत कहलियै बड्ड पुण्य के काज छै बेटी दान … जेकरा छै ओ बड्ड भाग्यशाली अइछ । ई कहैत देरी ओ भोकैर मैर कानै लागल …कहलक भाई ओ बात नै छै,सब किछु त इन्तजाम भ गेल बस दू चक्का गाड़ी नय भ सकल तेकर चिन्ता अइछ समधि की कहता बारात आबै बाला अइछ …
बारात आबि गेल । हमर नजर राजेश पर छल । किछु काल बाद देखलौ राजेश आ हुनक होय बाला समधि में किछु बहस भ रहल अइछ राजेश माथा झुकेने सुनी रहल अइछ …. हमरा डर अहि बातक छल दहेज होयतै छै एहन …
राजेश माथ झुकेने किया सम्धिक गर्जन सुनैया ,
कीया ई बेटी के बाप होय के दर्द सँ गुजरैया ,
जान (बेटी) लयो के मेघ जका कीया एना उमरईया ,
कखन बरसत मेघ सोची दुलारि कीया हमर तरपैया ,
इज्जत अपन हाथ लेने राजेश हाँ में हाँ भरैया ,
अक्छत फुल नेवेद्य देला के बादो,
पंचमेवा लेल कीया तरसैया ।
छै नय औकात ई मेघ के बरसै के ,
तखन गरैज गरैज के कीया डरबैया ।
परैत एक ढ़ंग के हुहकार पर ,
एमहर उमहर बिखरैया ।
जेना तेना बाद में देव से कैह बियाह भेल । प्रिया के बिदाय सेहो भ गेलै ओ अपन नव घर गेल ।ओ छन केहन छल नय पूछू बस एहसास क सकै छी , प्रिया के याद करैथ अखनो कोढ़ फटैया …
बाद में हम पुछलौ समधि के जे गछ्ने छी से केना देबय आहाँ लग त किछु नय बचल ….. एक टा ओ 2बीघा जमिन पर उरय छलऔ, सेहो त दहेज में गेल आब ?.. राजेश कहलक कोनो बात नय देखय छियै, बियाह भ गेलै त सभ भ जेतै बाकी जेहन भगवती के इच्छा ।
किछु दिन बित गेल छल,पर हमरा बियाह राईत के ओ बात मने मन खटकैत छल,की भेल ओकर बाद ……
हम जखन पुछि राजेश सँ प्रिया के हाल, केना की समाचार ?? सब ठीक से कैह टैइल दिया । पर हमरा मन सांत नय छ्ल, बचपन के दोस्त छल, मनक बात सब बुझाय में आबै छ्लाय।एक दिन मुह सँ निकैल गेलै पाय के इन्तजाम में लागल छी, गाड़ी आ किछु गहना देबाक अइछ । पर हमरा लग त किछु अइछ नय केना करू!! सम्धिक फोन बार बार आबि रहल अइछ ।
हमर मन सोचैत अइछ ……
के ई दहेजक घुड़ारी बनेलक समाज में ,
खोरनाठी के निकैल लगेलक ई घुड़ारी में ,
आइग सुल्गेलक के ई दहेजक ,
फुक मारी मारी , के ई धधड़ा भरकेलक ,
केहन गन्ध फैलल ऐछ ई बाताबरन में,
सब केवल अपन नाके टा कीया बन्द केलक ,
कीया ने अइपर कोई पाईन आईन ढारलक ,
कीया ने कोई ई लागल आइग बुझेलक ।
किछु दिन बाद हम राजेश सँ भेट करै जायत छलौ त अचानक देखलौ ओ भगैत जैत छल, यौ राजेश यौ राजेश आबाज देलौ, पर जेना सुनाय नय देने हुए आगू बढ़ल जाय , हम झटैक पकरलौ,यौ की भेल कीया भागल जायत छी घबराईत कहलैथ बेटी आनै लेल …..हमर मन ठनैक गेल, अपन मन सांत करैत पुछलौ बेटी आबि रहल से त खुसी के बात एअना कीया परैल जायत छी, ई कहैत देरी मानू छोट बच्चा हुए तेना कानय लागल, कहलक “राक्षसबा सब खा गेल हमर बेटी”
ई सुनैत हमर पैर के नीचा सँ जमिन निकैल गेल। आब त नय पूछू! केहन मन भेल हमर , हमरा जेकरे डर छल सेह भ गेल । हम फेर पुछलौ की भेल यौ ? कहै लागल भाई रोज बेटी दीया समाद आबै छल, कतेक बेर धमकी भेटल , पर पाय के आभाव में अन्ठाबैत रहलौ, नय बुझल जे आय इहो दिन आबि जायत,हम सोचने तक नय रही “एक गाड़ी के चलते ओ बेटी खा जायत”। ……..
आगू की कहू राजेश के हाल …..
बस एतवे माँग रुपी दहेजक बिरोध करू, नय त कखनौ अहुक परोस में कानै के आबाज सुनाई देत……….
चलू आबो जागू हे मिथलाक वासी ,
आव बचाव अपन बेटी हे मिथलाक वासी,
उठाव अँहि मसाल , करू संकल्प आहाँ ,
आब नै झुकायव मान पागक आहाँ ।
नय लेव दहेज हम कहियौ,
हैत नय बेटी के अपमान अहिठाम ,
नय देती सीता आव कोनो राम के परीक्षा ,
नय करव विवाह दहेज द के हम कोनो ,
जे मगैत दहेज आहाँ सँ,देखे बैन ठेगा दुनु ,
रखू अहू अपन बेटा समहैर क ,
राखी हमहू अपन बेटी आहाँ सँ बचा के ,
नय करब मोल भाव, नय करब बेटी बिबाह हम ।
एक घर छूटत त छूटत , दोसर भेटत आहाके
कम सँ कम बेटी त बचत लोभीक अत्याचार सँ ।