“अहि मासमे कएल गेल पुण्य कर्म बहुत फलदाई होइत अछि”

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— विवेकी झा।                               

पूस आ चैत माह जैमे कोनो हिंदू अपन शुभ काज सब नय करैत छथ । खरमास या मलमास एकर नाम इहाँ कारण सँ परलै , लोग सांसारिक काज सब सँ मुक्त भ क पूरा महीना आध्यात्मिक काज में लैग जाय छथ । अहि माह में पूजा पाठ भगवानक ध्यान साधना त कायल जायत छै पर शुभ आ मांगल काज सब बर्जित अइछ । लोग आध्यात्मिक काज सँ जूरी क अपन भटकल मन के स्थिर क ओही पर काबू कायल जा सकै ।

खर के मतलब भेलै कर्कश, गधा, क्रूर आ दुष्ट आ मास के मतलब भेलै मास दुनु मिल भेल खरमास। हमर आहाँ के भाषा में कहल जाय त, हिन्दू पंचांग के अनुसार सबसे अप्रिय माह इहाय भेलै । अहि माह में सूर्यक ऊर्जाक स्रोत यानि कि भगवान सूर्य निस्तेज आ कमजोर पैर जायत छथ ।
हिंदू धर्म में जेना पितार्पक्ष आ चार्तुमास में कोनो शुभ काज केनाय बर्जित अइछ , ठीक ओहिना खरमास में सेहो कोनो शुभ काज केनाय वर्जित अइछ ।
ओना कहल जायँ खरमास के महीना में पूजा-पाठ, दान-पुण्य सब काज आ कोनो धार्मिक काज सब के विशेष महत्व बतैल गेल अछि । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास के माह में कायल गेल पूजा-पाठ और दान-पुण्य के काज सँ कतेको परेशानि से छुटकारा भेटैत छै आ जीवन में सुख-शांति के वास होयत छै ।

जखन ठंड अपन चरम सीमा पर हुए आ जखन धीरे-धीरे धुँध सँ हाथ के हाथ नय देखाय देय , पाला एहन परै की हाड़ – हाड़ कपकपा जाय, ठंड एहन हुए कि कण्ठ सँ भाप बाहर आबै लागे आ हल्का- फुल्का धूपक बीच में जखन हम आहाँ नय अपितु जानवर , चिरिया – चुन्मुन में सेहो सिहरन आबै लागै आ तखने अचानक सँ सब शुभ और मांगल काज सब सेहो रुक जाय ।शादी ब्याह मांगलिक काज सब मुहूर्त आ पण्डितक चक्कर में फैस जाय वैह कालखंड यानि दिसंबर के बीच सँ ल के और जनवरी के बिचक समय भारतीय खास क मैथिल मान्यता में खरमास आ मलमास कहल जायत छै।

ई एहन समय होयत अइछ जखन सूर्य गधा संग घुमै छथ तै हुनक ताप सेहो कम भ जायत छैन । गर्म धाह देह परैत छै ,लगै छै जेना छलनी भेल ई तन-बदन पर,मलहमक थाप लगेने जायत छथ ई सूर्य देव ,कनिक दया आबैत छैन हिनका त ओ अपन ममता मय हाथ ललाट पर फेड़ दैत छत, इ जे लाल लाल थाल परोसने छथ आसमां में ,मोन करैत छै भैर पाज के पकरी मुट्ठी मे जकैर ली

एकर बारे में एकटा कहानी सेहो प्रसिद्द छै :-
मानल जायत छै जे एक बेर सूर्य अपन रथ पर सबार भ सात घोड़ाक संग सृष्टिक यात्रा करैत छला। परिक्रमा करै काल में सूर्यदेव एको क्षण के लेल रुकै आ धीमा होयक अधिकार नय होयत छैन। लेकिन एक बेर सूर्यक सातों घोड़ा हेमंत ऋतु में थैक क अपन प्यास मिटबै लेल पोखर पर पाइन पीय लागल। सूर्य के अपन दायित्वक याद आबि गेलैन कि चाहे घोड़ा थैक जाय रुकै के नय छै। यात्रा के फेर सँ अनवरत जारी रखै ताकी सृष्टि पर कोनो संकट नय आबि जाय , भगवान पोखैर लग ठाड़ दू टा गधा के रथ में बैंध यात्रा सुरु करै लगलाह छथ । गधा कतेक तेज दौरैत अइछ से त हम आहाँ जैनते छियै ओ अपन धीरे-धीरे पूरा माह में ब्रह्मांडक यात्रा केलक , अहि कारण सूर्यक तेज बहुत कमजोर भ जायत छैन । मकर संक्रांति के दिन पुन: सूर्यदेव अपन घोड़ा के रथ में बैंध लैत छथ, तखन सूर्यक तेजोमय प्रकाश धरती पर परै लगै छैन ।