“वर्तमान समाजमें पुनर्विवाह के वास्तविक रूप”

281
ममता झा

— ममता झा।

कोनो कारणवश किनको पहिल विवाह में अड़चन अबैत छई आ फेर स विवाह कर के प्रचलन के पुनर्विवाह कहैत छी।
अनेक कारण स पुनर्विवाह भेनाई उचित अई।बेमेल विवाह में दुनू प्राणी के सबदिन बात बात पर झगड़ा। ई अगर बच्चा देखत त सीखत आ माय बाप स दुर रहत। ऐहन स्थिति में दुर भेनाई ठीक।
दोसर पति के देहांत भ गेला के बाद पुनर्विवाह उचित। कारण बच्चाक दायित्व पूर्ण तखने होयत जखन माय आ बाप के स्नेह भेटत।
हमसब एक सामाजिक प्राणी छी।तैं लक सामाजिक नियम में रहैत आचरण करैत छी जइस समाज में अनुशासन बनल रहय। सब देश के अप्पन अलग-थलग संस्कार, भाषा,रीति-रिवाज, धर्म आ सामाजिक नियम अई।सब मिलकअ ओई नियमक पालन केनाई एक सभ्य नागरिक के कर्तव्य थिक।
अप्पन संस्कार में बच्चे सं सिखायल गेल अई मात पिता संग समस्त परिवार के आदर केनाई। बुजुर्ग के सेवा केनाई ।
ई त भेल संस्कार संग समाज आ पारिवारिक नियम। पुनर्विवाह परंपरागत नियम छल सिर्फ पुरुष के लेल।केतबो उम्र के पुरुष के पत्नी के मृत्यु भ जाई छई आ बच्चो पैघ छई तखनो समाज खुशी खुशी ओई पुरुष के पुनर्विवाह के अनुमती ई कही क द दई छैथ कि असगर बच्चा के देख रेख कोना करता।ओतहि अगर नवविवाहित के पतिदेव खत्म भ जायत छथिन्ह तखन इयाह समाज महिला के तरह तरह के लांछन के संग अशुभ मानिक हुनकर तिरस्कार करैत छथिन्ह।
एक तरफ हम समानता के गप्प करैत छी आ दोसर तरफ अतेक भेदभाव।
ई छल पहिने के स्थिति।आब सोच कनि बदलल अई।बहुत संशोधन भेल अई कारण महिलो पढीलिख क अप्पन पैर ठाढ छैथ।अप्पन अधिकार आ सुरक्षा के जिम्मेदारी उठाब में समर्थ छैथ। एकर बावजूद एकटा जीवनसाथी के जरूरत हर इंसान के हर उम्र में परैत अई। ई सब बात के देखैत पुनर्विवाह उचित अई सब दृष्टिकोण सं।फेर सं ओ अप्पन जीवन के सुखमय बना सकैत छैथ। बच्चो के पाल पोष में सहयोग भेटतय। घर आँगन हर्षित भय दाम्पत्य जीवन सुखमय बीतत उचित निर्णय लेब सं।आब दहेज प्रथा,बाल विवाह, विधवा विवाह आ कोनो कारण स टुटल विवाह में सुधार भऽ रहल अई।
अई काज में युवावर्ग पूर्ण सहयोग क रहल छैथ। आई के युवावर्ग सब तरहक क्रांति लाब में सक्षम छैथ। सबस पुनीत बात सामाजिक हुए या राजनीतिक खोखला आडम्बर के समाप्त करैत वास्तविक सुधार के बारे में सोच के चाहि।कोनो महिला के विधवा भ गेला के बाद पुनर्विवाह के ओतबे हक भेटय के चाहि जते पुरुष के खुशी खुशी भेटय छैन। जखन तक समाज में अतेक जागरूकता नई आयत तखन तक महिला के स्थिति में सुधार नई होयत। अई तरहक घटना के ध्यान में राखैत पूरा परिवार आ समाज विशेष रूप स सुरक्षित राखैत।
जय मिथिला जय मैथिली जय माँ जानकी।