कृति नारायण झा।
“यमुना नोतऐ छैथि यम के हम नोतऐ छी भाई के ।जहिना गंगा धार बहय तहिना भैया के ओरदा बढय।। “भाई बहिनक पवित्र पावैन भरदुतिया के दिन भाई के हाथ में कुम्हरक फूल, सिनूर, पिठार, पान, सुपारी, मखान आ द्रव्य दय बहिन नओत लैत छैथि आ भाई के दीर्घ आयु के लेल भगवान सँ प्रार्थना करैत छैथि।
भगवान सूर्य केर पत्नी संज्ञा जिनका कोखिसँ यमराज आ यमुना केर जन्म भेल छलैन्ह। यमुना यमराज सँ बहुत स्नेह करैत छलैथि। यमुना कतेको बेर अपन भाई यम सँ आग्रह कयने रहैथि जे ओ हिनका ओहिठाम आबि भोजन करैथि मुदा काज में ब्यस्तता के कारण यम बात के टालैत रहलाह। कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना देखैत छैथि जे हुनक भाई यम हुनका दरबज्जापर यमुना के निमंत्रण स्वीकार करैत उपस्थित छैथि। यमराज के मोन में भ रहल छलैन्ह जे हम त सभक प्राण हरण करैत छी। हमरा कियो अपना घर पर नहिं बजबऽ चाहैत अछि मुदा आइ बहिन यमुना जाहि सद्भावना सँ हमरा निमंत्रित कयलनि अछि ओकर पालन कएनाइ हमर धर्म अछि। बहिन के ओहिठाम अयबाक समय यमराज नर्क में बास करय बला प्राणी के मुक्त क देने छलैथि। यमराज के दरबज्जापर ठाढ़ देखि यमुना के अत्यधिक प्रसन्नता भेलन्हि। ओ स्नान धियान पूजा पाठ कय अनेकानेक व्यंजन परोसि क अपन भाई के भोजन करौलनि। यमुना द्वारा कयल गेल आतिथ्य सत्कार सँ यमराज अत्यधिक प्रसन्न भेलाह आ बहिन सँ बरदान मंगवाक आदेश देलखिन्ह। यमुना कहलनि जे भाई। अहाँ प्रत्येक वर्ष एहि द्वितीया के दिन हमरा ओहिठाम आबि भोजन ग्रहण करू। संगहि हमरा जकाँ जे बहिन एहि दिन अपन भाई के नोत दैत अपन भाई के टीका लगबैथि ओ अहाँ के भय सँ भयमुक्त भ जाइथ। यमराज तथास्तु कहि यमुना के अमूल्य वस्त्राभूषण दय यमलोक प्रस्थान कयलनि। ताहि दिन सँ एहि पावैन केर परम्परा विकसित भेल। एहन मान्यता अछि जे एहि दिन जे भाई अपन बहिनक नओत स्वीकार करैत छथि ओ दीर्घायु आ यम के भय सँ भयमुक्त रहैत छैथि। एहि कारण सँ भातृ द्वितीया के दिन यमराज आ यमुना केर पूजा कयल जाइत अछि। एहि पवित्र पावैन के सुअवसर पर हरेक बहिन के अपन भाई के दिस सँ अनेकानेक मंगलकामना ।जय मिथिला जय मैथिली आ मिथिलाक रंग बिरंग केर पवित्र पावैन ।